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19.10.07

आहि रे बालम चिरई....

कउने खोतवा में लुकइलू, आहि रे बालम चिरई
कउने खोतवा में लुकइलू, आहि रे बालम चिरई
बन बन ढूढलीं, दर दर ढूंढलीं, ढूंढलीं नदी के तीरे
सांझ के ढूंढलीं, रात के ढूंढलीं, ढूंढलीं होत फजीरे
जन में ढूंढलीं, मन में ढूंढलीं, ढूंढलीं बीच बजारे
हिया हिया में पइस के ढूंढलीं, ढूंढली बिरह के मारे
कउने अतरे में समइलू, आहि रे बालम चिरई

गीत के हर घड़ी से पूछलीं, पूछलीं राग मिलने से
चांद चांद लय ताल से पूछलीं, पूछलीं सूर के मन से
किरन किरन से जाके पूछलीं, पूछलीं नील गगन से
धरती अउर पाताल से पूछलीं, पूछलीं मस्त पवन से
कउना सूगना पर लोभइलू, आहि रे बालम चिरई

मंदिर से मसजिद तक देखलीं, गिरजा से गुरद्वारा
गीता अउर कूरान में देखलीं, देखलीं तीरथ सारा
पंडित से मुल्ला तक देखलीं, देखलीं घरे कसाई
सगरी उमरिया छछनत जियरा, कइसे तोहके पाईं
कउने बतिया पर कोहंइलू, आहि रे बालम चिरई Sep 3
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हंस अकेला उड़ जाई

भंवरवा के तोहरा संग जाई
के तोहरा संग जाई
भंवरवा के तोहरा संग जाई

आवे के बेरिया सब केहु जाने
दुवरा पर बाजे ला बधाई
जाये के बेरिया केहु ना जाने
हंस अकेला उड़ जाई
भंवरवा के तोहरा.....

देहरी पकड़ के मेहरी रोवें
बांह पकड़ के भाई
बीच अंगनवां माता जी रोवें
बबुवा के होखे ला विदाई
भंवरवा के तोहरा.....

कहत कबीर सुनो भाई साधो
सतगुरु सरन में जाई
जो यह पद के अरथ बतइहें
जगत पार होई जाई
भंवरवा......
(निरगुन)
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माई
बबुआ भइल अब सेयान कि गोदिये नू छोट हो गइल
माई के अंचरा पुरान, अंचरवे में खोट हो गइल

गुटु- गुटु गोदिया में दूध-भात खाइल
मउनी बनल अउरी भुइयाँ लोटाइल ।
नेहिया - दुलरवा के बतिया बेकारे----
टूटल पिरितिया के डोर कि मन में कचोट हो गइल ।

'चुलबुल चिरइया' में बबुआ हेराइल
बोले कि बुढ़िया के मतिये मराइल ।
बाबा के नन्हकी पलनिया उजारे ----
उठल रुपइया के जोर जिनिगिये नू नोट हो गइल ।

भरल-पूरल घरवा में मन खाली-खाली
दियरी जरे पर मने ना दीवाली ।
रतिया त रतिया ई दिनवो अन्हारे ----
डूबल सुरूज भोरे- भोर करेजवे में चोट हो गइल ।
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बदरी के छतिया के चीरत जहजवा से,

अइलीं फिरंगिया के गांवे हो संघतिया.
लन्दन से लिखऽतानी पतिया पँहुचला के,
अइलीं फिरंगिया के गांवे हो संघतिया.
बदरी के छतिया के चीरत जहजवा से

दिल्ली से जहाज छूटल फुर्र देना उड़ के,
बीबी बेटा संगे हम देखीं मुड़ मुड़ के.
पर्वत के चोटी लाँघत, बदरी के बीचे,
नीला आसमान ऊपर, महासागर नीचे.
लन्दन पँहुच गइल लड़ते पवनवा से,
अइलीं फिरंगिया के गांवे हो संघतिया.

हीथ्रो एयरपोर्टवा से बहरी निकलते,
लागल कि गल गइनी थोड़ी दूर चलते.
बिजुरी के चकमक में देखनी जे कई जोड़ा,
बतियावें छतियावें जहाँ तहाँ रस्ते.
हाल चाल पूछनी हम अपना करेजवा से,
अइलीं फिरंगिया के गांवे हो संघतिया.

हर्टफोर्डसर पँहुचली सँझिया के बेरवा,
जहाँ बाटे कारखाना, जहाँ बाटे डेरवा.
डेरवा के भीतर एसी, सब सुख बा विदेशी,
चट देना फोन कइली बीबी नईहरवा.
ठकचल बा बंगला विलायती समनवा से,
अइलीं फिरंगिया के गांवे हो संघतिया.

भारत से अफ्रीका, फेरु युके चली अइनी,
रुपया, सिलिंग, डालर, पाउन्ड हम कमइनी.
माईबाप चहलें से हम बनि गइनी,
अपना सपनवा के धूरि में मिलइनी.
बेमन के नाता जुड़ल हमरो मशीनवा से,
अइलीं फिरंगिया के गांवे हो संघतिया.

केहू नाहीं टोवे रामा भावुक के मनवा,
तड़पे मशीन बीचे उनकर परनवा.
गीतकार खातिर कलम, कलाकार खातिर कला,
एकरा समान दोसर कौन सुख होई भला ?
अँसुवन में बहे रोज सपना नयनवा से,
अइलीं फिरंगिया के गांवे हो संघतिया.

हमरा भीतर के कलाकार के मुआवऽताटे,
हमरा भीतर के गीतकार के सुतावऽताटे.
जाने कौना कीमत पे पइसा बनावऽताटे,
पापी पेट हमरा से हाय का करावऽताटे.
तड़पिला रात दिन कवना रे जमनवा से,
अइलीं फिरंगिया के गांवे हो संघतिया.

तोहरा से कहतानी साँचो ए इयरवा,
काहे दूना लागत नईखे इचिको जियरवा.
हमरा के काटे दउड़े सोना के पिंजरवा,
मनवा के खींचऽताटे माई के अँचरवा.
लौट चलीं देश अपना कवनो रे बहनवा से,
अइलीं फिरंगिया के गांवे हो संघतिया.
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रतिया भर अँखिया ई देखे चनरमा.

रतिया भर अँखिया ई देखे चनरमा.
हँसेला हमपे आकाश हो.
दूधवा के जइसन तोहरी सुरतिया,
भरेला मन में उजास हो.

आवेला जब कबो धीरे से नींदिया,
हमके पुकारेला माथे के बिंदिया,
खुल जाला अँखिया त, तोहरी सुरतिया,
लेबे ना देबे सवाँस हो.

अइसे त अँखिया ई का का ना देखलस,
बाकिर कबो तोहरा लेखा ना देखलस.
साँचो बसन्त होला, एह बतिया के अब
करेला मन विश्वास हो.

चनवा के पीछे पीछे मनवो चलेला.
दियवा के संगे संगे तनवो जरेला.
रूपवा के रानी तोहके जतने निहारीं,
बढ़ेला ओतने पियास हो.
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