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24.1.08

भड़ासी ब्रांड स्पष्टीकरण

आत्मन विनीत जी,आपका कहना मुझे स्वीकार है पर जरा ये तो विचार करके बताइये कि भड़ास किस भाषा का शब्द है । कदाचित होता यह है कि लोग जब यहां अपना आक्रोश शब्दों के लिखित रूप में निकाल रहे होते हैं तो वे भूल जाते हैं कि उनकी अभिव्यक्ति ऐसे लोग भी देखेंगे जिनके साथ उनका रिश्ता मर्यादा के दायरे में बंधा है । जिनको पित्त विकार है तो स्पष्ट है कि उनकी उगली हुई या वमन करी बात में तेज़ाबी अंश अधिक होगा और अव्यक्त क्रोध ही पित्त विकार का कारण बनता है । यकीन मानिए कि हममें से कोई भी सामान्यतः मर्यादाहीन नहीं है । मैं सभी भड़ासियों की ओर से क्षमा चाहता हूं किंतु उल्टी करने वाले पर आप शर्त नहीं लगा सकते कि उसमें दुर्गंध न हो । एक चिकित्सक होने के नाते बता देना चाहूंगा अन्यथा न लें ,माता जी और बहन जी को भी कहें कि अगर किसी को गरियाना चाहती हों तो भड़ास पर आकर गरिया लें मन हल्का हो जाने से तमाम मनोशारीरिक व्याधियों से बचाव हो जाता है ;ध्यान दीजिए कि यह भी एक विचार रेचन का अभ्यास है ,"कैथार्सिस" जैसा ही या फिर ’हास्य योग’ जैसा । आप विश्वास करिए कि आयुर्वेद में मनोभावों को दबा लेना भी रोगों की उत्पत्ति का बहुत बड़ा कारण स्वीकारा गया है । अरे हां ,मेरे प्यारे भड़ासी भाईयों अब आप ये मत कहने लगना कि हम साले अपनी फोकट कन्सल्टैंसी भड़ास पर खोल कर बैठ गए ।
जय भड़ास

1 comment:

dpkraj said...

भई वाह, आप तो बहुत बढिया लिखते हैं
दीपक भारतदीप