Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

20.3.08

होली है.....तुम्हारी भैन की...



आओ टेसू के फूलों के रंग में

थोड़ा सा कीचड़ मिला लो

ताकि दोस्त की पत्नी को रंग लगाते समय

तुम्हारे स्पर्श में दबी वासना का रंग

दब जाए इस कीचड़ के पीछे

गली मौहल्ले की सारी भाभियों से

होली खेलो लेकिन थोडी़ सी दारू और भांग

का सेवन करना मत भूल जाना

क्योंकि गली के सारे आवारा छोकरे भी हैं

इस इंतजार में कि इसी साल तो हुई है

तुम्हारी भी बहन सोलह साल की

अगर होश में रहे तो ग्लानि बोध होगा

ठीक से खेल नहीं पाओगे होली

और सारा ध्यान लगा रहेगा इसी बात पर

कि किस लौंडे ने बहन को गुलाल लगाया

किधर किधर छूने की कोशिश करी

और रात को नशे के बहाने हुड़दंग मचाने से

पीछे न हटना साल भर की सारी खुन्नस

निकाल लेना गालियां देकर उस पड़ोसी को

जो तुमसे डर कर बात तक नहीं करता है

और कहते जाना कि बुरा न मानो ,"होली है.....

1 comment:

Unknown said...

dagder saheb ji maja aa gya aapka kvit padhkr ji...kya kroon ji....kis pr pichkari maroon ji