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22.8.08

आपकी राय का हमें बेसब्री से इंतज़ार है.....

क्या राजनीतिक दलों के आय-व्यय का ब्यौरा सार्वजनिक हो॥?

सूचना का अधिकार क़ानून की मदद से एक बार फिर यह तथ्य सामने आ गया है कि किस तरह राजनीतिक दल अपनी पारदर्शिता सुनिश्चित कराने से बचते हैं।इसने जहाँ एक ओर राजनीतिक दलों के कामकाज, खर्च और आमदनी के तरीकों और माध्यमों पर सवाल उठते हैं वहीं यह बहस भी खड़ी होती है कि पारदर्शिता और जवाबदेही तय करने के लिए ठोस नियम क्यों नहीं बनाए जाते और अगर बनते हैं तो राजनीतिक दल उसके दायरे से बाहर क्यों हैं.
आपका क्या मानना है। क्यों कतराते हैं राजनीतिक दल खर्च और आमदनी में पारदर्शिता के सवाल पर.क्या राजनीतिक दलों के कामकाज, आमदनी और खर्च में पारदर्शिता होनी चाहिए. इससे क्या फ़ायदे होंगे और अगर नहीं तो क्यों.
क्यों नहीं कारगर हो पाते हैं जवाबदेही तय करने के लिए बने नियम। सरकारें कितनी प्रतिबद्ध या गंभीर हैं राजनीतिक दलों की जवाबदेही के प्रति.
आपकी प्रतिक्रियाओं का हमें इंतज़ार रहेगा. अपनी राय और प्रतिक्रिया से हमें ज़रूर अवगत कराएं.

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