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31.12.08

चला,,,,, मैं चला,,,,,,,,,,,

प्रिय दोस्तों !
मैं साल 2008 हूँ, चौंक गए न ? मैंने आप सभी के साथ काफी वक्त गुजारा तो सोचा कि मैंने इस दुनिया को किस तरह समझा, इस राज को आपके साथ बांटता चलूँ ! चलते-चलते क्यों न अपनों से बात कर ली जाए, जिस तरह दुनिया का नियम है जो आया है, उसे जाना है ! मेरा भी वक्त ख़तम हो चला है और मुझे इसे 'एक्सेप्ट' करने में कोई 'प्रॉब्लम' भी नहीं है ! वैसे भी 'लाइफ' में जो भी जैसे मिले, अगर उसे वैसे ही 'एक्सेप्ट' कर लिया जाए तो जिंदगी थोड़ी आसान हो जाती है ! ये है मेरा पहला सबक जो मैं आपके साथ बांटना चाहता हूँ ! मुझे याद है जब मैं आया था तो लोगों ने तरह-तरह से खुशियाँ मनाकर मेरा स्वागत किया था ! वे मानते थे कि मैं उनके जीवन में खुशियों की बहारें लेकर आऊंगा ! कुछ की उम्मीदें पूरी हुयीं, कुछ की उम्मीदें टूटीं, कुछ को मायूसी हाथ लगी और अब उम्मीदों का सेहरा मेरे छोटे भाई साल 2009 पर होगा ! जाते साल का दूसरा सबक किसी से 'एक्सपेक्टेशन' मत रखिये ! क्योंकि अगर 'एक्सपेक्टेशन' पूरी नहीं होगी तो परेशानी होगी !

दिन तो इसी तरह बीतते जायेंगे ! साल आते रहेंगे, जाते रहेंगे और हर बार लोग न्यू ईयर से उम्मीदें लगाते रहेंगे ! यही उम्मीदें हमें जीने और आगे बढ़ने का 'मोटिवेशन' देती हैं, लेकिन कोरी उम्मीदों से 'लाइफ' न तो बदलती है और न ही आगे बढ़ती है ! इसके लिए 'एफर्ट' ख़ुद ही करने पड़ते हैं ! तीसरा सबक 'सक्सेस' के लिए 'डेडिकेशन' के साथ-साथ 'कन्सिसटेंसी' भी जरूरी है !

मैंने पिछले एक साल में जिंदगी के कई मौसम देखे ! जिंदगी कहीं गर्मी की धूप की तरह लगी, कभी बरसात की फुहार की तरह सुहानी और कभी सर्दी की ठंडी रातों की तरह सर्द ! मैंने होली, ईद, और दिवाली में सुख और उल्लास के पल देखे, वहीँ मुम्बई, जयपुर जैसे 'ब्लास्ट' में इंसानी हैवानियत के साथ दुःख के पलों का सामना किया, लेकिन मैं चलता रहा बीती बातों को छोड़ते हुए क्योंकि चलना मेरी नियति है ! तो मेरा चौथा सबक - परेशानियों की परवाह किए बिना अपना काम करते रहें, क्योंकि कोई इंसान बड़ा नहीं होता, महान होती हैं चुनौतियाँ और जब आदमी चुनौतियाँ स्वीकार करे तभी वो महान कहलाता है !

साल के सारे दिन एक जैसे ही होते हैं, हर सुबह सूरज निकलता है और शाम को डूब जाता है, बस अगर हम जिंदगी के प्रति ऐसा नजरिया रख पायें तो हमें खुशियाँ मनाने के लिए नए साल का इन्तजार नहीं करना पड़ेगा, हर दिन खुशनुमा होगा ! आपसे वादा करिए कि नया साल नई बातों, नई सोच का, कुछ कर गुजरने का साल होना चाहिए !

आप सबके साथ बिताये पलों की मधुर स्मृतियों के साथ मैं जा रहा हूँ, फिर कभी न आने के लिए ! जाते-जाते आखिरी सबक यह कि जिंदगी को जी भरकर जी लीजिये !

शुभकामनाओं के साथ हमेशा के लिए विदा !
सिर्फ आपका
साल 2008

[प्रस्तुति - आई नेक्स्ट ]

1 comment:

Anonymous said...

can you email me: mcbratz-girl@hotmail.co.uk, i have some question wanna ask you.thanks