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19.1.09

साहित्यकारों के रोने की असलियत

संजय सेन सागर

हिन्दुस्तान हमेशा से साहित्य की जननी रहा है,यहाँ पर अनेक साहित्यकारों ने जन्म लिया,कर्म किया! यहाँ पर साहित्यकारों की कलम मे वो शक्ति नजर आई जिससे इस प्रथ्वी लोक को ही नहीं बल्कि स्वर्ग लोक को भी प्रकाशमान बनाया गया है! लेकिन आज की भीड़ मे साहित्य भी खो गया है ! बढे-बढे साहित्यकार मानते है की आज की युवा पीढी साहित्य पड़ना ही नहीं चाहती,उसे महज मस्ती के साधन की जरुरत है! लेकिन सच ये तो बिलकुल नहीं है आज की युवा पीढी साहित्य तो पढना चाहती है लेकिन उसका स्वाद अलग है और हमारे बढे बढे साहित्यकार उस स्वाद को जान ही नहीं पा रहे है,और दोष युवापीढ़ी पर लगा रहे है !अगर सच मे युवा पीढी साहित्य पढ़ना नहीं चाहती है तो ''फाइव पॉइंट समवन'' को बेस्टसेलर किसने बनाया बुजर्गों ने , बिलकुल नहीं युवापीढ़ी ने ! ''one night @ call center '' एक ऐसा साहित्य रहा जिसपर फिल्म बनायीं गयी और जनता ने इसे पसंद भी किया ,यह चेतन भगत का ही एक और साहित्य था॥उनके तीसरे साहित्य पर भी फिल्म बनायीं जा रही है !तो हम कैसे मान ले की युवा पीढी साहित्य पढ़ना नहीं चाहती...बच्चों ने क्या हेर्री पोर्टर को नहीं पढ़ा..बुजर्गों ने पढ़ा !


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