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21.2.09

youth ko sirf nare mat de

युवा टारगेट पर इनकी सोचता कौन है?
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सुना है अब पीएम इन वेिटंग एलके आडवाणी भी युवाओं को चुनावी लछय में शािमल िकया है। इसके िलए भाजपा ने नयी रणनीित नबायी है। िजसमें यूिनवरिसटी और कालेजों के छातरों को अपनी तरफ लाने की कोिशश होगी। ये नुसखा काफी समय से कांगरेस के युवराज लाहुल गांधी भी अजमा रहे है। राहुल गांधी को देख ही भाजपा के रणनीितकारों ने यह नीित बनायी है। राहुल गांधी देश की यूिनवरिसटी कालेजों का दौरा कर रहे है। युवाओं के साथ, खासकर लड़िकयों के साथ उनकी फोटो अखबारों में खूब छप रही है। अब देश की दो पारटी िजस तरह से युवाओं को टारगेट कर रही है उससे पता चलता है िक चुनाव के िलए दोनों पारटी हर तरह की योजना को अंजाम दे रही है। अब सवाल उठता है िक इनकी कोिशश िकतनी रंग लाएगी? युवा वरग इनसे िकतना परभािवत होगा यह समय ही बताएगा?दरअसल देश का युवा वरग शुरू से राजनीितक दलों के िनशाने पर रहा है। देश के राजनीितक आंदोलनों को एक िदशा इस देश के युवाओं ने दी है। जेपी मूवमेंट के सूतरधार भी युवा ही थे। उसी जेपी आंदोलन के कई युवा आज देश के कई राजयों के मुखयमंतरी पद पर िवराजमान है। इसिलए युवाओं को टारगेट करना कोई नई बात नहीं है। पर सवाल उठता है िक आडवाणी और राहुल गांधी कया उतना परभाव इन युवाओं पर डाल पाएंगे तो जेपी ने डाला था। जेपी आंदोलन के बाद युवा सवगीॆय वीपी िसंह के टारगेट भी रहे। पूरे देश में वीपी िसंह को युवाओं से समरथन िमला। पर मंडल आंदोलन के बाद युवा दो वरगों मे बंटा और एक वीपी िसंह िवरोधी हो गया तो एक वीपी िसंह समरथक। वीपी िसंह ने देश के युवाओं को जाित के नाम पर हटा और मुददों से हटकर आंदोलन में िनजी सवराथ नजर आया। हलांिक यह इंटरेसट िनजी होते हुए भी सामूिहक था। एक जातीय पहचान िलए जो युवा राजनीित देश में हुई वो भाजपा बरदाशत नहीं कर सकी। उसने भी कमंडल की राजनीित को तेज िकया। इसका पिऱणाम यह हुआ िक युवाओं की काफी संखया कमंडल की राजनीित में भी आ गई। ये युवा देश में मुददों से हट ईंट पूजने लगे। अयोधया में राम मंिदर बनाने लगे। यहीं से युवा वरग की राजनीित की एक अलग िदशा तय हुई। आडवाणी और राहुल गांधी को युवाओं को टारगेट करने से पहले िसथितयों को समझना चािहए। जेपी के समय में जो आंदोलन युवाओं ने शुरू िकया वो आंदोलन शुरू करने का दमखम आज युवाओं में नहीं है। दूसरी बात वीपी िसंह ने भी िजन युवाओं को अपने साथ रखा उनकी सोच काफी पिरपकव थी और उनहोंन मुददों को समझा। देश की राजनीित में अपनी भागीदारी बनाए रखी।जेपी और वीपी के आंदोलन में गांव और कसबों के युवाओं की भागीदारी थी। आज िजस युवा वरग की बात आडवाणी और राहल कर रहे है वो लैपटाप संसकृित के युवा है। इनकी पकड़ गांवों और छोटे कसबों में नहीं है। खबर है िक आडवाणी के टारगेट अरबन यूथ है। ये अरबन यूथ िकतनी आडवाणी की जीत तय करेंगे समय बताएगा। ये अरबन यूथ लैपटाप,पीजा संसकृित के है। चुनाव के िदन को ये छुटटी के िदन के तौर पर िबताना चाहेंगे। चुनाव के िदन अकसर देखा जाता है िक ये यूथ छुटटी मनाने कहीं औऱ चला जाता है। ये मतदान केंदर तक पहुंचने का जहमत नहीं उठाना चाहता है। जेपी आंदोलन के युवाओं और राहुल,आडवाणी के युवाओं में फरक है। जेपी के युवा इमरजेंसी के िखलाफ आंदोलन चलाने में लगे तो महीनों जेल में रहे। इलाहाबाद यूिनवरिसटी,बनारस िहंदू यूिनवरिसटी,पटना यूिनवरिसटी के कई छातर महीनों जेल में रहे। नीतीश कुमार, सुशील मोदी जैसे नेता मीसा में बंद थे। लेिकन राहुल िजन युवाओं को लेकर समाज में पिरवरतन की बात कर रहे है अगर उनहें थाने में पकड़ कर पुिलस ले जाए तो शायद पेशाब बाहर आ जाए। ये वो युवा है जो रात में बारह बजे तक पब में दारू पीकर नाचने में समय गवांते है। उनहें देश के मुददों से कोई लेना देना नहीं है। उनका एक ही मुददा है फन।दोनों बड़ी पारिटयों को इस बात पर िचंतन करना चािहए की छोटे राजनीितक दल युवाओं को कयों टारगेट नहीं कर रहे है?बसपा,सपा, जद यू,बीजद जैसे राजनीितक दल के नेता यूिनवरिसटी के चककर कयों नहीं काट रहे है?वो फोटों कयों नहीं िखंचवाते? बात समझतने की है। इन सारे दलों ने छोटे कसबों और गांवों के युवाओं पर अपनी पकड़ बना रही है। ये वो युवा है जो बूथ पर पहुंचते है। पोिलंग के परितशनत को बढाते है। ये इनकी भावनाएं राहुल गांधी जैसे युवराज से जुड़ने के बजाए मायावती,मुलायम िसंह, नीितश कुमार,नवीन पटनायक जैसे नेताओं से जुड़ी है। इनकी भावनाओं में जातीय और रीजनल पहचान की पकड़ है ये राहुल और आडवाणी के झांसे में नहीं आ सकते। वहीं युवाओं का एक वरग देश के िविभनन आंदोलनों से जुड़ चुका है जो िहंसक है। वो चाहे नकसली आंदोलन हो,जो देश के कुछ राजयों में चल रहे अलगाववादी आंदोलन।अब िवचार करे। देश के युवाओं ने आंदोलन में अपने आप को आगे िकया और देश के कई आंदोलनकारी युवा देश में नेता बने। कई युिनवरिसटी के छातर संघ के पदािधकारी देश की राजनीित में छाए। िबहार की राजनीित में राज ही जेपी आंदोलन के युवाओं का है। िपछले बीस सालों से िबहार की राजनीित में इनहोंने कांगरेस को हािशए पर रखा। देश के संसद में भी कई युवा नेता पहुंचे। ये वो युवा नेता थे जो संघरष कर आगे आए। जेलों में गए। िफर सांसद और िवधायक बन कर आए। पर देश में कई एेेसा युवा है िजनहोंने जेल तो कया एक घंटे तक थाने में भी नहीं बैठे। हालांिक युवाओं के नाम पर अपनी रोटी चला रहे है पर सांसद इसिलए बने िक ये िकसी बड़े नेता के बेटे है। माधव राव िसंिधया के बेटे जयोितरािदतय,राजेश पायलट के बेटे सिचन पायलट,मुरली देवड़ा के बेटे िमिलंद देवड़ा,िजतेंदर परसदा के बेटे जितन परसाद कांगरेस के युवा आंदोलन के परतीक है। एसी कमरे से िनकल दो घंटे तक सड़क पर खड़े नहीं हो सकते। आंदोलन को शउरू करने की बात छोड़ दे। यही हाल भाजपा का है। आंदोलन के युवा नजर नहीं आते। इनके युवा सांसद है जसवंत िसंह के बेटे,वसंुधरा राजे के बेटे, परेम कुमार धूमल के बेटे। अब इनहें मुददों और आंदोलनों की िकतनी समझ है ये सारा देश जानता है?िसरफ िकसी बड़े राजनेता के बेटे होने के अलावा इनकी कोई और उपलिबध नहीं है।आडवाणी जी और राहुल गांधी को समझना चािहए िक मैनेजमेंट और आईआईटी उनकी चुनावी नैया को पार नहीं लगाएंगे। नैया के पार लगाने वाले युवा िफलहाल छोटे राजनीितक दलों के कबजे में आ चुके है। जो युवा वोट में रुिच रखते है और मतदान केंदर पर पहुंचेंगे उऌकी पहचान जातीय हो चुकी है। उनके कमर में िरवालवर भी होता है। िजनके कमर में िरवालवर होता है वो नेता होता है और उसके साथ एक छोटा सा गरुप होता है। ये युवा बीडीपीओ दफतर,डीसी दफतर पर अपना दबदबा रखता है। ये अपने साथ के युवाओं को ठेकेदारी िदलाता है। ठेका िदलवानें,रोजी रोटी उपलबध करवानें में रीजनल पारटी के नेता उनहें सहयोग देते है। िफर ये राहुल और आडवाणी से कयों जुड़े। ये तो वो नेता है जो चुनाव जीतने के बाद जेड पलस में छुप जाएंगे। मलाई खाने की बारी आएगी तो २४ अकबर रोड और ११ अशोक रोड में बैठे बड़े पदािधकारी खाएंगे। जब युवा इनके पास कोई काम लेकर आएंगे तो अनुशासन का पाठ पढ़ाएंगे। खुद मलाई खाएंगे और युवाओं को राषट सेवा की पाठ पढ़ाएंगे।अब टीवी चैनलों को देखे। कई युवा रािबन हुडों की आलोचना होती। सूरजभान,पपपू यादव,धनंजय िसंह,शाहाबुदीन,मुखतार अंसारी जैसे लोगों से लोगों को सावधान िकया जाता है। टीवी चैनलों पर कहा जाता है िक इनहें चुन कर अपना वोट मत खराब करे। ये अपराधी है। कई लोगों की हतया कर चुक है। लूट और िफरौती के मामले इन पर दरज है। अगर एेेसे लोग संसद में पहुंच कानून बनाएंगे तो देश कया करेगा। अब लोगों की दरद तो अखबार और टीवी चैनल समझते नहीं है। देश की जनता उसे चुनना पसंद करती है जो उनके िलए आशानी से उपलबध है। ये रािबन हुड बेशक अपराधी है पर अपने इलाके की जनता के िलए भगवान से कम नहीं है। उनका काम िमनटों मं होता है। इऌ अपरािधयों के आदेश पर िमनटों में जनता का काम होता है। िफर देश की जनता कया करे? उनहें चुने जो जेड पलस में हो और िदलली से बाहर न िनकले?िफर ये अपराधी सांसद कया करे? अब ये भाजपा और कांगरेस के िकसी बड़े राजनेता के बेटे तो है नहीं िक इनहें तुरंत लोकसभा का िटकट िमल जाएगा। िफर एेसी योगयता के आभाव में हिथयार और रािबन हुड कलचर ही एक एेसी योगयता है िजसके सहारे ये चुनकर आ सकते है?

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