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31.3.09

लाठी के सहारे नहीं लाठी को सहारा देते हैं सच बुजुर्ग सच तो बोल देतें हैं ।

दिल ,जेहन,लब सब की जुदा जुबाँ
एक बार मिल के उसका पता बोल देतें हैं
एलॉट कीजिये आस्तीन उन को अय बवाल
जो दिल में ज़हर की दुकां खोल देते हैं
साँपों के लिए तय शुदा दस्तूर यही है
चीलों की छोडिए वो तो बोल लेते हैं ।
लाठी के सहारे नहीं लाठी को सहारा
देते हैं सच बुजुर्ग सच तो बोल देतें हैं ।
कुछ भी कहो सियार ज़रूरी भी हैं बहुत
क्या हुआ हुआ की नहीं बोल लेतें हैं ।

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