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21.5.09

यादें राजीव गाँधी की

याद राजीव जी की

इस क्षण ने देश का इतिहास बदल कर प्रगति को रोक दिया था ट्रिब्यून से साभार
आज के ही दिन देश ने क्या खोया था वह सोच कर ही दिल डूबने लगता है। इस बार आज का दिन कुछ अधिक संतोष लेकर आया है क्योंकि अभी तक मिली सूचनाओं के आधार पर राजीव जी का हत्यारा प्रभाकरन मारा जा चुका है। मुझे यह तो नहीं पता कि १९९१ में राजीव की हत्या से लिट्टे को क्या मिला पर भारत ने बहुत कुछ खो दिया था। १९८४ याद आता है जब एक सौम्य से दिखने वाले व्यक्ति ने देश की बागडोर उस समय संभाली थी जब इंदिरा गाँधी की हत्या हो चुकी थी। उस समय मेरी आयु १५ वर्ष भी नहीं थी, मैंने राहुल, प्रियंका को राजीव-सोनिया के साथ पूरे देश की तरह ही देखा था। वरुण भी किसी गोद में थे। शपथ ग्रहण के बाद राजीव ने कहा था कि जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिल जाती है। यह कोई सोचा समझा बयान नहीं बल्कि देश में उस समय घट रही परिस्थितियों से उपजा एक बेटे का भी बयान था जो कि अनायास ही देश का प्रधानमंत्री बन गया था। क्या किसी को याद है कि उस समय के कठोर राजनैतिक चेहरों में राजीव का चेहरा कितना भोला था ?
राजीव वास्तव में जन नेता थे और उन्होंने जननेता होने की कीमत अपनी जान देकर चुकाई थी। जब भी वे युवाओं की बात करते थे तो पुरानी पीढ़ी के लोग उनका मज़ाक उड़ाया करते थे कि इन्होंने तो देश को भी विमान समझ रखा है हमेशा ही हवा में बातें करते हैं। पर वो राजीव ही थे जिन्होंने देश को ऊंचे उठकर बड़े सपने देखने के लिए तैयार किया था। सपने देखे जायेंगें तभी तो पूरे करने की लालसा भी होगी ? उन्होंने १८ साल पर मताधिकार दिया, बहुत सारे नए विभाग बनाये जिनका नाम भी लोगों को अटपटा सा लगता था। जैसे खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय। जब उन्होंने सैम पित्रोदा को अपना तकनीकी सलाहकार नियुक्त किया तो लोगों ने उन पर हँसना शुरू किया कि जिस देश में दो वक्त की रोटी नहीं मिलती वहां पर तकनीकी क्या कर लेगी ? १९८५ तक हम कितने लोगों से एसटीडी से बात कर पाते थे ? सुबह बुक करायी गई कॉल शाम को निरस्त करा दी जाती थी क्योंकि हर व्यक्ति फ़ोन नहीं रख सकता था और जो रख सकते थे उनके लिए उपलब्धता भी नहीं थी। आज देश के तकनीकी ज्ञान का डंका सारी दुनिया में बज रहा है तो इसलिए कि उस सपने देखने वाले इन्सान ने भविष्य की आहट देख ली थी और उस समय के उद्योगपतियों ने भी उनकी आवाज़ को सुना।
देश को आगे ले जाने के लिए आज भी उसी जज्बे की ज़रूरत है जिससे भारत का आम आदमी आगे देख सके। वो पहले व्यक्ति थे जिन्होंने देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को खुले दिल से स्वीकार किया था। गंगा नदी के लिए एक्शन प्लान उनके समय ही बनाया गया था और एक बार तो गंगा में निर्मल पानी दिखाई भी देने लगा था।
विदेशी मोर्चे पर मालद्वीप में विद्रोह को उन्होंने बहुत आसानी से दबाने के लिए सरकार की मदद की थी तो श्री लंका के तमिल संकट के लिए एक अच्छे समझौते की नींव भी उन्होंने रखी थी। इराक युद्ध के समय अमेरिका के विमानों को भारत में इंधन देने के सरकारी फैसले की उन्होंने आलोचना की थी जिससे तेल देना बंद किया गया था। देश में पंजाब,असोम, गोरखालैंड आदि अलगाव वादी समूहों को देश की मुख्य धारा में लाने के लिए उन्होंने पूरा प्रयास किया था
सच बहुत याद आते हैं राजीव जब देश को उनकी किसी बात में सच्चाई दिखती है। मेरे इस ब्लॉग पर हर पोस्ट के अंत में एक पंक्ति दिखाई देती है कि "मेरी हर धड़कन भारत के लिए है. " इसे मैंने कांग्रेस के १९९१ चुनाव प्रचार से लिया था जब हर पोस्टर पर राजीव जी कि फोटो के साथ नीचे यही पंक्ति लिखी होती थी। बस तब से आज तक यह पंक्ति मेरी जिंदगी का हिस्सा है....
बस आज मन करता है कि वह आवाज़ सुनाई दे जाए जो कहा करती थी कि "हमने देखा है......

1 comment:

Unknown said...

aap dhanya hain
aapki lekhni dhanya hai
aap ki post bhi dhanya hai
HARDIK BADHAI