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23.9.09

गम कभी साथ छोड़ता नहीं

पंक्तिया अर्ज़ कर रहा हु मस्ती के साथ पड़ीयेगा...........
जिन्दगी के सफ़र में कई अनुभव हुए
कुछ अच्छे कुछ बहुत बुरे हुए
दिल से सोचा तो एक ख्याल आया
गम के पेहुलुआ से कम, ख़ुशी के असुआ से
मेने एक रिश्ता बनाया.............
गम कभी साथ छोड़ता नहीं
गम देने वाला कभी मुड़कर देखता नहीं
अह कभी निकलती नहीं
एक टिश सी हमेशा चुभती हें ................
जब कोई रुकसत होता हे ...............
एक दर्द सा होता हे जब कोई दिल को छूता हे .....
और हर एक आहट पर मन विचलित हो उठता हे
ऐसा क्या हे , क्यों हे सवाल सवाल और बस सवाल
जवाब की तलाश जरी हे ..........
आपका -- जीत

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