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22.10.09

कोशिश करें Patrakar

मीडिया को चोथा स्तम्भ कहा जाता है लेकिन क्या इस चोथे स्तम्भ को चोथे स्तम्भ का दर्जा दिया जा रहा है। नहीं। क्यों कानूनन मीडिया को चोथा स्तम्भ का दर्जा प्राप्त नहीं हो रहा। चोथा स्तम्भ jana जा रहा है, लेकिन मन नहीं जा रहा। क्यों।हम पत्रकारों को मीडिया को कानूनन दर्जा दिलाने के प्रयाश करना चाहिए। सरकारी प्रावधान मैं मीडिया को चोथे स्तम्भ का दर्जा मिलना चाहिए। इसके लिए हम पत्रकारोंको ही प्रयाश करना पड़ेगा। अगर हम सरकारों के भरोशे बैठे रहे तो सरकारों का क्या आज ये तो कल वो। सरकारें बदलती रहेंगी लेकिन कोई सरकार हमारे बारे मैं नहीं सोचेगी। हमीं ख़ुद सोचना होगा।

धर्मेन्द्र तोमर, पत्रकार

2 comments:

Ajay Tripathi said...

बिन मांगे तो भीख भी नही मिलती

Unknown said...

PATRKAAR MAHODAY AAPSE EK GUJAARISH HAI KI AAP PAHLE APNI HINDI SUDHAAR LE JISSE AAPKO ANUSARAN KARNE WAALE AISI GALTI NAA KAR PAAYEIN
SNEH SAMET
GAUTAM SACHDEV