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25.2.10

सोरती मोची


ये है सोरती मोची। गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर बैठा करता है। खास बात ये कि ये हर मोची की तरह सुबह से शाम तक नहीं बैठता है, इसकी अपनी ही अलग शिफ्ट है। ये दोपहर के 12 बजे से रात के 12 बजे तक बैठता है। बीते काफी सालों ये स्टेशन पर बैठ रहा है। मैनें अपनी जिन्दगी में कभी इतने मेहनती मोची को नहीं देखा है। इस मोची के ग्राहक केवल गाजियाबाद से ही नहीं दिल्ली अलीगढ़ तक से आते है। भई आये भी क्यों ना. ये वाजिब पैसों में बढ़ीया काम जो करके देता है। आप यकीन मानिये ये छोटा सा मोची दिन भर में करीब 2 हजार रूपये का काम करता है। इसके पास आपको 200 रूपये में ऐसा चमड़े का जूता मिल जायेगा, जो कम से कम ढ़ाई सालों तक चलेगा। मैं खुद चमड़े के जूते इससे खरीदता हूं। इस मोची की एक खास बात ये की ये भगवान शिव का बड़ा भक्त है। यहीं कारण है कि ये साल में एक बार जरूर अमरनाथ की यात्रा करने जाता है। आम मध्यम वर्गीय आदमी भी अमरनाथ यात्रा करने से परहेज करता है। लेकिन ये किसी भी सूरत में शिव की इस पावन यात्रा को करता है। आप इसके काम को अंदाजा इस बात से लगा सकते है कि यदि आपको इसके पास से जूता खरीदना हो या फिर पालिस आदि करानी हो तो आपको कम से कम आधे घंटे का इंतजार जरूर करना पडे़गा। लेकिन सोरती के बहतरीन काम के आगे शायद इसका इंतजार करना किसी को नागवार नहीं गुजरता है।इसका हंसमुख स्वभाव प्रभाव आपको ओर आकर्षित करेगा। मेरी तरह आप भी इसके गुणगान करने से नहीं चूकेंगे।

मैं तो यही कहूंगा कि कम से कम इस महंगाई के दौर में अगर जूता खरीदना हो तो यहां जरूर आये। यकिन मानिये आपको ठगे हुए बिल्कुल भी महसूस नहीं करेंगे।

धन्यवाद

सूरज सिंह

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