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31.8.10

गरीबों की भूख कोर्ट की फिक्र,लेकिन मंत्री बेफिक्र

कंेद्रीय खाद्य एवं कृषि मंत्री शरद पंवार अपने बेतर्क बयानों को लेकर पहचान कायम कर चुके हैं। उनकी वजह से पहले ही कई बार सरकार को जवाब देना मुश्किल हो गया है। कमर तोड़ महंगाई पर सरकार पहले ही लगाम लगाने में विफल है। शरद पंवार के बयानों से कभी चीनी तो कभी दूध के दाम बढ़ते हैं क्योंकि वह पहले ही दलालों व मुनाफाकोरों को यह कहकर मौका दे देते हैं कि फला चीज के दाम बढ़ सकते है बस जादू देखिए दाम तुरन्त बढ जाते हैं। अब ज्यादा अफसोसजनक व शर्मनाक बात यह है कि देश में जहां हजारों-लाखों लोगों को भरपेट खाना तक नसीब नहीं हो रहा वहीं लाखों कुंतल गंेहू गोदामों के बाहर सड़ रहा है। मीडिया द्वारा किये गए खुलासों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसका संज्ञान लिया ओर सरकार को आदेश दिया कि वह अनाज गरीबों को बाट दे, लेकिन शायद कृषि मंत्री को अदालत को आर्डर समझ में नहीं आया सो उन्होंने कह दिया कि अदालत ने यह सलाह दी है इस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि यह सलाह नहीं बल्कि आदेश है। जाहिर है कि कोर्ट का आदेश गरीबों के हक में है लाखों लोगों की भूख का इंतजाम करने वाला है परन्तु माननीय मंत्री जी ऐसा पॉजीटिव शायद सोच ही नहीं पाये। बहरहाल अब उनकी गलतफहमी दूर हो गई है देखिए क्या होता है। सबसे अच्छी बात यह रही कि लोकसभा में सभी विपक्षी नेताओं ने गरीबों के हक में एकजुटता दिखायी। यह वाकई अच्छी बात है केवल राजनीति नहीं हुई। कोर्ट के आदेश सरकार की चौखट के अंदर दाखिल हो चुके हैं। सरकार यदि मेहरबानी कर दे, तो अनुमानित आंकड़े के मुताबिक इतना अनाज सड़ने के कगार पर है जिससे 17 करोड़ लोग एक साल तक खा सकते हैं। देखिए क्या होता है। 

दो अखबार, दो बाइलाइन, खबर लगभग एक


यह मामला लखनऊ का है. उपर की खबर डेली न्यूज एक्टीविस्ट अखबार में प्रकाशित हुई. उसके कुछ दिन बाद हिंदुस्तान, लखनऊ में वही खबर प्रकाशित हुई, बाईलाइन. चर्चा है कि डीएनए से सारा मैटर व तथ्य उड़ाकर रिपोर्टर ने हिंदुस्तान में टेबल स्टोरी फाइल कर दी और उसे वरिष्ठों ने पहले पन्ने पर प्रकाशित कर उस दिन की सबसे अच्छी स्टोरी का खिताब दे डाला. आप दोनों रिपोर्टों को पढ़िए और फिर फैसला करिये. पढ़ने के लिए उपरोक्त रिपोर्टों पर क्लिक करें.

लापरवाह कर्मियों के विरूद्ध सख्त कदम उठाये जायेंगे। निशंक


देहरादून, 31 अगस्त 2010 राज्य गठन के उद्देशयों के अनुरूप सभी अधिकारी व कर्मचारी अपने कर्तव्यों का पालन सुनिश्चित करें। नई कार्य संस्कृति विकसित करते हुए जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए कार्य करें। अच्छा कार्य करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों को पुरस्कृत किया जायेगा, जबकि लापरवाह कर्मियों के विरूद्ध सख्त कदम उठाये जायेंगे। यह निर्देश मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने देहरादून के विभिन्न कार्यलयों में आकस्मिक निरीक्षण करने के दौरान दिये। मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने निरीक्षण के दौरान विभागों की उपस्थिति पंजिकाओं तथा विभागीय संचालित योजनाओं की जानकारी प्राप्त की। मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने दोपहर बाद सबसे पहले कांवली रोड़ स्थित ऊर्जा भवन का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने उप महाप्रबंधक एन.के. जोशी से से विभागीय प्रगति तथा अब तक व्यय हुई धनराशि की जानकारी प्राप्त की। उन्होंने संबंधित अधिकारी से विद्युत सामग्री की आपूर्ति के सापेक्ष क्षेत्र में वितरण की अद्यतन स्थिति पर प्रगति आख्या प्राप्त की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि विद्युत सामग्री की मौके पर आपूर्ति का निरन्तर अनुश्रवण किया जाय। उन्होंने महाप्रबंधक यूपीसीएल से नियोजन एवं अनुश्रवण के बारे में विस्तार से चर्चा की। मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने उपस्थिति पंजिका का निरीक्षण करते हुए उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये कि जिन लोगो के रजिस्टर में हस्ताक्षर नहीं है, उन्हें चेतावनी जारी की जाय, भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही न दोहराई जाय। मुख्यमंत्री ने इसे पश्चात जलागम निदेशालय का भी निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने अतिरिक्त निदेशक डी.जे.के. शर्मा तथा नीना ग्रेवाल से विभागीय योजनाओं की प्रगति के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की। उन्होंने केन्द्र को भेजी गई परियोजना रिपोर्ट की प्रगति की भी जानकारी प्राप्त की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि जलागम परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए केन्द्र द्वारा जो दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं, उनका शत-प्रतिशत पालन किया जाय। श्री शर्मा ने बताया कि केन्द्र को 400 करोड़ रुपये की परियोजना प्रस्ताव भेजे गये हैं। मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि विकास योजनाओं पर आधारित प्रकाशन साहित्य को ग्रामीण क्षेत्रों तक वितरित किया जाय तथा प्रकाशन साहित्य को हिन्दी भाषा में प्रकाशित किया जाय। मुख्यमंत्री डॉ. निशंक द्वारा विभागीय योजनाओं के संबंध में पूछे जाने पर अपर निदेशक नीना ग्रेवाल ने बताया कि परियोजना में 2 लाख 3 हजार हैक्टेयर क्षेत्रफल भूमि के हिसाब से परियोजना प्रस्ताव तैयार किये गये हैं। इसमें पर्वतीय भूमि को 15 हजार प्रति हैक्टेयर तथा मैदानी भूमि को 12 हजार प्रति हैक्टेयर के मानक से परियोजना को तैयार किया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने उत्तराखण्ड परिवहन निगम के कार्यालय का भी औचक निरीक्षण किया गया, जहां उन्होंने उपस्थिति पंजिका तथा निगम की वित्तीय एवं भौतिक प्रगति के संबंध में विभागीय अधिकारियों से विस्तार से रिपोर्ट प्राप्त की। मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने भूमि सर्वेक्षण निदेशालय में वन भूमि से लंबित मामलों पर विस्तार से जानकारी मांगी। उन्होंने राज्य स्तर, केन्द्र स्तर पर लंबित प्रकरणों की विस्तार से रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश नोडल अधिकारी को दिये। संबंधित पटल सहायक द्वारा बताया गया कि 5 हैक्टेयर क्षेत्रफल तक के वन भूमि अधिनियम से प्रभावित होने वाले 161 परियोजनाओं में से 48 की स्वीकृति प्राप्त हो गयी है। अवशेष प्रकरणों को केन्द्र सरकार के क्षेत्रीय कार्यालय को पुनः अनापत्ति हेतु संदर्भित किया जा रहा है। हिमालय आजीविका सुधार परियोजना कार्यालय में निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. निशंक को परियोजना निदेशक विजय कुमार ने बताया कि 2004 से दिसम्बर 2012 तक संचालित इस परियोजना में केन्द्र से आइफैड योजना के तहत लगभग 110 करोड़ रुपये प्राप्त हुए है, जिसके विपरीत अब तक 52 प्रतिशत खर्चा किया जा चुका है तथा 30 करोड़ रुपये राज्यांश स्वीकृत हुआ है एवं विभिन्न वित्त पोषित संस्थाओं से लगभग 80 करोड़ रुपये काश्तकारों को पोषित कराने का लक्ष्य रखा गया है। मुख्यमंत्री ने परियोजना निदेशक विजय कुमार को राज्यांश का प्रस्ताव बढ़ाने के निर्देश देते हुए योजना के समाप्त होने तक व्यय में तेजी लाने के निर्देश दिये है। 09837261570

नार्थ साउथ कारीडोर विवाद

अभी ना हार हुई ना जीत फिर कैसे जीत गये जयराम रमेश?

इंड़िया टू डे में प्रकाशित लेख से जिले वासी भौंचक सिवनी वासी भी हैं हतक्षेपकत्ताZ

सिवनी। फोर लेन मामले के सुप्रीम कोर्ट में लंबित रहते हुये एक राष्ट्रीय पत्रिका ने इस मामले में जयराम रमेश जीत बता दी हैं। दो केन्द्रीय मन्त्रियों के बीच की इस टकराहट में अटके उत्तर दक्षिण कॉरीडोर के मामले में दोनों में एक राय ना बनने से सरकार को अरबों रुपयों का चूना लग चुका हैें।

देश की प्रसिद्ध पत्रिका इंड़िश टू डे के 1 सितम्बर 2010 के अंक में राष्ट्र.पर्यावरण सक्रिय पहरुआ शीर्षक से एक लेख पेज नं. 14 में प्रकाशित हुआ हैं। इस लेख में पेज नं. 17 के पहले कालम में लिखा हैं कि,Þ ईसा के जन्म से दो सौ वर्ष से भी ज्यादा पहले रोमन सम्राट हेलियोगाबलस अपने पकड़े गये लोगों का कत्ल करवाना पसन्द करता था,क्योंकि उसे हरी घांस पर लाल रंग देखना पसन्द था।और जब रमेश के हरे भरे ऐजेंड़ा का सवाल आता हैं, तो डनहें भी खूब खून खराबा करवाने से कोई आपत्ति नहीं होती। एक केन्द्रीय मन्त्री का कहना हैं कि बोलने में तेज रमेश कई केबिनेट बैठकों को तू तू मैं मैं का अखाड़ा बनवा चुकें हैं।जब सड़क परिवहन और राजमार्ग मन्त्री कमलनसथ ने सिवनी(मध्यप्रदेश) से नागपुर(महाराष्ट्र)राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या सात को,जो संयोग वश पेंच टाइगर रिजर्व से होकर जाता हैं,चौड़ा करनें की अनुमति दीतो रमेश खफा हो गये। मामला सुप्रीम कोर्ट में गया जहां जहां हरियाली के योद्धा की जीत हुई। कमलनाथ के अनुसार यह सड़क कई दशकों से हैं। Þ जबकि वास्तविकता कुछ और ही हैं।

मामला नागपुर सिवनी के चौड़ीकरण का हैं ही नहीं। मामला हें प्रधानमन्त्री स्विर्णम चतुभुZज योजना के तहत बनने उत्तर दक्षिण का कारीडोर का हें जो कि श्रीनगर से कन्याकुमारी तक जायेगा। इस मार्ग की लंबाई 4 हजार कि.मी. हैं। जिसमें कई चरणों में कई स्थानों पर काम चल रहा हें हैं कुछ हिस्से तो बन कर पूरे होने की कगार मेें हैं। इसी के तहत सिवनी जिले के लखनादौन से खवासा नागपुर तक का रोड़ फोर लेन का बन रहा हैं। इस समय ना तो कमलनाथ भूतल परिवहन मन्त्री थे और ना ही जयराम रमेश वन एवं पर्यावरण मुन्त्री थे। इसमें जिले में बनने वाले हिस्से का सत्तर प्रतिशत मार्ग बन भी चुका हैं।

इसी बीच दिल्ली के एक एन.जी.ओ. वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इण्डिय़ा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगायी थी। यह याचिका अभी भी लंबित हैं। दोनों मन्त्रालयों में एक मत ना होने से मामला लटक गया हैं। कॉरीडोर बनाने वाली कंपनियों को बाधा मुक्त जमीन उपलब्ध ना करा पाने के कारण अभी तक सरकार को लगभग दो अरब पचास करोड़ रुपये की हर्जाने के रूप में चपत लग चुकी हैं।

ना जाने क्यों कैसे इंड़िया टू डे ने इा मामले में सुप्रीम कोर्ट में हार जीत होने के पहले ही रमेश की जीत कैसे करा दी हैंर्षोर्षो

हरवंश का नाम लेकर उनके नाम को राजनीति में जिदा ना रखने की जिले के भाजपाइयों को समझाइश दी अरविन्द मैनन ने

जिला भाजपा की नव निर्वाचित कार्यकारिणी की पहली बैठक संभागीय संगठन मन्त्री अरविन्द मैनन की उपस्थिति में राशि लॉन में संपन्न हुयी।बताया जाता है कि संगठन मन्त्री ने यह कहा कि कैसे जिले की चारों सीटें जीतना हैं इसकी रणनीति बनायें और अमल में जुट जायें।बार बार क्यों हरवंश सिंह का नाम लेकर उन्हें राजनीति में ज़िन्दा रख रहे हो। संभागीय संगठन मन्त्री के के इस कथन को लेकर तरह तरह की चर्चायें भाजपा कार्यकत्ताZओं के बीच होने लगीं हैं। कांग्रेस और भाजपा दोनो ही दलों में नूराकुश्ती के किस्से चर्चित रहने से अब तो ऐसा प्रतीत होने लगा हैं कि यह तो अब नूरा कुश्ती भी नहीं रह गई हैं वरन सब कुछ खुला खुला हैं और किसी को किसी की चिन्ता भी नहीं हैं। इससे ज्यादा राजनैतिक बेशर्मी की बात और भला क्या हो सकती हैंर्षोर्षो हिन्दी,हिन्दू,हिन्दुस्तान और राममन्दिर काश्मीर से धारा 370 हटाना और कामन कोड विल लागू करना भाजपा के जनसंध के समय से छ: मूल मन्त्र रहें हैं। जब जब विपक्ष में रहे तो सभी मुद्दे बुलन्द रहे और जब सत्ता में आये तो यह आड़ कर ली कि ये मुद्दे एन.डी.ए. के ऐजेन्डे में शामिल नहीं हैं और सरकार एन.डी.ए. की हैं। जिला इंका अध्यक्ष महेश मालू ने इसके विरोध में आयोजित बन्द को समर्थन देते हुये जो विज्ञप्ति जारी की थी उसमें यह उल्लेख किया कि 15 अगस्त के बाद इंका का एक प्रतिनिधि मंड़ल दिल्ली जायेगा और केप्द्रीय मन्त्री कमलनाथ और जयराम रमेश से भेंट कर मामले को शीघ्र सुलझाने का अग्रह करेगा।लेकिन अभी तक तारीख भी तय नहीं है।

हरवंश के बारे में मैनन के टके से जवाब से भौंचक हैं भाजपायी - बीते सप्ताह में जिले में भाजपा की गतिविधियां कुछ अधिक ही रहीं हैं। जिला भाजपा की नव निर्वाचित कार्यकारिणी की पहली बैठक संभागीय संगठन मन्त्री अरविन्द मैनन की उपस्थिति में राशि लॉन में संपन्न हुयी। इस बैठक में जिले में संगठनात्मक गतिविधियों को संचालित करने के अलावा शिकवा शिकायतों का भी दौर चला। हाल ही में 15 अगस्त के ध्वजारोहण समारोह के मुख्य अतिथि को लेकर हुये विवाद पर चर्चा हुयी। कुछ नेताओं ने इसे जबरन का विवाद बनाना निरूपित किया तो कुछ नेताओं का यह भी मानना था कि प्रदेश में बड़े नेताओं की मिली भगत के कारण जिले में निष्ठावान कार्यकत्ताZओं को नीचा देखना पड़ता हैं। उल्लेखनीय हैं कि नगर भाजपा अध्यक्ष प्रेम तिवारी ने मुख्यमन्त्री को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह पर आपराधिक मामले दर्ज हैं इसलिये उन्हें सिवनी में मुख्यअतिथि ना बनाया जाये। इस पर इंका के नगर प्रवक्ता ने बयान जारी कर मुख्यमन्त्री सहित 28 मन्त्रियों पर मामले दर्ज होने का मुद्दा उछाल दिया। इसी बीच हरवंश सिंह बालाघाट में ध्वजारोहण करेंगें यह प्रकाशित हो गया। हरवंश सिंह की मुख्यमन्त्री सचिवालय के हवाले से उनसे पूछ किया जाना बताया गया तो नगर भाजपा अध्यक्ष ने इस निर्णय के लिये मुख्यमन्त्री का आभार व्यक्त कर दिया। दूसरे ही दिन सरकार ने फिर नये आदेश प्रसारित कर हरवंश सिंह को सिवनी जिला आवंटित कर दिया। सरकार के इस निर्णय से भाजपाइयों ने अपने आप को घोर अपमानित महसूस किया हैं। बताया जाता है कि ेकार्यकत्ताZओं की इस पीड़ा को दर किनार करते हुये इस पर संगठन मन्त्री ने यह कहा कि कैसे जिले की चारों सीटें जीतना हैं इसकी रणनीति बनायें और अमल में जुट जायें।बार बार क्यों हरवंश सिंह का नाम लेकर उन्हें राजनीति में ज़िन्दा रख रहे हो। संभागीय संगठन मन्त्री के के इस कथन को लेकर तरह तरह की चर्चायें भाजपा कार्यकत्ताZओं के बीच होने लगीं हैं। कुछ वरिष्ठ भाजपाइयों का तो यह भी ेकहना हैं कि हरवंश सिंह एक भी चुनाव खुद नहीं जीते हें वरन उन्हें जिताने में भाजपाइयों का टेका ही हमेशा रहा हैं। हारने वाले प्रत्याशियों द्वारा गिनाये गये हार के कारणों को दरकिनार कर दिया जाता था जो कि भाजपा के अगला चुनाव हारने के कारण बन जाते थे। यह सिलसिला पिछले विस चुनाव तक चलते रहा हैं। अब तो भाजपा में भी ऐसा मानने वालों की कमी नहीं हैं कि भाजपा का नेतृत्व ही एक सीट देकर जिले की शेष विस सीटें और लोकसभा सीट जीतने के लिये सौदा कर लेते हैं।और तो और जिले में संगठन के स्तर पर भी केवलारी क्षेत्र की उपेक्षा की जाती हैं। जबकि इसके विपरीत कांग्रेस के चुनाव के दौरान जिले के कई कांग्रेसियों ने हरवंश सिंह पर यह आरोप लगया हैं कि पूरे संगठन का केन्द्र केवलारी क्षेत्र को बना कर किया गया हें जबकि जहां से कांग्रेस पांच पांच बार से चुनाव हार रही हैं उन विस क्षेत्रों की चुनावों में अनदेखी की गई हैं। कांग्रेस और भाजपा दोनो ही दलों में नूराकुश्ती के किस्से चर्चित रहने से अब तो ऐसा प्रतीत होने लगा हैं कि यह तो अब नूरा कुश्ती भी नहीं रह गई हैं वरन सब कुछ खुला खुला हैं और किसी को किसी की चिन्ता भी नहीं हैं। इससे ज्यादा राजनैतिक बेशर्मी की बात और भला क्या हो सकती हैंर्षोर्षो

एक बार फिर पुराने मुद्दों पर लौट कर आ रही हैं भाजपा -हिन्दी,हिन्दू,हिन्दुस्तान और राममन्दिर काश्मीर से धारा 370 हटाना और कामन कोड विल लागू करना भाजपा के जनसंध के समय से छ: मूल मन्त्र रहें हैं। जब जब विपक्ष में रहे तो सभी मुद्दे बुलन्द रहे और जब सत्ता में आये तो यह आड़ कर ली कि ये मुद्दे एन.डी.ए. के ऐजेन्डे में शामिल नहीं हैं और सरकार एन.डी.ए. की हैं। एक चुनाव तो भाजपा ने एन.डी.ए. के उस ऐजेन्डे पर लड़ना भी स्वीकार कर लिया जिसमें भाजपा के ये सभी मूलमन्त्र ही गायब थे। उत्तर प्रदेश और केन्द्र में भी भाजपा के नेतृत्व में सरकार रही लेकिन इन मुद्दों के लिये भाजपा ने कभी सरकार भी दांव पर लगाने की कोशिश नहीं की जैसी कि कांग्रेस ने परमाणु करार के दौरान वामदलों के विरोध के भी सरकार को दांव पर लगा दिया था। लेकिन भाजपा समय समय पर इन मुद्दों पर कुछ ना कुछ करके अपनी प्रतिबद्धता दिखाती रहती हैं। ऐसा ही कुछ अभी काश्मीर के मुद्दे को लेकर जल रहा हैं। भाजपा ने राष्ट्रव्यापी काश्मीर बचाओ देश बचाओ आन्दोलन छेड़ा हैं। भाजपा ने यह चिन्ता भी व्यक्त की हें कि वहां से हिन्दुओं को खदेड़ा जा रहा हैं। लोक सभा में भाजपा की प्रतिपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने इस समस्या को नेहरू की देन बताया हैं। इसी के तहत जिले के गांधी चौक में भी भाजपा ने धरना देकर ज्ञापन दिया। इसमें राज्य सभा सदस्य अनुसुइया उइके उपस्थित रहीं। वैसे यह बात सही हैं कि इन दिनों काश्मीर के हालात खराबक हैं और इसकी जवाबदारी भी सरकार पर आती हें। भाजपा ने भी गठबंधन की सरकार काश्मीर में चलायी थी। हालात बेकाबू होने में जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका तो यह होनी चाहिये कि पहले हालात को सुधारने म3ें सरकार का सहयोग करें और फिर उसे कठघरें में खड़ा करें कि उसकी किन खामियों की वजह से ऐसे बदतर हालात बने थे। लेकिन ऐसा प्रतीत होता हें कि काश्मीर मामले को उठाना भाजपा की राजनैतिक रणनीति के तहत उठाया गया कदम हों। क्योंकि सम्भवत: अगले महीने इलाहाबाद हाई कोर्ट में राम जन्म भूमि विविाद से सम्बंधित केस का फैसला आ जायेगा और उसके अनुरूप भाजपा को अपनी राम मन्दिर के मामले में रणनीति बनाना पड़ेगा। इसीलिये शायद उन छ: मूल सूत्रों की ओर लौटने की रणनीति के तहत ही काश्मीर मुद्दा उठाया गया हो वरना यह बात तो भाजपायी भी जानते हैं कि दिल्ली की सरकार में रह कर जब अपन काश्मीर का मुद्दा हल नहीं कर पाये तो भला शुक्रवारी के गांधी चौक से उसे कैसे हल कर लेंगेंर्षोर्षो

फोर लेन के लिये कब जायेगा इंकाई प्रतिनिधि मंड़ल दिल्ली? -फोर लेन को लेकर इंका का प्रतिनिधि मंड़ल कब दिल्ली जायेगार्षोर्षो इसे लेकर चर्चायें जारी हैं। जिला इंका अध्यक्ष महेश मालू ने इसके विरोध में आयोजित बन्द को समर्थन देते हुये जो विज्ञप्ति जारी की थी उसमें यह उल्लेख किया कि 15 अगस्त के बाद इंका का एक प्रतिनिधि मंड़ल दिल्ली जायेगा और केप्द्रीय मन्त्री कमलनाथ और जयराम रमेश से भेंट कर मामले को शीघ्र सुलझाने का अग्रह करेगा। लैकिन अभी तक ना तो प्रतिनिधि मंड़ल दिल्ली गया और ना ही कोई तिथि घोषित की गई हैंं। इसे लेकर तरह तरह की चर्चायें व्याप्त हैं।





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30.8.10

main......भूत बोल रहा हूँ..........!!!

मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
इक पागलपन चाहिये कि चैन से जी सकूं…
सब कुछ देखते हुए इस तरह जीया ही नहीं जाता…।
मैं गुमशुदा-सा हुआ जा रहा हूं,
अपनी बहुतेरी गहरी बेचैनियों के बीच…
अच्छा होने की ख्वाहिश चैन से जीने नहीं देती…
और बुरा मुझसे हुआ नहीं जा सकता…
तमाम बुरी चीज़ों के बीच फ़िर कैसे जिया सकता है ??
और सब कुछ को अपनी ही हैरान आंखों से…
देखते हुए भी अनदेखा कैसे किया सकता है…??
अगर मैं वाकई दिमागी तौर पर बेहतर हूं…
तो लगातार कैसे अ-बेहतर चीज़ें जैसे
घटिया व्यवहार,घटिया वस्तुएं,
घटिया लोग,प्रेम से रिक्त ह्रदय
एक-दूसरे से नफ़रत से भरे चेहरे
और भी इसी तरह की कई तरह की…
असामान्य और अमान्य किस्म की बातें…
किस तरह झेली जा सकती हैं आसानी से…
और जो अगर इस तरह नहीं किया जा सकता है…
तो फिर कैसे निकाला जा सकता है यह समय्…
जो मेरे आसपास से होकर धड़ल्ले से गुजर रहा है बेखट्के
मुझे समझ नहीं आता बिल्कुल कि किस तरह
आखिर किस तरह से बिना महसूस किये हुए गुजर जाने दूं…
और अगर महसूस करूं तो सामान्य कैसे रह पाउं…??
इसिलिये…हां सिर्फ़ इसिलिये पागल हो जाना चाहता हूं…
कि सब कुछ मेरे महसूस हुए बगैर
मेरे आसपास तो क्या कहीं से भी गुजर जाये…

आंखे खुली रखते हुए अन्धा हो जाना कठिन होता है बड़ा…
आंखों के साथ आप लाठी पकड़ कर नहीं चल सकते…
और हम सब आज इसी तरह चल रहे हैं बरसों से…
अगर इसी तरह का अन्धापन हमें वाजिब लगता है…
तो सच में ही अंधे हो जाने में क्या हर्ज़ है…
इसी तरह का पागल्पन हमें भाता है…तो फ़िर
सच में भी पागल हो जाने में क्या हर्ज़ है…!!
मैं पागल हो जाना चाहता हूं.…
हां…सच मैं पागल हो जाना चाहता हूं…
कि चैन से जी सकूं…
कि मरने के बाद आकर यह कह सकूं…
मैं क्या करता या कर सकता था…
मैं तो जन्मजात ही पागल था…
दुनिया में सभी इसी तरह जी रहे थे…
एक पागल क्या खा कर कुछ कर लेता…!!??  

हिंदू पुलिसवाले नहीं रख सकेंगे दाढ़ी
अहमदाबाद, जागरण संवाददाता : भले ही गुजरात में हिंदू हितों की दुहाई देने वाली भाजपा की सरकार है, बावजूद इसके आजकल राज्य के पुलिस विभाग में आस्था और कानून की जंग छिड़ी हुई है। दरअसल राज्य के कई पुलिसकर्मी गुजराती श्रावण मास का उपवास रख रहे हैं, जिसके चलते उनकी दाढ़ी बढ़ गई है। पुलिस आयुक्त के निर्देश पर उपवासी पुलिसकर्मियों को दाढ़ी कटवाने का फरमान सुनाया गया है। संयुक्त पुलिस आयुक्त अतुल करवल ने अहमदाबाद के सभी पुलिस थानों, चौकी, पीसीआर वैन, मोबाइल वैन को आदेश जारी किया है, जिसके अनुसार राज्य के किसी भी पुलिसकर्मी को श्रावण मास में दाढ़ी रखने की छूट नहीं है। उपवास कर रहे जिन पुलिसकर्मियों की दाढ़ी बढ़ गई है उसे तुरंत कटवा लेने के निर्देश दिए गए हैं। करवल ने बताया कि समुदाय विशेष को छोड़कर दाढ़ी रखने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जाएगी। उपवास रखने वाले पुलिसकर्मियों ने दाढ़ी रखने की छूट मांगी थी जिसे खारिज कर दिया गया था। इसके बावजूद पुलिसकर्मियों ने उपवास शुरू कर दिया और दाढ़ी नहीं कटवाई। इससे चिंतित आला अधिकारी अब दाढ़ी कटवाने का दबाव डाल रहे हैं।

Courtesy: Dainik Jagran 30.08.2010

अलोक एम इन्दोरिया के मार्गदर्शन मैं परिवार टुडे हुआ बेहतर

ग्वालियर से प्रकाशित हिंदी दैनिक परिवार टुडे शुरुआत मैं तो कुछ खास नहीं कर पाया सिवाय गेटउप मेकउप के लेकिन कुछ दिनों से या य़ू कह लीजिये की जब से आलोक इन्दोरिया संपादक के रूप मैं परिवार टुडे मैं आये है। तब से इस अखबार के दिन फिर गए है। अखबार अलोक इन्दोरिया के मार्गदर्शन मैं बेहतरी की और अगर्सर है। अभी कुछ दिनों से परिवार टुडे मैं खबरों मैं भी सुधर हुआ है। परिवार टुडे की कुछ ख़बरों ने तो पुलिस प्रशाशन और राजनैतिक माहोल को गरमा दिया है।
परिवार टुडे के पूर्व संपादक बालेन्दु मिश्र के जाने के बाद ऐसा लग रहा था की परिवार टुडे की टीम शायद ही किशी नए संपादक को सहयोग करेगी। लेकिन अब लगता है की aलोक इन्दोरिया ने टीम की पूरी बागडोर अपने कुशल हाथों मैं ले ली है। जिस कारन परिवार टुडे मियन पहले से सुधर हुआ है। अन्यथा लोग तो ये कहने लगे थे की परिवार टुडे का हश्र भी आदित्यज की तरह ही होगा। लेकिन आलोक इन्दोरिया ने इन सभी बातों को गलत साबित कर दिखाया। उन्होंने दुनिया को बता दिया की हिम्मते मर्दन ते मदद ऐ खुदा।
इन्दोरिया जी आपको और आपकी टीम को हमारी शुभकामनायें । लगे रहो मुन्ना भाई.

26 GENTLEMEN CADETS OF PC (SL) COURSE-23


Dehradun- 30 Aug 10A total of 26 Gentlemen Cadets of the Permanent Commission (Special List) Course Serial No. 23, passed out today as commissioned officers amidst grand ceremony at the renowned Chetwode Hall of the Indian Military Academy. The ceremony was presided over by Lt Gen RS Sujlana PVSM, AVSM, VSM, Commandant, Indian Military Academy. The course trains selected personnel from the ranks on the Indian Armed Forces found suitable to be given commission in the Indian Army. Lt Gen RS Sujlana PVSM, AVSM, VSM, Commandant, Indian Military Academy in his address to the passing out course said, I immensely appreciate your consistent efforts to reach this goal; it is indeed a praiseworthy and distinguished achievement. You need to continue with the same zeal during your service as an officer. He further said, As commissioned officer, there will be great stress on qualities of leadership, moral, physical courage, discipline, loyalty and integrity towards the nation. This can be achieved only by persistent hard work, ability and dedication. The Commandant also congratulated the families of the newly commissioned officers. The Gold Medal for standing first in the order of merit was awarded to Gentleman Cadet Kanchan Sikdar of the DOGRA Regt. The Gentlemen Cadets turned officers, could be distinctly seen full of pride and enthusiasm as they look forward to serve as officers of the Indian Army and live up to the glory of this premier institution.09837261570

आखिर बदमाशों की अय्याशी का कहां था ठिकाना...?

देहरादून,30अगस्त। वैस्ट यूपी के खूंखार बनमाशें की दून नगरी जहां शरण स्थली बनती जा रही है वहीं प्रौपर्टी डीलिंग व जुवे के बढ़े कारोबार में भी स्थानीय सपफेदपोश नेताओं के तार बदमाशों से जुड़े हुए हैं। इस बात का खुलासा उस वक्त हुआ जब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बदमाशों को पुलिस ने बीती रात घंटाघर से गिरफ्रतार कर लिया। पुलिस को पकड़े गए बदमाशों से पूछताछ में यह भी जानकारी मिली कि बदमाश दून में करोड़ों की जमीन व जुवे के अड्डों को संचालित करने का गेम खेल चुके थे। यहां तक की जुवे के अड्डों को संचालित करेने के लिए स्थानीय कई लोगों को भी इस गैंग नें अपना सदस्य बना लिया था। पुलिस को जानकारी मिली है उसमें कई चौकाने वाले तथ्य यह भी है कि कई बड़े अध्किारियों के साथ इन बदमाशो के संबंध् रहे हैं और उन्हीं के पैसों को दून जमीनों पर यह बदमाश लगाने का खेल खेला करते थे। बीते दिवश राजू रौतेला हत्या काण्उ का मुख्य आरोपी सुशील चौध्री व अमरदीप कोर्ट में पेशी के बाद क्लेमनटाउन थना क्षेत्रा के अर्नतर्गत 105 बीघा जमीन की साईड देखने भी गया था। इसके साथ ही दून में सट् टे का करोबार बढ़ाने के लिए वे अपने साथ अन्य बदमाशों को भी लेकर आया था। और दून में सट्टे का कारोबार बढ़ाने के साथ-साथ एक स्थानीय न्यूज चैनल का अपने को पत्राकार बताने वाले नईम खान के साथ जमीन की साईड देखने भी गया था। इसके साथ ही कई अन्य लोगों से भी मुलाकात कर दून में सट्टे के कारोबार को लेकर मंथन भी किया गया था। पुलिस को देहरादून की सपा नेत्राी हेमा बोरा व सुरभी होटल के मालिक संजय घई से भी बदमाशें के मिलने की पुखता जानकारी सामने आई है और पैसों का मोटा खेल खेले जाने की जानकारी भी मिली है। जबकि पुलिस सूत्रों ो मिली जानकारी के अनुसार पकड़े गए बदमाश पिछले करीब एक हफ्रते से दून में रहकर कारोबार को बढ़ने का खेल खेल रहे थे। यहां तक की एक होटल में इन बदमाशों द्वारा कई दिनों तक अययाशी का खेल भी खेला जाता रहा। जबकि बीते चार दिनों पूर्व एक महिला के साथ इनके विवाद की बातें भी सामने आ रही है। बदमाशें के कई दिनों तक दून नगरी में रहने की भनक न तो पुलिस के आला अध्किारियों को लग सकी और न ही बदमाशेां की किसी गतिविध् िका कोई खुलासा पुलिस कर सकी। जबकि पकड़े गए बदमाश सिरोही गैंग के साथ-साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात बदमाशों में गिने जाते हैं। यहां तक कि पकड़े गये बदमाशों का मेरठ में सट्टे का बढ़ा कारोबार संचालित होता है और इसी कारोबार को दून नगरी में बढ़ाने के लिए यह लोग सुशील चौध्री व अमरदीप के साथ आए थे। जबकि जगन चौध्री और उपेंद्र सिंरोही पटेलनगर थाना क्षेत्रा निवासी नईम खान से भी मिलकर जमीन का सौदा करने में लगे हुए थे। यही नहीं पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बदमाशों के कारोबार में कई बढ़े नेताओं के साथ-बढ़े अध्किारी भी काले ध्न को सपफेद किए जाने का खेल पिछले कापफी समय से खेलने में लगे हुए थे। यहां तक की देहरादून की कई ऐसी विवादित जमीनों पर इन बदमाशों की निगाहें भी लगी हुई थी। इस आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि बदमाशों को स्थानीय किसी ऐसे व्यक्ति ने सभी जानकारी मुहैया कराई थी जो कुछ समय पूर्व ही उत्तर प्रदेश से दून नगरी में आया है और यहां कई विवादित जमीनों पर बदमाशों के सहारे कब्जा करना चाहता है। क्योकि उत्तर प्रदेश में रहते हुए कई बदमाशों से उसकी पटरी नहीं चल पाने के कारण वह दून नगरी में चला आया था। लेकिन यहा आने के बाद भी उसका संपर्क पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बदमाशों से लगातार रहा और यहां रहकर वह कई बढ़े अध्किारियों से भी मोटी रकम लेकर ब्लैकमेल करता रहा है। दून नगरी में कई बार विवादित होने बाद यह व्यकित अब बदमाशों के सहारे जमीन कब्जा कर करोड़ों के वारे न्यारे करना चाहता है। वहीं पुलिस की कल की गई कार्रवाई में स्थानीय लोगों को अभी तक ना पकड़े जाने में भी कई तरह की शंकाएं जन्म ले रही है। क्योंकि अचानक चार बदमाशों को पकड़े जाने का ताना बाना जिस तरह से बुना गया है उसे लेकर दूसरे गुट के पुलिस से मिल जाने की बाते भी सामने आ रही है।09837261570

मशीनी युग में इस प्रकार के प्रयासों से ही मानवता को बचाया जा सकता है। निशंक

देहरादून, 30 अगस्त 2010 मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने हरिद्वार रोड स्थित एक होटल के सभागार में रोटरी इंटरनेशनल द्वारा आयोजित उत्तराखण्ड राज्य पल्स पोलियो सेमिनार का उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने कहा कि प्रदेश सरकार पोलियो के शतप्रतिशत उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है, और इस दिशा में उसे कामयाबी भी मिल रही है। उन्होंने कहा कि गत वर्ष प्रदेश में बाहर से आये एक मामले को यदि अपवाद स्वरूप छोड़ दिया जाय तो उत्तराखण्ड में पोलियो उन्मूलन अभियान को अच्छी कामयाबी मिली है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन सफलताओं के बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग को संतुष्ट होकर नहीं बैठना है, और शतप्रतिश उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पोलियो के विरूद्ध वर्षो से चली आ रही यह लड़ाई अपने आखिरी चरण में आ पहुंची है, और एक मजबूत समग्र प्रयास इसका जड़ से नाश कर देगा।
मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने कहा कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्तराखण्ड सरकार नये मेडिकल कॉलेजो की शुरूआत सहित कई प्रभावी योजनाएं लागू कर रही है। उन्होंने कहा कि 108 एंम्बूलेंस सेवा की सफलता सर्वविदित है। इसी प्रकार हाल ही में कोरोनेशन अस्पताल में लोक निजी सहभागिता के आधार पर नेफ्रोलॉजी सेंटर की स्थापना की गई है। रोटरी इंटरनेशनल द्वारा पोलियो उन्मूलन अभियान में दिये जा रहे योगदान की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि रोटरी इंटरनेशनल के सदस्य न केवल आर्थिक रूप से सक्षम है वरन वे वैचारिक एवं सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध है। उन्होंने कहा कि आज के इस मशीनी युग में इस प्रकार के प्रयासों से ही मानवता को बचाया जा सकता है। उन्होंने रोटरी इंटरनेशनल से प्रदेश के विकास में और अधिक योगदान करने की अपील की।
प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव डॉ. उमाकान्त पंवार ने कार्यक्रम में पल्स पोलियो कार्यक्रम में प्रदेश सरकार द्वारा दिये जा रहे योगदान की जानकारी देने के साथ ही आगामी नीतियों पर चर्चा की। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. एचसी भट्ट ने स्वयंसेवियों द्वारा दिये जा रहे योगदान के साथ ही लोगों में जागरूकता का प्रसार करने वाली विधियों पर चर्चा की।
रोटरी इंटरनेशनल के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मधुकर मल्होत्रा ने बताया कि 1985 में पोलियो की बीमारी 125 से अधिक देशों में फैली थी। और आज यह केवल चार देशों अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नाईजिरिया और भारत में मौजूद है। उन्होंने कहा कि भारत से इस बीमारी का समूल नाश ही सभी का लक्ष्य होना चाहिए।
कार्यक्रम में प्रदेश मीडिया सलाहकार समिति के अजेन्द्र अजय, डॉ. नितिन बिष्ट, पियूष मित्तल, प्रेम भल्ला, जागृति नवानी आदि उपस्थित थे।

गौ, गंगा और हिमालय भारतीय संस्कृति की पहचान .निशंक


देहरादून, 30अगस्त 2010 गौ, गंगा और हिमालय भारतीय संस्कृति की पहचान है और इसके संवर्द्धन, व संरक्षण के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। सरकार द्वारा उत्तराखण्ड में गौे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अनुसंधान की स्थापना की जा रही है। यह विचार मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने हरिद्वार रोड़ स्थित स्थानीय वैडिंग प्वाइंट में श्री गोपाल गौ लोक धाम समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम में संत गोपालमणि महाराज द्वारा लिखित धेनु मानस ग्रंथ का लोकार्पण करने के पश्चात व्यक्त किये।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने धेनु मानस को अद्वितीय गं्रथ बताया। उन्होंने कहा कि इस ग्रंथ के प्रकाशन हेतु स्वामी गोपालमणि जी को भारतीय संस्कृति के ध्वजवाहक व उत्तराखण्ड की जनता की ओर से साधुवाद व्यक्त करते है। उन्होंने कहा कि इस देवभूमि में इस गं्रथ के माध्यम से पूरे देश में एकता एवं त्याग का प्रभावी संदेश जायेगा, जो आज के युग में प्रासंगिक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड देवभूमि की संस्कृति में गौ सहित दुर्गा, सरस्वती आदि को मां के रिश्ते से जोड़कर सम्मान करने की परम्परा है। उन्होंने कहा कि ग्रंथ से यह निष्कर्ष निकलता है, कि गाय मां ही उत्पत्ति का मूल स्रोत है। उन्होंने भारतीय इतिहास व संस्कृति के पुनर्रूत्थान में ग्रंथ को मील का पत्थर बताया।
मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गौ संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाये जा रहे है। इसके लिए ऋषिकेश में गौे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अनुसंधान की स्थापना की जा रही है। गोवंश संरक्षण के लिए राज्य में गोवध पर प्रतिबंध लगाया है। देहरादून के कालसी क्षेत्र में गौ नस्ल सुधार हेतु भ्रूण प्रत्यारोपण केन्द्र विकसित किया गया है तथा गो मूत्र अर्क को आर्थिकी से जोड़ा जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गाय भारतीय संस्कृति को एकता में पिरोती है। उत्तराखण्ड सरकार द्वारा स्पर्श गंगा अभियान द्वारा गंगा की अविरलता, स्वच्छता के लिए स्पर्श गंगा अभियान की शुरूआत की गई है, जिससे प्रभावित होकर विश्व के अनेक देशों ने इसे सराहा है।
इस अवसर पर गं्र्रथ के रचियता गोपालमणि जी महाराज ने कहा कि दैवीय प्रेरणा से उन्होंने इस ग्रंथ की रचना की है। उन्होंने कहा कि गौ माता में दिव्य शक्ति है, जिसे पहचाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गौ संरक्षण की दिशा में किये जा रहे कार्य सराहनीय है।
उपाध्यक्ष खादी ग्रामोद्योग बोर्ड प्रेम बुढाकोटी ने कहा कि गंगा, गाय, और हिमालय पर केन्द्रित इस ग्रंथ को एक साहित्यकार के रूप में डॉ. निशंक द्वारा लोकर्पित करने से इसका महत्वपूर्ण और भी बढ़ गया है।
कार्यक्रम में ग्राम्य विकास राज्यमंत्री श्रीमती विजया बड़थ्वाल, महिला आयोग की अध्यक्षा श्रीमती सुशाील बलूनी, खेल परिषद के अध्यक्ष नारायण सिंह राणा, उपाध्यक्ष प्रांतीय रक्षक दल सुभाष बड़थ्वाल, अध्यक्ष मीडियाल सलाहकार समिति डॉ. देवेन्द्र भसीन, समिति के अध्यक्ष बलबीर सिंह पंवार आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन कलाकार जे.पी.ममंगाई ने किया। 09837261570

सरकार खेल एवं खिलाड़ियों की तरक्की के लिए प्रतिबद्ध ..निशंक.

dehradun 30 augest मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने एनेक्सी स्थित उनके आवास पर उदयीमान पैरा औलंपिक खिलाड़ी प्रेम कुमार से मुलाकात की। मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने प्रेम कुमार को खेल दिवस की बधाई देते हुए, उनका सम्मान किया। मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने कहा कि प्रेम कुमार ने अपनी दृढ़ ईच्छा शक्ति और कौशल का प्रदर्शन करते हुए उत्तराखण्ड का नाम देश-विदेश में रोशन किया है। उन्होंने कहा कि अपनी शाररिक चुनौतियांे का सफलतापूर्वक सामना करते हुए श्री प्रेम कुमार ने ओर लोगों को भी आगे बढ़ने की राह दिखाई है। उन्होंने कहा कि सरकार खेल एवं खिलाड़ियों की तरक्की के लिए प्रतिबद्ध है।
उल्लेखनीय है कि श्री प्रेम कुमार ने हाल ही में राष्ट्रीय पैरा औलंपिक खेलों में बैंटमिंटन प्रतियोगिता में राज्य के लिए दो कांस्य पदक जीते थे। श्री कुमार बैंटमिंटन और तैराकी में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिभाग कर चुके हैं।
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महिला पत्राकार के एमएमएस से मची सनसनी

देहरादून, 30 अगस्त । प्रदेश में अब तक कई एमएनएस काण्ड देश भर की सुर्खियां बनते रहे हैं और राजधनी दून के एक महिला पत्राकार का एमएनएस पिछले दो दिनों से चर्चाओं का बाजार तेजी से गरम हो रखा है। हांलाकि पुलिस ने अभी तक ऐसी किसी भी घटना के ना होने की बात कही है और पीड़ित के पुलिस में शिकायत करने पर कड़ी कार्रवाई की बात कही है। महिला पत्राकार के एमएमएस को लेकर शासन में बैठे शासन के अध्किारियों के साथ-साथ मीडिया जगत में भी बेहद देखने की उत्सुक्ता लगी हुई है। वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह एमएमएस पुराना होने की बातें भी सामने आ रही हैं और विभाग के एक आला अध्किारी का एमएमएस हाने की चर्चा भी सामने आ रही है। और इसे लेकर ब्लैकमेलिंग का खेल भी शुरू हो गया है। चर्चा तो यहां तक है कि इस एमएमएस काण्ड को उसी अध्किारी के विश्वास पात्रा व्यक्ति द्वारा बड़ी चालाकी से बनाया गया था। लेकिन महिला पत्राकार का नाम सामने आने के बाद कई ऐसी महिला पत्राकारों के ऊपर भी उंगलियां उठनी शुरू हो गई हैं जो पत्राकारिता की आड़ में अन्य कामों को अंजाम दे रही हैं। कुलमिलाकर महिला पत्राकार के इस एमएमएस की चर्चा पूरे प्रदेश में आग की तरह पफैल गई है।

जब सेल्स टेक्स अधिकारिओ को बंधक बनाया


अखिलेश उपाध्याय / कटनी


स्लीमनाबाद. शनिवार रात स्वील माईन्स प्रबंधक कर्मिओ ने कर अपवंचन की छापामार कार्यवाही करने पहुची वाणिज्यकर विभाग की टीम को रात में बंधक बना लिया गया.


अधिकारिओ ने उपायुक्त एम् एस चौहान को फोन किया और उन्होंने एस पी कटनी से लगातार संपर्क बनाकर रखा तो टीम को रात सवाग्यारह बजे बमुशिकिल मुक्त कराया जा सका. एंटी इवेजन ब्यूरो श्री चौहान को स्वयं स्लीमनाबाद आना पड़ा.


पुलिस ने वाणिज्य कर अधिकारी जबलपुर पी एन तिवारी की रिपोर्ट स्वील माईन्स मेनेजर पुष्पराज सिंह, जयंत गोस्वामी, पोतेदार, सिक्योरिटी हेड , मिश्र, अनिल गुप्ता के विरुद्ध धारा 147 , 352 , 342 , 506 भादवि के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है हालाकि अभी तक किसी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है.


पुलिस के मुताबिक मार्बल का खनन करने वाली स्वील माईन्स प्रबंधन के विरुद्ध वाणिज्यकर अपवंचन की शिकायतों को लेकर वाणिज्यकर विभाग जबलपुर डिप्टी कमिश्नर एम् एस चौहान ने नेतृत्व में डिप्टी कमिश्नर भोपाल पी के सिंह, वाणिज्यकर अधिकारी नरसिंहपुर बी पी दुबे, आर एन मिश्र, आर जी स्वर्णकार जबलपुर, ऐ के श्रीवास्तव, सी एन तिवारी आदि लगभग पच्चीस अधिकारिओ की टीम ने स्वील माईन्स के गुदरी, पिपरोध, छपरा व कटनी स्थित ठिकानो पर एक साथ छापा मार कर कार्यवाही की.


बताया जाता है की जाँच के दौरान ग्यारह करोड़ रूपये के वाणिज्यकर अपवंचन का मामला सामने आया है. वाणिज्यकर टीम ने शनिवार रात की जाँच कार्यवाही में कर अपवंचन से सम्बंधित दस्तावेजो को सील करने के साथ-साथ दो कमरे व 8-10 कंप्यूटर


भी सील कर दिए थे. अपनी जाँच कार्यवाही पूर्ण करने के बाद सीलबंद किये संदिग्ध दस्तावेजो को लेकर जब वाणिज्यकर टीम रवाना होने लगी तभी माईन्स मैनेजर पुष्पराज सिंह, जयंत गोस्वामी, पोतेदार, सिक्योरिटी हेड मिश्र, अनिल गुप्ता सहित अन्य लोगो ने दस्तावेजो और अभिलेखों को ले जाने से रोकने का प्रयास किया तथा सुरक्षा गार्ड से सभी गेट बंद करवा दिए. वाणिज्यकर अधिकारिओ की टीम को दो घंटे तक फेक्ट्री के अन्दर जबरिया ढंग से अनेक सशत्र गार्डो ने बंधक बना लिया और बाहर निकलने नही किया.


इस पर वाणिज्यकर अधिकारिओ ने आई जी एम् आर कृष्ण व एस पी मनोज शर्मा को मोबाईल पर सम्पूर्ण घटनाक्रम से अवगत


कराया. इसके बाद टी आई एम् पी पौराणिक, कुठला टी आई राजपूत, एस आई बाजपेई,अवध दुबे, केशव दुबे, दीनदयाल दुबे आदि बल सहित फेक्ट्री पहुचे और वाणिज्यकर अधिकारिओ को मुक्त कराकर फेक्ट्री से रात 11 .45 बजे बाहर निकला सभी वाणिज्यकर अधिकारी स्लीमनाबाद पुलिस थाने पहुचे जहा चार घंटे की जद्दो जहद के बाद अंततः माईन्स प्रबंधन के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज की जा सकी. सुबह पांच बजे वाणिज्यकर टीम अपने गंतव्य की ओर रवाना हो सकी.
थाने में लगा रहा जमघट
रात में ही गुदरी में मीदिअकर्मी पहुचे तो माईन्स प्रबंधको ने उन्हें गेट के बाहर रोक दिया और उनसे भी अभद्रता की गई. मौके पर पीली बत्ती गाडी में पहुचे राजस्व व पुलिस अधिकारिओ को भी गेट के बाहर एक घंटे तक रोक दिया गया.


जिला प्रशासन को कमजोर पकड़ते देख जबलपुर से एंटी इवेजन ब्यूरो के डिप्टी कमिश्नर एम् एस चौहान रात बारह बजे तक स्लीमनाबाद पहुचे. उस समय कामर्सिअल टेक्स की टीम, राजस्व अधिकारी सभी थाने में मौजूद थे. माईन्स प्रबंधन ने गुदरी में स्लीमनाबाद टी आई को एक आवेदन किया की वाणिज्यकर टीम ने अभद्र व्यवहार किया. इनके खिलाफ रिपोर्ट की जाए. कंपनी प्रबंधन का कोई भी प्रतिनिधि रिपोर्ट कराने थाने नहीं आया. स्लीमनाबाद पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करने की कार्यवाही में सबेरा कर दिया. सुबह पांच बजे अधिकारी अपने घर लौट सके.


प्रबंधको के हाथो की कठपुतली बनी कटनी पुलिस
इस सम्बन्ध में एम् एस चोहान एंटीविजन ब्यूरो ( उपायुक्त) ने कहा- हमने तीन पेटी कागजात जब्त किये है, सम्भावना है एक बड़ी कर चोरी जाँच में सामने आयेगी. आवश्यकता होने पर आयकर व एक्साइज विभाग को भी जाँच के लिए कागजात उपलब्द्ध करायेगे. यहाँ की पुलिस ने शासकीय कार्य कर रही सर्वे टीम को सहयोग नहीं दिया. इनकी भी शिकायत उच्चाधिकारियो को दी जायेगी.

क्यों बने आक्रांता का मकबरा?

बाबर कोई मसीहा नहीं अत्याचारी, अनाचारी, आक्रमणकारी और इस देश के निवासियों का हत्यारा है
सितम्बर में अयोध्या (अयुध्या, जहां कभी युद्ध न हो) के विवादित परिसर (श्रीराम जन्मभूमि )  के मालिकाना हक के संबंध में न्यायालय का फैसला आना है। जिस पर चारो और बहस छिड़ी है। फैसला हिन्दुओं के हित में आना चाहिए क्योंकि यहां राम का जन्म हुआ था। वर्षों से यहां रामलला का भव्य मंदिर था, जिसे आक्रांता बाबर ने जमींदोज कर दिया था। एक वर्ग चिल्ला-चिल्ला कर कह रहा है कि निर्णय मुसलमानों के पक्ष में होना चाहिए, क्योंकि वे बेचारे हैं, अल्पसंख्यक हैं। उनकी आस्थाएं हिन्दुओं की आस्थाओं से अधिक महत्व की हैं। मुझे इस वर्ग की सोच पर आश्चर्य होता है। कैसे एक विदेशी क्रूर आक्रमणकारी का मकबरा बने इसके लिए सिर पीट रहे हैं। एक बड़ा सवाल है - क्या अत्याचारियों की पूजा भी होनी चाहिए? क्या उनके स्मारकों के लिए अच्छे लोगों के स्मारक को तोड़ देना चाहिए? (कथित बाबरी मस्जिद रामलला के मंदिर को तोड़कर बनाई गई है।), क्या लोगों की हत्या करने वाला भी किसी विशेष वर्ग का आदर्श हो सकता है? (बुरे लोगों का आदर्श बुरा हो सकता है, लेकिन अच्छे लोगों का नहीं। रावण प्रकांड पंडित था, लेकिन बहुसंख्यक हिन्दु समाज का आदर्श नहीं। कंस बहुत शक्तिशाली था, लेकिन कभी हिंदुओं का सिरोधार्य नहीं रहा। हिन्दुओं ने कभी अत्याचारियों के मंदिर या प्रतीकों के निर्माण की मांग नहीं की है। फिर एक अत्याचारी और विदेशी का मकबरा इस देश में क्यों बनना चाहिए? क्यों एक वर्ग विशेष इसके लिए सिर पटक-पटक कर रो रहा है।)
    इतिहास-बोध और राष्ट्रभावना का अभाव
काबुल-गांधार देश, वर्तमान अफगानिस्तान की राजधानी है। १० वीं शताब्दी के अंत तक गांधार और पश्चिमी पंजाब पर लाहौर के हिन्दूशाही राजवंश का राज था। सन् ९९० ईसवी के लगभग काबुल पर मुस्लिम तुर्कों का अधिकार हो गया। काबुल को अपना आधार बनाकर महमूद गजनवी ने बार-बार भारत पर आक्रमण किए। १६ वीं शताब्दी के शुरू में मध्य एशिया के छोटे से राज्य फरगना के मुगल (मंगोल) शासक बाबर ने काबुल पर अधिकार जमा लिया। वहां से वह हिन्दुस्तान की ओर बढ़ा और १५२६ में पानीपत की पहली लड़ाई विजयी होकर दिल्ली का मालिक बन गया। परन्तु उसका दिल दिल्ली में नहीं लगा। वही १५३० में मर गया। उसका शव काबुल में दफनाया गया। इसलिए उसका मकबरा वहीं है।
         बलराज मधोक ने अपनी पुस्तक 'जिन्दगी का सफर-२, स्वतंत्र भारत की राजनीति का संक्रमण काल'  में उल्लेख किया है कि वह अगस्त १९६४ में काबुल यात्रा पर गए। वहां उन्होंने ऐतिहासिक महत्व के स्थान देखे। संग्रहालयों में शिव-पार्वती, राम, बुद्ध आदि हिन्दू देवी-देवताओं और महापुरुषों की पुरानी पत्थर की मूर्तियां देखीं। इसके अलावा उन्होंने काबुल स्थित बाबर का मकबरा देखा। मकबरा ऊंची दीवार से घिरे एक बड़े आहते में स्थित था। परन्तु दीवार और मकबरा की हालत खस्ता थी। इसके ईदगिर्द न सुन्दर मैदान था और न फूलों की क्यारियां। यह देख बलराज मधोक ने मकबरा की देखभाल करने वाले एक अफगान कर्मचारी से पूछा कि इसके  रखरखाव पर विशेष ध्यान क्यों नहीं दिया जाता? उसका उत्तर सुनकर बलराज मधोक अवाक् रह गए और शायद आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएं। उसने मधोक को अंग्रेजी में जवाब दिया था - “Damned foreigner why should we maintain his mausaleum.”  अर्थात् कुत्सित विदेशी विदेशी के मकबरे का रखरखाव हम क्यों करें?
       काबुल में वह वास्तव में विदेशी ही था। उसने फरगना से आकर काबुल पर अधिकार कर लिया था। परन्तु कैसी विडम्बना है कि जिसे काबुल वाले विदेशी मानते हैं उसे हिन्दुस्तानी के सत्ताधारी और कुछ पथभ्रष्ट बुद्धिजीवी हीरो मानत हैं और उसके द्वारा श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर तोड़कर बनाई गई कथित बाबरी मस्जिद को बनाए रखने में अपना बड़प्पन मानते हैं। इसका मूल कारण उनमें इतिहास-बोध और राष्ट्रभावना का अभाव होना है।
लगातार बाबर के वंशजों के निशाने पर रही जन्मभूमि : पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी गुट लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद ने पिछले कुछ वर्षों में करीब आठ बार रामलला के अस्थाई मंदिर पर हमले की योजना बनाई, जिन्हें नाकाम कर दिया गया। ५ जुलाई २००५ को तो छह आतंकवादी मंदिर के गर्भगृह तक पहुंच गए थे। जिन्हें सुरक्षा बलों ने मार गिराया।

कामन वेल्थ खेलो का गीत उसके भावार्थ सहित…

पेश है कामन वेल्थ खेलो का गीत उसके भावार्थ सहित..

प्रसंग : ये पद्य हमने कामन वेल्थ खेलो के गीत से लिया है.. यहां पर नेता अपनी कमाई की खुशी मे जोर जोर से गीत गा रहा है.. गीत का भावार्थ निम्न है..

भावार्थः नेता अपने साथ के ठेकेदारो को यारो कह कर सम्बोधित करता है और कह्ता है कि यारो मैने इंडिया बुला लिया.. अर्थात कि नेता ने पूरे देश से जितने भी ठेकेदार और कम्पनियां थी उनको दिल्ली बुला लिया है.. इसके आगे वो अपने द्वारा किये गये झोल झाल की प्रशंसा करते हुए कह्ते हैं कि ये खेल है और इस से बडा ही मेल है.. अर्थात इस झोल झाल मे बहुत लोग मिले हुए हैं.. और जो नही मिले उन्हे भी मिला लिया.. मिला लिया. (अतिरेक मे नेता इसे दो बार गाता है) इसके बाद वो फिर ठेकेदारो को संबोधित करते हुए कहता है कि तुम लोग रुकना नही, क्यों कि अगर केवल इतना ही खा कर रुक गये तो फिर आगे मौका ना जाने मिले ना मिले.. इसलिये अभी हारना नही .. जुनून से या फिर कानून से.. किसी से भी नही रुकना.. बस मैदान मार लो.. पैसे मार लो.. झपट्टा मार लो..

अपने दूसरे अन्तरे मे नेता कह्ता है कि अगर मै ये माल खा कर पर्वत से भी ऊपर उठ जाऊं तो फिर ये दुनिया सलामी देगी..और मेरे इरादे कहीं सर् दिल ना हो जायें इसलिये तुम सभी ठेकेदार मुझे सूरज जैसी गरमी दो.. अपनी देश की माटी देखो कैसी सजी है. तुम इसे और ज्यादा सजाने के लिये ठेके उठाओ.. कई स्टेडियम हैं, सडकें हैं, पुल हैं मगर समय बहुत कम है.. क्यों कि खेल सिर्फ अभी हैं और सारा माल यहीं समाया हुआ है.. इसिलिये मुझे आजकल लगन लगी हुई है.. (अतिरेक मे नेता इस लगन वाली लाईन को कई बार बोलता है) बीच बीच मे नेता ठेकेदारो का उत्साह बढाने के लिये अंग्रेजी मे लेट्स गो लेट्स गो भी बोलता है.. जिसे अंग्रेजी समझ्ने वाले बडे नेता समझ लेते हैं..

29.8.10

आओ न कुछ बात करें


कुछ अटक रहा था मन में, खटक रहा था जैसा भी आया आपको सौंप रहा हूं.... देखें तो जरा
किसका घूंसा - किसकी लात, आओ न कुछ बात करें...
होती रहती है बरसात, आओ न कुछ बात करें।

अगर मामला और भी है तो वो भी बन ही जाएगा,
छोड़ो भी भी ये जज्बात, आओ न कुछ बात करें।

नदी किनारे शहर बसाना यूं भी मुश्किल होता है,
गांव के देखे हैं हालात, आओ न कुछ बात करें।

इक इक- दो दो घूट गटक कर सैर करेंगे दुनिया की,
पैसे देंगे कुछ दिन बाद, आओ न कुछ बात करें।

बूंद-बूंद ये खून बहा कर क्यों प्यासे रह जाते हो,
बांटे जीवन की सौगात, आओ न कुछ बात करें।

तुम गैरों के हो गए तो क्या! प्यार हमेशा रहता है,
कौन रहा जीवन भर साथ, आओ न कुछ बात करें।

नींदों को पलकों पर रख कर छत पर लेटे रहते थे,
फिर आई वैसी ही रात, आओ न कुछ बात करें।

कमर तोड़ती है सरकार चाहे जिसको कुर्सी दो,
कैसा फूल और किसका हाथ, आओ न कुछ बात करे।

एक ब्लड प्रेशर की गोली साली आदमी को हिजड़ा बना देती है।

हरिद्वार जिला युवा कांग्रेस ने कराया ताकत का अहसास

* हरिद्वार जिला युवा कांग्रेस ने कराया ताकत का अहसास
* युवा जोड़ो अभियान में उमड़े हजारो युवा
* मिसन २०१२ फ़तेह करने का लिया संकल्प
* ५५० नए युवाओ ने ली युवा कांग्रेस की सदस्यता
दिनांक २९/०८/२०१० को रोड धर्मशाला में युवा कांग्रेस के
जिलाद्ध्यक्ष राजीव चौधरी के नेत्रत्व में युवा जोड़ो अभियान सम्मलेन में
हजारो युवाओ ने शिरकत की | कार्यक्रम की अद्ध्यक्ष्ता शहर अद्ध्यक्ष ओ.
पी. चौहान ने की सञ्चालन युवा कांग्रेस जिला महासचिव राम विशाल देव ने
किया | कार्यक्रम में बतौर मुख्या अतिथि युंका प्रदेश अद्ध्यक्ष राजपाल
खरोला व् विशिष्ठ अतिथि पूर्व राजमंत्री संजय पालीवाल, नगर पालिका सभासद
अशोक शर्मा व् युंका शहर अद्ध्यक्ष रविश भटीजा उपस्थित हुए |
युवा कांग्रेसियों को संबोधित करते हुए युंका प्रदेश अद्ध्यक्ष राजपाल
खरोला ने कहा कि कांग्रेस महासचिव राहुल गाँधी के नेत्रत्व में पुरे देश
के अन्दर युवाओ में युवा कांग्रेस का सदस्य बनने की एक होड़ मची है | आज
पुरे देश का युवा कांग्रस व् राहुल गाँधी के साथ खड़ा है | उन्होंने युंका
जिलाद्ध्यक्ष राजीव चौधरी को बधाई देते हुए कहा कि जिस तरह उन्होंने अपने
जिलाद्ध्यक्ष कार्यकाल में युवा कांग्रेस को हरिद्वार जनपद में युवा
कांग्रेस की एक मजबूत टीम खड़ी कर पुरे उत्तराखंड के अन्दर हरिद्वार जिला
युवा कांग्रेस को एक पहचान दी है | उसकी जितनी प्रसंशा की जाये कम है |
उन्होंने आज युवा कांग्रेस में शामिल हुए युवाओ का स्वागत करते हुए कहा
कि उनके हर सुख दुःख में युवा कांग्रेस व् कांग्रेस हमेशा उनके साथ खड़ी
रहेगी |
डॉ. संजय पालीवाल ने कहा कि आज कई वर्षो बाद युवा कांग्रेस के इस
कार्यक्रम में उमड़ी युवाओ की भीड़ ने साबित कर दिया है कि आने वाले
पंचायत व् विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हुए
सभी पार्टियों का सफाया करने में कामयाब होगी | उन्होंने कहा कि भाजपा के
शासनकाल में युवाओ को रोजगार के लिए दर दर भटकना पद रहा है और ये ही
युवा २०१२ में भाजपा को जड़ से उखड कर कांग्रेस की सर्कार बनाने का काम
करेंगे |
युंका जिलाद्ध्यक्ष राजीव चौधरी ने कहा की जिस तरह जनपद के युवाओ ने
उन्हें प्यार और सम्मान दिया है उसके लिए वह हमेशा उनके आभारी रहेंगे और
उनके साथ कंधे से कन्धा मिलकर उनकी आवाज को बुलंद करने का काम करेंगे |
उन्होंने सभी युवाओ से अपील करते हुए कहा कि वे युवा कांग्रेस के सदस्यता
अभियान में बढचढ कर हिस्सा ले ताकि आने वाले चुनावो में युवा कांग्रेस
धुरी बनने का कम करे |
नगर पालिका सभासद अशोक शर्मा ने कहा कि युवा कांग्रेस पार्टी की रीढ़ है
और वह हमेशा युवा कांग्रेस के साथ खड़े होकर युवाओ की आवाज को मजबूत करने
का काम करेंगे |उन्होंने सभी युवाओ से मिसन २०१२ को फतह करने के लिए आज
ही से जुट जाने का आह्वान किया |
कार्यक्रम की अद्द्याक्ष्ता कर रहे शहर अद्ध्यक्ष ओ.पी. चौहान ने सभी
युवो को इसी तरह से एकजुट रहकर भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों को जन जन
तक पहुँचाने का आह्वान किया व् उपस्थित युवाओ धन्यवाद् किया|युवा जोड़ो
अभियान कार्यक्रम में ५५० नए युवाओ ने युवा कांग्रेस की सदस्यता ली|सभी
युवाओ ने राजपाल खरोला, राजीव चौधरी, रविश भटीजाका जोरदार स्वागत किया |
ठाकुर रतन सिंह व् राम विशाल देव ने कहा कि सांसद हरीश रावत द्वारा युवाओ
को दिए जा रहे सम्मान से भी युवाओ में जोश है और वह कांग्रेस के साथ जुड़
रहे है |उन्होंने कहा कि हरीश रावत युवाओ की हर समस्या में उनके साथ खड़े
है जिससे युवाओ का कांग्रेस पर भरोशा बढ़ रहा है |
कार्यक्रम में मुख्य रूप से संजय पाल, मोनू राणा, शरद सैनी, शीतल
तोमर,मनजीत, विकाश सिंह, मनीष जोशी, मनोज मालिक, पंकज कश्यप, राजू टीबरी,
तेलूराम, मनोज धनगर , राहुल चौहान, विश्रांत शर्मा, नितिन त्यागी, अक्षत
शर्मा, अशोक कुमार, दिनेश पुंडीर संदीप गौड़, रितेश शर्मा, नईम खान, गौरव
शर्मा, आशु, गौरव मेहता, पंकज कुमार, राजेन्दर जाटव, विनोद चौहान,
चंदरपाल, गुलसन अंसारी, मुस्तफा, अरसद, आशीष चौधरी, लवली, कुर्बान अली,
नितिन सैनी , रवि तोमर, हरेंदर मलिक, रोहित बालियान, भरत, भूपेंदर, विवेक
भूसन , बिट्टू सैनी, मोनू, विजय खंडूजा, प्रवेश धीमान, अरुण शर्मा ,
कमलकांत, सौरभ दत्ता, प्रवीण, नितिन शर्मा, मानसिंह, सुन्दर, आदि
उपस्थित रहे |

संस्‍कृतलेखनप्रशिक्षणकक्ष्‍या - प्रथमो अभ्‍यास:



प्रिय मित्रों

जैसा कि मैने आप सब से वादा किया था संस्‍कृत में लिखने का प्रशिक्षण प्रारम्‍भ करने का
तो आपके समक्ष प्रस्‍तुत कर रहा हूँ इस कक्ष्‍या का प्रथम संस्‍करण ।
इस पाठ्यक्रम को पूरी मेहनत से और इस तरीके से बनाया गया है जिससे आप संस्‍कृत लेखन में शीघ्र ही सफल हो सकें ।
मेरा दावा है कि इसके पूरे संस्करण पढने व याद कर लेने के बाद आप बहुत ही आराम से संस्‍कृत में लिख सकेंगे और अधिकाधिक समझ भी सकेंगे ।

संस्‍कृतलेखनप्रशिक्षण्‍कक्ष्‍या - प्रथम: अभ्‍यास:


उपरोक्‍त लिंक पर बलाघात करें ।
एक बात और कहनी थी आप सब से , इस ब्‍लागजगत में कई लोग ऐसे भी हैं जो संस्‍कृत में लिखना जानते हैं । उन्हे इस ब्‍लाग पर लिखने के लिये आमन्त्रित कर रहा हूँ, इच्‍छुक लोग मुझे ईमेल करें ।
और कई सारे लोग ऐसे भी हैं जो संस्‍कृत सीखने के इच्‍छुक हैं पर इस कक्ष्‍या की जानकारी न होने के कारण लाभ नहीं उठा पा रहे हैं । इसके लिये आप लोगों से अनुरोध है कि आप अपने ब्‍लाग के साइड में संस्कृतं-भारतस्‍य जीवनम् ब्‍लाग का लोगो लगा लें जिसका कोड आप इस ब्‍लाग के साइडबार से प्राप्‍त कर सकते हैं ।

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भवदीय: - आनन्‍द:

लेखक-पत्रकारों को इससे पहले किसी सरकार ने दिया था इतना सम्मान?
लोक-संस्कृति का मजाक उड़ा रहे है-लोक-संस्कृतिकर्मी
22 अगस्त 2010 को उत्तराखंड के प्रसिद्ध रंगकर्मी और जनकवि गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ हमारे बीच नहीं रहे। लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया। निश्चित तौर पर उत्तराखंड लोक-संस्कृति के लिए यह बहुत बड़ी छती है। जिससे जल्द भर पाना शायद बहुत मुश्किल होगा। गिर्दा से मेरी कई बार मुलाकात हुई थी। लेकिन इस बार जब मैं उनसे मिलने उनके नैनीताल स्थित उनके निवास कैलाखान में मिला था तो,वह काफी थके हुए थे। जब मैने इसकी वजय पूछि तो बोले,बूढा हो गया हूं ना...और जोर से ठाहका लगाते हुए। मुझसे कुर्सी पर बैठने का आग्रह किया। इसके बाद गिर्दा से मेरी काफी लंबी बातचीत हुई। कई ऐसी बातें भी सामने आई,जो शायद गिर्दा को परेशान कर रही थी। हां...उन्हें खुशी थी,उत्तराखंड लोक-साहित्य और लोक-संस्कृति के क्षेत्र में कुछ लोग व्यक्तिगत और सरकारी तौर पर बहुत अच्छा काम कर रहे है। गिर्दा हमेशा पुरस्कार और सरकारी अनुदान से दूर रहे। उन्होंने कभी भी खुद को इनके मायने में नहीं आने दिया।
लेकिन गिर्दा के निधन के बाद कुछ लोगों ने जिस तरह से उनके नाम पर सियासत करना शुरू कर दिया है। यह बहुत शर्म की बात है। इसके लिए हमें,हम सब को शर्म आनी चाहिए। क्योंकि हम एक ऐसे व्यक्ति विशेष के नाम पर भाषण-बाजी कर रहे है। जो अब इस दुनिया में नहीं। जिसने अपने जीवन को कभी भी राजनीति और भाषणबाजी को औदा नहीं ओढने दिया। वह ताउम्र लोक-संस्कृति को खुद को में विस्थापित करता रहा। लेकिन आज कुछ मठाधिश उनके नाम पर जिस तरह से पुरस्कार और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को निशान बना रहे है। यह कहां तक उचित है,यह ये मठाधिश अच्छी तरह जानते है।
यह कौन नहीं जानता हैं कि उत्तराखंड बनने के बाद अभी तक वर्तमान सरकार के अलावा किसी और सरकार ने लोक-साहित्य और लोक-संस्कृति के लिए कितने काम किए,या लेखक-पत्रकारों के बारे में किसने सोचा है। निश्चित तौर पर डॉ.निशंक को अभी सत्ता में आए कुछ ही दिन हुए हो,लेकिन यह उनकी सोच का परिणाम हैं कि,उत्तराखंड के साहित्यकारों-पत्रकारों के लेखन को पहली बार प्रकाशित करने का निर्णय लिया गया। वरिष्ठ लेखको-पत्रकारों को पेंशन देने,प्रदेश में भाषा संस्थान,हिन्दी अकादमी तथा संस्कृति-कला परिषद का गठन उन्हीं के प्रयास का प्रतिफल हैं। प्रदेश के साहित्यकारों,कवियों,कलाकारों को विविध स्तर पर सुविधाओं का प्राविधान,साथ ही उनकी कृतियों का प्रकाशन,दुर्लभ पांडुलिपियों,छाया चित्रों का संरक्षण,लोक-कलाकारों के मानदेय एवं दैनिक भत्तों की दरों को पहले से दुगना किया गया है। ऋषिकेश में हिमालयन म्यूजियम स्थापित किया जाना प्रस्तावित है। रेंजर्स कॉलेज परिसर देहरादून में ललित कला अकादमी की स्थापना के लिए किए गए प्रयास महत्वपूर्ण हैं। इसी दिशा में डॉ.निशंक ने एक कदम और बढ़ाते हुए उत्तराखंड में साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लेखकों के लिए नकद पुरस्कार की घोषणा कर करी है। साहित्य सृजन के लिए मिलने वाले इन पुरस्कारों को स्वर्ण,रजत और कांस्य तीन वर्ग में बांटा गया हैं,जिसमें तीन,दो और एक लाख का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।
इसके बावजूद उत्तराखंड में इन दिनों कुछ साहित्य-संस्कृतिकर्मी डॉ.निशंक के नाम पर लोक-संस्कृति का मजाक उड़ा रहे है। इनका कहना हैं कि सरकार उनकी मदद नहीं कर रही है। उन्हें सहयोग नहीं कर रही है। क्या यहां यह देखना उचित नहीं होगा की कई वर्षों तक राज्य में राज करने वाली कांग्रेस सरकार ने क्या कभी राज्य के लेखक-पत्रकारों के बारे में कुछ सोचा था? क्या इस सरकार से पहले कभी किसी सरकार ने इतने बड़े स्तर पर लेखक-पत्रकारों के लिए काम किया था? कौन नहीं जानता कि कांग्रेस के राज में लोक-साहित्य-लोक-संस्कृति के नाम पर जो करोड़ो रूपाया बांटा गया था। उसका आज तक किसी ने हिसाब नहीं दिया है। कौन नहीं जानता कि कुछ लोक-संस्कृति के ठेकेदारों ने जिस तरह से कांग्रेस के राज में अपनी झोलिया भरी और लोक-संस्कृति का बंटाधार किया। और आज यही लोक-संस्कृति के ठेकेदार डॉ.निशंक से भी इसी तरह की आशा लगाए बैठे हैं,लेकिन डॉ.निशंक के दरबार में जब इनका यह पैंतरा नहीं चला तो,लोक-संस्कृति के नाम पर इन्होंने डॉ.निशंक के ऊपर ही किचड़ उछालना शुरू कर दिया। शर्म आनी चाहिए इन लोगों को,जो पूरे दिन पहले तो उत्तराखंड सचिवालय में खुद के लिए और खुद के रिश्ते-दारों के लिए सहयोग लेने के लिए बैठे रहते है। मैं खुद कई बार ऐसे लोक-संस्कृतिकर्मियों को मुख्यमंत्री के दरबार में हाजरी लगाते देखा है। कभी लोक-साहित्य के नाम पर कभी लोक-संस्कृति के नाम पर यह आज भी लूट मचाना चाहते है। लेकिन जब इनकी दाल नहीं गली तो,मुख्यमंत्री पर किचड़ उछाल रहे है। राज्य के मुख्यमंत्री डॉ.निशंक ने कई बार इन लोगों और इनके रिश्तेदारों को भरसक मदद करने की कोशिश की है। ताकि लोक का विकास हो सकें,हमारी संस्कृति को जीवित रखने वाले लोगो आगे बढ़ सकें। लेकिन इसके बावजूद कुछ लोक-सेवी जिस थाली में खा रहे है। उसी में छेद भी कर रहे हैं,साथ ही जो व्यक्ति ईमानदारी के साथ लोक-सेवा के लिए आगे बढ़ना चाहता है। लेखक-पत्रकारों की मदद करना चाहता है,उसके ऊपर आरोप पर आरोप लगाए जा रहे है। इसके बावजूद उम्मीद कर रहे हैं कि लोक साहित्य के हित में जल्दी काम हो लोक-कलाकारों को आर्थिक सहायता मिले। यहां सवाल यह उठता हैं कि जब इस तरह के लोग मुख्यमंत्री के ऊपर आरोप लगाते रहेगें...तो ऐसे में वह काम कैसे करें। आप खुद ही तो उनकी राहों में कांटे बो रहे है,और उम्मीद कर रहे है...वह हमें फूल दें..।
निश्चित तौर भाषा-परिषद और लोक-संस्कृति के तमाम मुददों पर सरकार को अभी थोडा़ समय लगा रहा है। लेकिन ऐसा नहीं कि यह सब कागजी घोषणाएं है। डॉ.निशंक समय-समय इस बारे में बातते आ रहे हैं कि 'हम बहुत जल्द इस दिशा में आगे बढ़ रहे है। और आने वाले समय में हमारे लोक-कलाकारों और साहित्यकार-पत्रकारों सीधा इसका फायदा पहूंचेगा। बस मैं चाहता हूं कि आप लोग मुझे पर विश्वास करें। मेरे साथ खड़े रहे,तो हम निश्चित तौर पर अपने लोक परिवेश को विश्व के श्रेष्ठ मंच तक लेकर जाएगें। जहां हमारी पहचान सबसे अलग होगी'। लेकिन इसके बावजूद हमारे कुछ लोककर्मी निरंतर डॉ.निशंक पर निशाना साध रहे हैं,कभी पुरस्कारों के नाम पर तो कभी लोक-संस्कृति के नाम पर। और इस सब में सबसे आर्चय की बात तो यह हैं कि इसमें वह लोग भी शामिल है। जो आज खुद मुख्यमंत्री की आर्दश सोच के कारण ही,कई वर्षों से ऐसे पदों पर आसीन है। जिसकी गरीमा की सीमा भी अब पार हो चुकी है। उन्हें तो एक साहित्यकार मुख्यमंत्री देखना ही पंसद नहीं है। इसकी वजह शायद यह भी हो कि अब ऐसे लोगों जिनको डॉ.निशंक ने अपनी आर्दश सोच और अपने से बड़ा होने का सम्मान दिया था। इनकी पापों की सीमा अब पूरी हो चुकी है,ये लोग जो उत्तराखंड की कई संस्थाओं और सम्मानित पदों को खुद की थाती समझने लगे थे। इन्हें आभास हो चुका हैं कि अब इनकी बेमानी ज्याद दिनों तक नहीं चलने वाली है। इसी घबराहट में अब ये लोगों खुद को पाक-साफ रखने के लिए मुख्यमंत्री पर किचड़ उछाल रहे है। लेकिन इन्हें यह नहीं बुलना चाहिए कि ईमानदारी के हाथ बहुत लंबे होते है। वह एक ना एक दिन झूठ के गिरेबान तक अवश्य पहूंच जाते है। इन्हें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि आज उत्तराखंड का मुख्यमंत्री एक साहित्यकार है। यदि उसके ऊपर किसी ने झूठ आरोप लगाए तो,मुझे नहीं लगता इन आरोप लगाने वाले और मुख्यमंत्री की कार्यप्रणाली पर किचड़ उछाने वाला का भविष्य कभी कोई और संवारने के लिए आगे आएगा।
मेरा तो यही कहना हैं कि डॉ.निशंक को लोक-साहित्य और लोक-संस्कृति के लिए काम करने के लिए मौका दें। यदि हम उनके साथ नहीं खड़े हो सकते तो,कम से कम उन्हें गिराने की कोशिश तो ना करें। उन्हें काम करने दें,आरोप-प्रत्यारोप की सीमाओं में उन्हें ना उलझाएं। कहीं ऐसा ना हो की कलम चलने से पहले ही टूट जाएं और इसके लिए दोषी कोई और नहीं बल्कि हम सब ही हो।
जगमोहन 'आज़ाद'