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17.9.10

ये अंधा कानून है



पिंकी उपाध्याय
क्या कानून रामकुमार के पांच साल वापस करेगा

सेंशन कोर्ट सिवनी द्वारा आजीवन कारावास में ग्यारह साल सजा काटने के बाद उच्च न्यायालय द्वारा रामकुमार को : वर्ष की सजा सुनाई गई
सिवनी।
यह ना कहानी है ना ही किसी फिल्म की पटकथा है यह वाकया रामकुमार परते निवासी बगलई थाना केवलारी जिला सिवनी की जिंदगी का है रामकुमार जब सोलह वर्ष का था तो उसके बड़े भाई चंदकुमार परते उम्र 21 वर्ष की रंजिश बगलई निवासी विष्णु साहू उम्र 31 वर्ष से थी इसी के चलते दिनांक 10 मई 1999 को विष्णु और चंद्रकुमार का विवाद हुआ और चंद्र कुमार द्वारा किये गये लाठी के वार से विष्णु साहू की मृत्यु हो गई घटना के समय चंद्रकुमार के साथ उसका छोटा भाई रामकुमार भी मौजूद था केवलारी पुलिस द्वारा प्रकरण बनाकर सिवनी अपर सत्र न्यायाधीश श्री आर.के.जोशी की अदालत में प्रकरण की सुनवाई हुई इस अवधि में रामकुमार एवं चंद्रकुमार सिवनी जेल में रहे दिनांक 17 मई 2001 को रामकुमार एवं चंद्रकुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई जिसके बाद दोनों भाईयों को नरसिंगपुर जेल स्थानातंरित कर दिया गया मई 2005 में हाईकोर्ट से चंद्रकुमार की जमानत मंजूर हो गई और रामकुमार जेल में अकेला रह गया। जिसे फरवरी 2008 में केन्द्रीय जेल जबलपुर भेज दिया गया केन्द्रीय जेल जबलपुर में रामकुमार अपनी बची हुई सजा कटने का इंतजार कर रहा था उसकी सजा के 11 वर्ष 3 माह एवं माफी के 5 वर्ष कुल 16 वर्ष 3माह का कारावास वह भोग चुका था। केन्द्रीय जेल जबलपुर में ही रामकुमार की मुलाकात राजेश उपाध्याय से हुई जो आजीवन कारावास की सजा में केन्द्रीय जेल जबलपुर में बंद थे उनकी सलाह पर रामकुमार द्वारा विधिक सहायता के लिए आवेदन दिया गया एवं उन्हें अधिवक्ता श्रीमति दुर्गेश गुप्ता अपील निराकरण हेतु उपलब्ध कराई गई श्रीमति गुप्ता की दलीलो से संतुष्ट होकर न्यायाधीश श्री जी.एस.सोंलकी एवं श्री राकेश सक्सेना की बैंच द्वारा चंद्रकुमार परते एवं रामकुमार परते को :वर्ष की सजा सुनाई गई जब इस मामले का निर्णय केन्द्रीय जेल जबलपुर पहुंचा तो यह पाया गया कि माफी मिलाकर रामकुमार लगभग तीन गुनी सजा काट चुका है तो उसे तत्काल केन्द्रीय जेल जबलपुर से मुक्त कर दिया गया वर्तमान में रामकुमार अपने गृह ग्राम बगलई को छोड़ चुका है क्योंकि जहां वह निवास करता था वहां खंडहर के अलावा कुछ बाकी नही था। अत:मजदूरी कार्य कर समीपस्थ ग्राम कोहका में जीवन यापन कर रहा है। उक्त प्रकरण में न्याय में होने वाली देरी के कारण रामकुमार परते को अतिरिक्त पांच वर्ष सजा के रूप में काटने पडे क्या अब कानून रामकुमार को उसके ये पांच वर्ष वापस लौटा सकता है ?

1 comment:

Unknown said...

ये बहुत महत्वपूर्ण पोस्ट प्रस्तुत की आपने.............

ऐसे विषय को इतनी बारीकी से छूना और पाठक को सोचने पर मजबूर कर देना आपका अनूठा सामर्थ्य है

बधाई !