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25.11.10

ye to sahi par yahi nahi......

डॉक्टर को गाँव जाये बिना तरक्की नहीं कबिनेट का यह फैसला काबिले तारीफ है किन्तु गाँव में चिकित्सा सुविधाओं का जो अभाव है उसे भरने के लिए पर्याप्त नहीं.गाँव में केवल डॉक्टर की ही नहीं अपितु नयी चिकित्सा सुविधाओं की भी कमी है और सरकार यदि चाहे तो क्या नहीं कर सकती.गाँव में यदि चिकित्सा सुविधाओं की सरकार व्यवस्था करती है तो इससे असमय होने वाली मोतों को रोका जा सकता है साथ ही शहरों के अस्पतालों पर बढती भीड़ को भी .गाँव में बीमारियों के प्रति जागरूकता का अभाव है किन्तु यदि हो भी जाये तो इलाज़ के साधन नहीं हैं .कुत्ता काटने पर वहाँ रबीज़ का इंजेक्शन   नहीं मिलता और यदि मिलता भी है तो उसकी समप्ति अवधि हो चुकी होती है और वह वेसा ही लगा दिया जाता है और इस तरह एक grameen   बेवजह म़ोत के मुह में चला जाता है.गोली लगने पर उसका इलाज़ नहीं .सांप   काटने का इलाज़ नहीं.मेरा उद्देश्य मात्र इतना कहना है कि सरकार को गाँव में डॉक्टर की नियुक्ति के साथ चिकित्सा सुविधाओं की व्यवस्था भी करनी होगी तभी इस फैसले का कोई फायदा जनता को हो पायेगा.

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