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21.3.11

किसी दल से कोई उम्मीद नहीं है असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को

विधानसभा चुनाव-2011
शंकर जालान
विधानसभा चुनाव के मौके पर वाममोर्चा व तृणमूल कांग्रेस समेक अन्य राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवार हर वर्ग के लोगों से उनके पक्ष में वोट देने की अपील कर रहे हैं। इसके यह भी कह रहे हैं कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो विकास की रफ्तार तेज होगी और राज्य में शांति बहाल की जाएगी। उद्योग स्थापित कर बेरोजगारी कम करने का प्रयास किया जाएगा। शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा। मजदूरों की स्थिति सुधारी जाएगी। उम्मीदवार इस अब मतदाताओं को रिझाने में जुटे हुए हैं। कुछ हद तक वे कई वर्ग के लोगों को मनाने में सफल भी हो जाते हैं, लेकिन मजदूरों को इस बात की शिकायत है कि चुनाव के बाद उम्मीदवार उन्हें भूल जाते हैं। कई मजदूरों का कहना है कि माकपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस या भाजपा की झोली में उनका वोट जाने के बावजूद चुनाव खत्म होने के बाद किसी राजनीतिक दल या विधायक को हमारी याद नहीं आती। इस सिलसिले में होली और रविवार की छुट््टी के मद्देनजर कई मजदूरों से बात की गई तो लगभग सभी ने कहा कि हमें किसी पार्टी या उम्मीदवार से कोई खास उम्मीद नहीं है। सभी महज वोट के लिए हमारा इस्तेमाल करते हैं। अगर सच कहे तो हमारी भलाई के लिए कोई दल ईमानदारी से पहल नहीं करता है। चुनाव के वक्त जरूर बड़े-बड़े आश्वासन देते हैं, लेकिन चुनाव परिणाम के बाद हमारी खोज-खबर लेने वाला कोई नहीं। पोस्ता बाजार स्थित चीनी की दुकान में काम करने वाले 55 वर्षीय रघुनाथ यादव ने कहा कि किसी जुलूस में जाना हो या सभा में शामिल होना हो या झंडा पकड़ना हो तो हर पार्टी को हमारी याद सबसे पहले आती है, लेकिन जहां हमारे हक के लिए जायज बात करने का मौका आता है, तो ज्यादातर पार्टियां या नेता हमारे हक को नजरअंदाज कर देते हैं। उन्होंने कहा कि अगले महीने की 27 तारीख को महानगर में चुनाव है। चुनाव के मद्देनजर अभी हर रोज किसी न किसी पार्टी के समर्थक और उम्मीदवार वोट मांगने की अपील लेकर आ रहे हैं और बड़े-बड़े वादे कर रहे हैं, लेकिन पिछले चुनाव के अनुभव यह बताते हैं कि कोई भी पार्टी हो या उम्मीदवार उनकी सुनने वाले नहीं है। नूतन बाजार में नींबू की दुकान में काम करने वाले 38 वर्षीय उदय कुमार ने बताया कि बीतो दो-तीन दिनों हर रोज शाम के वक्त किसी न किसी पार्टी की चुनावी सभा में मजबूरीवश जाना पड़ा रहा है और लगता है यह सिलसिला चुनाव तक चलेगा। उदय कुमार के मुताबिक, पार्टी के स्थानीय नेता दोपहर के वक्त ही आकर मालिक से यह कह जाते हैं कि शाम के वक्त अमुक स्थान पर चुनावी सभा है मजदूरों को भेजना है और मालिक उन्हें सहर्ष स्वीकृत दे देते हैं। उन्होंने बताया कि दिनभर दुकानदारी करो औैर शाम के वक्त पार्टी की चुनावी सभा में शामिल हो। उन्होंने बताया कि सुबह से दोपहर बाद तक कड़ी मेहनत करो और शाम वक्त जब जरा सुस्ताने का मौका मिलता तब मालिक के कहे मुताबिक, सभा में शामिल हो जाओ। उन्होंने बताया कि मन तो तब खराब होता है जब अपने काम के लिए या किसी से मिलने-झुलने के लिए मालिक से छुट््टी मांगने पर अनुमति नहीं मिलती और कहते हैं कि दुकान में कौन रहेगा, लेकिन राजनीतिक पार्टियों के कहने पर वे तुरंत भेज देते हैं। इसी तरह तिरट््टी बाजार में काम करने वाले सत्यनारायण, राजाकटरा के सुंदरलाल, मछुआ बाजार में काम करने वाले परम लाल ने भी शिकायात भरे लहजे में कहा कि काम कराने के वक्त हर पार्टियों को हमारी याद सबसे पहले आती है, लेकिन जब कभी हमारे काम या हित की बात आती है तो पार्टियों के लोग बहानेबाजी करने लगते हैं। मालूम हो कि विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की सूची घोषित होते ही वाममोर्चा समेत तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशियों ने जनसंपर्क अभियान तेज कर दिया है। होली के दिन भी वाममोर्चा और तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार प्रचार करते नजर आए। मालिकतला विधानसभा क्षेत्र से माकपा उम्मीदवार रूपा बागची, बेहला पूर्व से तृणमूल कांग्रेस के शोभन चटर्जी समेत कई अन्य उम्मीदवारों को रविवार को प्रचार करते देखा गया।

1 comment:

shrish srivastava said...

हम मेंहनतकश इस धरती पर जब अपना हिस्सा मांगेगे, एक बाग़ नही एक पेड़ नही हम सारी दुनिया मांगेगे।