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26.3.11

बड़ा बकवास है

बड़ा बकवास है बब्बर , तरफ हर दर्द का रोना ,
चीखती भीड़ में है खो गया शेरों का वो कोना ।
जहाँ भर रात शम्मा याद में जलती जलाती थी ,
किसी खामोश बस्ती में कई सपने सजाती थी ।
कोई माशूक होती थी , कोई होता था दीवाना,
कोई साकी , कोई मयकश , कोई होता था पैमाना ।
गुजारिश जिन्दगी से है , कोई याराना बन जाये ,
कि मैं मयख्वार बन जाऊं , कोई मयखाना बन जाए ।

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