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24.6.11

ईश्वर का अन्याय बनाम साईं बाबा के कारनामों का कच्चा चिट्ठा .....

साईं बाबा के कारनामों का पक्का चिटठा ...........

अभी मेरे एक पसंदीदा ब्लॉग-ग्रुप में एक वरिष्ट पत्रकार ने एक रोचक घटना लिखी , शीर्षक था .

"ईश्वर का अन्याय"


मैंने अपने आप से कहा , कि ईश्वार का अन्याय तो केवल मेरे साथ है, क्योंकि जरा उसका और मेरा झंझट चल रहा है , गलत फहमी है , ये और कौन मेरा भाई उसके अन्याय का मारा आ गया , चलो पता करें . तो यह खबर मिली :

ईश्वर का अन्याय* उसने (ईश्वर ने) स्वयं तो खूब मूर्तियाँ बनाईं | हम लोगों की , पशु-पक्षियों, जंगल पहाड़ नदी समुद्र चाँद सूरज सितारों और तमाम चीज़ों की , अपनी इच्छानुसार,अपने मनोरंजन के लिए । वही अब हमसे कहता है कि मेरी (ईश्वर की) मूर्ति मत बनाओ । खबरदार जो बनाया ! बताइए कितना बड़ा अन्याय है हमारे साथ ?

सोने की चिड़िया भला कोई बताए, नब्बे किलो लोने में कितनी सोने की चिड़िया बनेंगी और तीन सौ किलो चाँदी में कितनी चाँदी की चिड़िया । अब कोई क्यों नहीं कहता कि देश की सोने-चाँदी की चिड़िया तो बाबाओं के शयन कक्ष में क़ैद है । और यह कि यदि मठों-मंदिरों की संपत्ति यदि सार्वजनिक हो जाय तो भारत का एक रूपया अमरोका के पचास डॉलर के बराबर हो जाय ।

९० किलो सोने की बात से मेरे कान खरे हो गए, तो मैंने उन मेरे जैसे भाई को यह लिख कर दिलासा दिया :

आदरणीय वरिष्ट नागरिक जी,

वास्तव में इश्वर बरा ही अन्यायी है , आप जैसे महानुभावों को सिर्फ कुछ कारें , कुछ बंगले , कुछ करोर रुपये,
और उस बाबा के शयन कच्छ में ९० किलो सोना और ३०० किलो चांदी.

कहाँ आप दान शिरोमणि , और कहाँ वह जनता को लूटने वाला .

पर सच्चाई यह है कि अभी ऐसे ऐसे कम से कम १००० कमरे होंगे. क्योंकि मेरे पास बाबा के सभी कारनामों कि पक्की सुचना है , जो बिना इतना सोना चांदी हुए नहीं चलाए जा सकते.

कितना अफ़सोस है ये सब उन्होंने अपने पास रखा. यदि वे ये सब सरकार को दे देते , तो कितने ही ए राजा, कल्मारी , करुन्निदी उसमे से बनाये जा सकते थे.

जिससे मेरे अभिन्न मित्र के पास भी एक आध एक्स्ट्रा बंगला हो सकता था, जिन्हें अंदाजा ही नहीं है कि ९० किलो में कितनी चिरिया बनती हैं. (मेरा काम सोने का रहा है, किसी को बताना नहीं, कभी कभी वो चिरिया किसी किसी के द्वारा मेरे पास बिकने आती थी . एक चिरिया मैं तो दस ग्राम के हिसाब से लेता था . जबकि वो कम से कम २० ग्राम कि होती थी.

बाबा के कारनामों कि संछिप्त सूची क्योंकि कमेंट्स में शब्दों की सीमा है :

What made a man of miracles into a living God? Simply miracles can't take you to the Godliness. After all there are many who perform some or other sorts of miracles. But Satya Sai Baba lived his life for the people. He not only occupied the minds of the people but won their hearts, too, by taking up many social projects.

He supported a variety of free educational institutions, hospitals, and did other charitable works in over 166 countries. The Sri Sathya Sai Institute of Higher Learning (now changed to SriSathya Sai University) in Prashanthi Nilayam. SriSathya Sai University which's Chancellor was Baba himeself. It has three campuses, one at Puttaparthi for men, one at Whitefield,Bangalore for men and one at Anantapur for women. His charity supports an institute for Indian Classical Music called the Sri Sathya Sai Mirpuri College of Music. Baba's educational institutions aim to impart Character Education along with Excellence in academics with emphasis on Human Values and Ethics.

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Sathya Sai Baba chaired the Muddenahalli-Sathya Sai Loka Seva School and Sri Sathya Sai Loka Seva Trust Educational Institutions in Muddenahalli-Kanivenarayanapura regions. In addition, aSathya Sai Baba University and Medical Schoolas well as a world class hospital and research institute are being constructed on over 200 acres (0.81 km2) to serve the destitute population. Baba had said that the campus will be modeled after Puttaparthi and will infuse spirituality with academics.

शेष लिंक पर :

http://worldisahome.blogspot.com/2011/06/blog-post_7159.html


मेरा तो विचार है , कि सरकार को अपना पैसा न देने के जुर्म में बाबा को मरणोपरांत भी मुकदमा चला कर सजा देनी चाहिए.

एक अनुरोध मेरे उन मित्र से भी क्योंकि मुझे पता है वो इसको परहेंगे अवश्य , कि दो-चार अच्छे बाबाओं के नाम भी तजबीज करें,(अपने अलावा), जिनके चरण छू कर हम अपने को धन्य करें.

1 comment:

vidhya said...

आप का बलाँग मूझे आच्चछा लगा , मैं बी एक बलाँग खोली हू
लिकं है www.sarapyar