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15.8.12

स्वतंत्र भारत की समस्याएं और संभावित निराकरण


स्वतंत्र भारत की समस्याएं और संभावित निराकरण 

1.राष्ट्रप्रेम के जज्बे का गिरता हुआ स्तर .
2.दम तोडती मातृभाषा,घुटती हुयी राष्ट्रभाषा ,पोषण पा रही अंग्रेजी भाषा .
3.चरित्र निर्माण विहीन शिक्षा पद्धति,जो सफल नागरिक देने में पूर्ण रूप से असफल हो रही है ।
4.देश में नागरिक भारतीय की जगह हिन्दू,मुस्लिम, इसाई आदि से जाने जाते हैं यानि फुट डालो
   और राज करो .
5.आर्थिक असमानता -97% पूंजी 3% जनता के हाथ में यानी गलत और असफल आर्थिक नीतियाँ .
6.गुलामी की मानसिकता में जीने वाली जनता .
7.अपरिपक्व न्याय व्यवस्था .
8.संविधान सुधार में ढिलाई .
9.दोषपूर्ण सार्वजनिक वितरण प्रणाली
10.पदलोलुप,भ्रष्ट और चरित्रहीन होता शासक वर्ग
11.नारे ज्यादा ,काम कम
12.बेलगाम चुनावी खर्च
13.राष्ट्र के धन का भरपूर दुरूपयोग और लूट .
14.बुनियादी जरुरत की जगह लोकलुभावन अपव्यय बढ़ाने वाली योजनाओं पर बेशुमार खर्च
15.साख खोती पत्रकारिता

समस्याओं का निराकरण

1.राष्ट्रप्रेम की भावना को राष्ट्रपुरुषो के जीवन चरित्र  से जगाया जाता है ,महापुरुषों के सिद्धांतो
   को जीवन में उतार कर पोषित किया जाता है और श्री कृष्ण गीता के दैवीय गुणों से पराकाष्ठा
   पर पहुंचाया जा सकता है .
2.मनुष्य मातृभाषा में ही पहले सोचता है और फिर बोलता है .मातृभाषा का महत्व हमें समझना
   होगा और पुरे हिन्दुस्थान को राष्ट्र भाषा से ही जोड़ना होगा .विदेशी भाषा का स्थान राष्ट्र भाषा से
   ऊपर कभी भी नहीं होना चाहिए ,चीन इसका जीवंत उदाहरण है।
3.शिक्षा पद्धति में भयंकर खामियां हैं ,यह सम्यक और समग्र विकास नहीं करती है सिर्फ आर्थिक
   नागरिक पैदा करती है जो थोडा सा ज्ञान पाकर संवेदनाहिन  बन रहे हैं.
4.संविधान में जरुरी संशोधन किया जाना चाहिए .शिक्षा में नाम के बाद जाती की जगह नागरिकता
   को स्थान दिया जाना चाहिए.संविधान में अगडी जाती  ,पिछड़ी जाती ,अनुसूचित जाती का
   इस्तेमाल नहीं हिकार संपन्न भारतीय,मध्यम वर्ग,गरीब वर्ग का इस्तेमाल हो ताकि सभी का
   सम्यक विकास हो सके।  
5.कर ढाँचे में सुधार ,शिक्षा व्यवस्था को निशुल्क ,आर्थिक आधार पर आरक्षण व्यवस्था लागू कर
   सुधार किया जाना चाहिए .किसान और असंगठित मजदूरो के हितो का ख्याल जरुरी बन गया है .
6.गुलामी की मानसिकता को हटाने के लिए हमें गुलामी के चिन्हों को हटाना होगा .हमें स्वदेशी
   भावना को बढ़ाना होगा .नागरिक मातृभाषा और राष्ट्रभाषा के बल पर सर्वोच्च सेवा क्षेत्र में पहुँच
  सके ऐसी व्यवस्था देनी पड़ेगी .
7.न्याय व्यवस्था पर पुन: विचार होना चाहिए ,पुरे राष्ट्र में सेमीनार हो,बहस हो ,श्रेष्ठ न्यायविदो को
  इस क्षेत्र में जरूरी सुधार के काम पर लगाना चाहिए ताकि त्वरीत न्याय मिल सके .
8.संविधान की कुछ धाराओ में कमी रह गयी है जिसका फायदा शातिर लोग उठा रहे हैं ,उन्हें बदलना
   चाहिए ताकि भ्रष्ट व्यवस्था से हम उबार सके.राजनैतिक पार्टियां यदि राष्ट्र हित में जरुरी संशोधन
   नहीं करती है तो जनता के मत को प्रमुखता दी जानी चाहिए .
9.सार्वजनीक वितरण प्रणाली में खामियां हैं और इसी कारण सरकार द्वारा खर्च किया गया एक रुपया
   जनता तक पहुँचते-पहुँचते दस पैसा बन जाता है और 90पैसा सरकारी अमला लुट लेता है.इसलिए
   सत्ता का विकेंद्रीकरण आवश्यक हो गया है.हर गाँव के पास सत्ता हो ताकि पैसे का सदुपयोग हो सके।
10.सांसदों ,विधायको,पार्षदों ,सरपंच आदि के उम्मीदवारों की योग्यता पुन:तय की जाए .उनकी
    शैक्षणिक योग्यता,उम्र,और निष्कलंक होने के मायने तय हो .भ्रष्टाचार में लिप्त जन प्रतिनिधियों
    के परिवार को चुनाव लड़ने के अयोग्य माना  जाए और भ्रष्टाचार पर कडक कानून बने .
11.कथनी और करनी के फर्क को हटाया जाए .सरकारी नौकरशाहों के कार्य को तय समय सीमा में
    पूरा किया जाने पर जोर दिया जाए.राजनैतिक दल जो भी वादे  अपने चुनावी मेनिफेस्टो में रखते
    हैं और सत्ता में आने पर पूरा नहीं करते हैं तो उन पर जनता से धोखाधड़ी के तहत कानूनी कार्यवाही
    हो
12.चुनावी खर्च में उम्मीदवार को पोस्टर ,बैनर नहीं लगाने दे ,उनके प्रचार के लिए उन्हें आकाशवाणी ,
    दूरदर्शन का निशुल्क उपयोग तय किया जाए.
13.राष्ट्र के धन का सदुपयोग होना चाहिए .किस गाँव या शहर के लिए किस मद पर कितना खर्च होगा
    इसकी जानकारी सम्बंधित विभाग के कार्यालय के बाहर बोर्ड पर लगी हो
14.वोटो की राजनीती के लिए लोकलुभावन योजनाओं पर खर्च बंद हो ,हर क्षेत्र  की बुनियादी जरुरतो
    को तय किया जाए और धन को पहले बुनियादी जरुरतो पर ही खर्च किया जाना चाहिए.
15.पत्रकारिता की जबाबदेही तय हो ,उनके सही और सच्चे प्रश्नों का उत्तर देने की जबाबदारी तय हो .
    उनके अधिकारों को बढाया जाए और मिडिया गलत पाया जाए या खोटी सुचना देता है तो समुचित
    दंड की व्यवस्था हो      

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