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15.9.12

कोई तो मदद करों ! मै परमेश्वर ...



इस पोस्ट पर जिस इंसान की तस्वीर लगाकर मै कुछ लिखने की कोशिश कर रहा हूँ वो मुफलिसी की कोख से जन्मा है ! उसकी पेशानी पर बार-बार पड़ते बल और रह रहकर आँखों से छलकते आंसुओं ने मुझे झंकझोर कर रख दिया ! मुझसे रहा नही गया तो मैंने उसकी परेशानी का कारण पूछ लिया ! उसने जब बेबसी और मुफलिसी के बरपे कहर का जिक्र किया तो यकीं मानिए मेरे रौंगटे खड़े हो गए,मेरी आँखें भर आईं ! एक ओर गरीबी की चादर पर जन्म हुआ,दुसरे विकलांगता ने माँ की कोख से ही साथ पकड लिया ! बैसाखी के सहारे मदद की उम्मीद सरकार से है !
             गरीबी के कहर से कांपते इस इंसान से मेरी मुलाकात लोरमी के व्यवहार न्यायलय में हुई ! मै ७ सितम्बर को एक मामले की पेशी में मुंगेली जिले के लोरमी न्यायलय गया था ! वहां अचानक मेरी नजर उस इंसान की नजरों से जा टकराई,लगा उसके जहन में काफी कुछ चल रहा है ! चेहरे पर परेशानी साफ़ दिखाई पड़ रही थी ! कशमकश के बीच आँखों का भर आना उसकी निराशा का सबूत दे रहा था ! मैंने पूछा भाई तुम्हारा क्या नाम है और क्या परेशानी है ?  उसने अपना नाम परमेश्वर कश्यप बताया ! परमेश्वर के साथ मुझे परमेश्वर का इन्साफ नही दिखा ! उसने आगे बताया की लोरमी ब्लाक के कोतरी गाँव का रहने वाला है ! पिता की मौत ७ साल पहले हो गई थी,माँ और छः भाइयों में परमेश्वर पांचवे नंबर का है ! माँ का नाम यशोदा है ! माँ मजदूरी करती है,खपरे का एक आशियाना था जो इस बार की बारिश में तिनके की तरह बिखर गया ! पिछले ५ साल में परमेश्वर के ४ भाई बारी-बारी से मर गए ! कारण विकलांगता और किडनी की खराबी ! हर भाई की बीमारी पर सरकार और जिले के कलेक्टर से मदद की गुहार लगती एक दरखास्त दी जाती मगर एक भी बार सरकारी मदद नही मिली ! परमेश्वर बताता है उससे छोटा एक और भाई है वो भी विकलांग है ! छोटे भाई के पैरों में पिछले कुछ दिनों से सूजन है जो दिनों दिन बढती जा रही है ! पिता के बाद चार भाइयों की एक-एक कर हुई मौत दूसरे  प्राकृतिक आपदा का कहर मानों क्या करे ना करें ! अब परमेश्वर के आगे अपने टूटे आशियाने के साथ-साथ छोटे भाई की जान बचाने की चुनौती है ! बेबसी और लाचारी ने परमेश्वर को तोड़कर रख दिया है मगर हिम्मत और उम्मीद कायम है ! यही वजह है की वो लोरमी के न्यायलय में ऐसे वकील की तलाश में आया है जो बिना रुपये लिए सरकारी मदद दिलाने वाली एक अर्जी तैयार कर दे ! 
              सरकारें हर बार आखरी व्यक्ति तक पहुँचाने का वादा,दावा दोनों करती है ! मगर हकीकत परमेशवर जैसे कईयों इंसान बता देंगे जिन्हें ६ साल की कोशिशों के बाद भी चाउर वाले बाबा की मदद नही मिल सकी ! परमेश्वर बताता है की भाइयों की बीमारी के दौरान उसने रायपुर जाकर मुख्यमंत्री से मुलाक़ात की और मदद के लिए आवेदन दिया ! कलेक्टर के जनदर्शन से मुख्यमंत्री के दरबार तक गए परमेश्वर को डाक्टर रमन की सरकारी मदद तो नही मिली, हाँ भाइयों की मौत का सिलसिला साल दर साल चलता रहा ! छोटा भाई इलाज के आभाव में मौत के करीब जा रहा है ! मान को निराश्रित पेंशन भर मिलती है ! सरपंच गरीबी रेखा से नीचे का राशन कार्ड नही बनाता ! कोई भी सरकारी योजना का लाभ परमेश्वर और उसके परिवार को नही मिलना जनप्रतिनिधियों और नौकरशाहों की संवेदनहीनता दर्शाता है ! परमेश्वर का आवेदन मेरे वकील साहब ने तैयार करवा दिया है जिसमे भाइयों की सिलसिलेवार हुई मौत का जिक्र है !एक बार फिर आवेदन के जरिये मदद की गुहार लगाने परमेश्वर बैसाखी के सहारे निकाल पड़ा है ! सवाल ये है क्या इस बार के आवेदन में मौतों के आंकड़े देखकर सियासी कुर्सी पर बैठे रहनुमा परमेश्वर पर तरस खायेंगे या फिर उम्मीद के इन्तजार में एक और भाई की मौत हो जाएगी !    सत्यप्रकाश पाण्डेय (लेखक बी टी वी कोरबा में सम्पादक है)

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