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2.10.12


पुराने पाप धोने की भी मांग की जाये और फिर आभार भी व्यक्त करें तो भला नरेश को क्यों ना पसंद आयेगा? 
पाप धोने में भी आभार लेने की तकनीक जिले की राजनीति में ईजाद कर ली गयी हैं।भाजपा की तत्कालीन नपा अध्यक्ष पार्वती जंघेला के कार्यकाल में दुगनी कीमत पर तीन घटिया सड़कें तत्कालीन भाजपा विधायक नरेश दिवाकर के कार्यकाल में बनायीं गयीं थीं। इसकी शिकायत इंका नेता आशुतोष वर्मा ने राज्य सरकार से की थी। प्रदेश की भाजपा सराकर ने पार्वती जंघेला सहित दो सी.एम.ओ. पर 9 लाख से अधिक की रिकवरी निकाली गयी थी जो कि आज तक वसूल नहीं की जा सकी हैं। इन सड़कों को फिर से बनवाने में पुराने पाप धोने में भी आभार प्राप्त करने की उपरोक्त कला का बखूबी प्रर्दशन किया गया। जनता जनार्दन यदि किसी नेता या कुछ नेताओं को शूरवीर मान लें और वाकयी में वे वीर भी ना हों तो भला उन नेताओं का क्या दोष है? दोषी तो जनता जर्नादन ही कहलायेगी जो ऐसे नेताओं को अपना प्रतिनिधि बनाते रहती हैं। मुस्लिम समाज मे हज यात्रा सबसे पाक यात्रा मानी जाती हैं। आज से दो साल पहले अचानक ही सिवनी,छिंदवाड़ा,बालाघाट और मंड़ला जिले के हज यात्रियों को नागपुर के बजाय भोपाल से उड़ान भरने का आदेश जारी हो गया। सन 2010 में चारों जिलों की हज कमेटियों ने इसका पुरजोर विरोध किया था। अब जब फिर नागपुर से ही जाने का निर्णय हुआ तो श्रेय लेने का सियासी खेल भी खूब चला और कांग्रेस और भाजपा ने भी इसमें पूरी कवायत की हैं। इसेस तमाम सवाल पैदा हो गयें हैं जिनका जवाब यदि हम खुद तलाश करें तो सारे खेल का खुलास हो जायेगा।  
पुराने पाप धोने में भी मिलने लगा आभार-पाप      धोने में भी आभार लेने की तकनीक जिले की राजनीति में ईजाद कर ली गयी हैं। इसके लिये पहले पाप धोने की जनप्रतिनिधयों से बाकायदा अखबारों के माध्यम से मांग करानी पड़ती हैं। फिर इसकी स्वीकृति देकर अपना पुराना पाप धोया जाता हैं और फिर मांग करने वालों से अखबार में ही आभार व्यक्त कराया जाता हैं और अपना नाम विनाश पुरूष से अलग कर विकास पुरूष के रूप मे दर्ज करा लिया जाता हैं। चौंकिये नही यह वाकया कहीं और का नहीं वरन अपने सिवनी शहर का ही हैं। पाठकों को याद होगा कि भाजपा की तत्कालीन नपा अध्यक्ष पार्वती जंघेला के कार्यकाल में दुगनी कीमत पर तीन घटिया सड़कें तत्कालीन भाजपा विधायक नरेश दिवाकर के कार्यकाल में बनायीं गयीं थीं। इसकी शिकायत इंका नेता आशुतोष वर्मा ने राज्य सरकार से की थी। तीन साल चली इस लड़ाई के बाद प्रदेश की भाजपा सराकर ने पार्वती जंघेला सहित दो सी.एम.ओ. पर 9 लाख से अधिक की रिकवरी निकाली गयी थी जो कि आज तक वसूल नहीं की जा सकी हैं। यह भी आरोप था कि ये घटिया सड़के तत्कालीन विधायक नरेश दिवाकर के ही विश्वस्त भाजपा ठेकेदारों ने बनायीं थी। जैसे ही नरेश दिवाकर को सरकार ने महाकौशल विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाकर लाल बत्तीधारी बनाया वैसे ही वे अपने पुराने पाप धोने में लग गये। पहले सर्किट हाउस से एस.पी. बंगले तक की घटिया सड़क को बनवाया गया और अब दूसरी सड़क अनिल सिंघानिया के मकान से मठ मंदिर चौराहे तक की सड़क की स्वीकृति दी गयी हैं। इसमें पुराने पाप धोने में भी आभार प्राप्त करने की उपरोक्त कला का बखूबी प्रर्दशन किया गया। यहां एक बात और विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं कि इन दोनों ही सड़कों को बनाने के लिये स्वीकृत की गयी राशि भाजपा के वर्तमान अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी वाली पालिका को ना देकर लोक निर्माण विभाग को देकर यह संदेश देने की कोशिश भी गयी हैं कि घटिया सड़क  बनाने में पालिका ही जवाबदार थी और इसमें किसी और का कोई रोल नहीं था। जबकि मांग और आभार दोनों ही पालिका के पदाधिकारी और पार्षदों ने ही की थी और नरेश दिवाकर को विकास पुरूष बनने का मौका दिलाया था। इसे ही तो राजनीति में कूटनीति कहा जाता हैं।
हज यात्रा जैसे पाक काम में भी खूब हुआ सियासी खेल-जनता जनार्दन यदि किसी नेता या कुछ नेताओं को शूरवीर मान लें और वाकयी में वे वीर भी ना हों तो भला उसमें उन नेताओं का क्या दोष है? दोषी तो जनता जर्नादन ही कहलायेगी जो ऐसे नेताओं को अपना प्रतिनिधि बनाते रहती हैं। मुस्लिम समाज मे हज यात्रा सबसे पाक यात्रा मानी जाती हैं। आज से दो साल पहले अचानक ही सिवनी,छिंदवाड़ा,बालाघाट और मंड़ला जिले के हज यात्रियों को नागपुर के बजाय भोपाल से उड़ान भरने का आदेश जारी हो गया। सन 2010 में चारों जिलों की हज कमेटियों ने इसका पुरजोर विरोध किया था। इस संबंध में जानकार लोगों का कहना हैं कि प्रदेश हज कमेटी और प्रदेश सरकार की अनुशंसा पर सेन्ट्रल हज कमेटी और केन्द्र सरकार हज यात्रियों की उड़ान भरने के लिये एरोड्रम का निर्धारण करती हैं। पिछले साल भी इसका विरोध हुआ और इस साल भी जारी था। पहले तो यह खबर आयी कि चारों जिले के हज यात्रियों अब पहले की तरह नागपुर से हज यात्रा पर जायेंगें। इसके लिये आभार भी व्यक्त कर दिया गया। लेकिन जब आदेश आये तो केवल छिंदवाड़ा जिले के हज यात्रियों के लिये ही नागपुर   किया गया लेकिन बाकी तीनों जिलों को छोड़ दिया गया। यह हल्ला होते ही इन तीन जिलो में खलबली मच गयी। जब चारों जिलो का एक साथ नागपुर से भोपाल परिवर्तन किया गया था तो फिर केवल छिंदवाड़ा को ही यह       सुविधा फिर से क्यों दी गयी और बाकी तीन जिलों को क्यों छोड़ दिया गया? मुस्लिम समाज के नेताओं के अलावा और कांग्रेस तथा भाजपा ने भी परंपरानुसार एक दूसरे पर आरोप लगाते हुये इस मामले में पहल करना शुरू कर दिया। इसी बीच मुस्लिम सामाजिक संस्था अलफलाह तंजीम के दो नौजवानों तनवीर अहमद और रिजवान खॉन ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। याचिका दायर होने के चंद दिनों बाद ही इन तीनों जिलों के हज यात्रियों को भी नागपुर से हज यात्रा प्रारंभ करने के आदेश जारी हो गये। इसकी खबर लगते ही हज जस्ी पाक यात्रा में सियासत का दौर शुरू हो गया। कांग्रेस की ओर से केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ और विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह का आभार व्यक्त किया गया तो जिला भाजपा अल्प सयंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष शफीक खॉन ने विज्ञप्ति जारी कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, छिंदवाड़ा जिले के विधायक प्रेम नारायण ठाकुर, विधायक नीता पटेरिया,मविप्रा के अध्यक्ष रनेश दिवाकर एवं जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन का आभार व्यक्त कर डाला। वहीं दूसरी ओर मुस्लिम समाज की ओंर से याचिका दर्ज करने वालों की प्रशंसा कर डाली। इन सब भारी भरकम लोगों का आभार व्यक्त करने से एक सवाल यह पैदा हो गया हैं कि क्या ये सब वास्तव में भारी भरकम हैं? यदि हैं तो इन सबको यह काम कराने में दो साल का समय क्यों लग गया? जिन कांग्रेस भाजपा नेताओं की नूरा कुश्ती के समाचार सियासी हल्कों में जब देखो तब तैरते दिखायी देते हैं उन्हें भी यह करने में क्यों इतना समय लग गया? इन सब भारी भरकम नेताओं के रहते हुये भी इन चार जिलों के हज यात्रियों को क्या दो साल तक बिना वजह परेशानी का भार नहीं छेलना पड़ा? और यदि भार झेलना पड़ा तो भला अब आभार किस बात का?क्या चार जिलों में से तीन जिलों को पहले छोड़ देना उचित था? प्रदेश  के इन वार जिलो को नागपुर के बदलेे भोपाल से भेजने का पहले लिया गया निर्णय अब गलत साबित नहीं हो गया है? यदि हां तो इस निर्णय को किसने और क्यों लिया था? क्या यह सब भोपाल में हज यात्रियों की खिदमत के लिये हज हाउस बनाने के लिये किया गया था? क्या यह सारी सियासी कवायत अगले साल होने वाले चुनावों को ध्यान में रख कर की गयी है? इन सारे ावालों का जवाब यदि बिना किसी सियासी भेदभाव के हम खुद तलाश करें तो सारा खेल का खुद ब खुद खुलासा हो जायेगा। अब यह तो हमें खुद ही सोचना पड़ेगा कि जिन्हें हम शूर वाीर मान कर अपना प्रतिनिधि चुनते आ रहें हैं वे कितने शूरवीर हैं?”मुसाफिर”          

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