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6.3.13


थोथा चना बाजे घना साबित हो रहीं हैं शिवराज की घोषणायें: दो 
फोर लेन,नरसिंग कालेज,बेडमिंटन हाल और दलसागर के सपने अभी भी हैं अधूरे
भाजपा के जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी है जवाबदार
सिवनी। समूचे प्रदेश में घोषणावीर मुख्यमंत्री की छबि बनाने वाले शिवराज सिंह की ख्याति जिले में भी ऐसी ही हैं।फोर लेन के मामले में उनहोंने घोषणा की थी कि सूरज चाहे पूव्र की जगह पश्चिम से ऊगने लगे लेकिन फोर लेन सिवनी से ही जायेगी।
अपने सिवनी प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्थानीय मिशन स्कूल ग्राउंड में दिनांक 21 अक्टूबर 2009 को आपने सिंह गर्जना की थी कि सूरज चाहे पूर्व की बजाय पश्चिम से ऊगने लगे लेकिन फोर लेन रोड सिवनी से ही जायेगा। इसके साथ ही आपने जनमंच के प्रतिनिधि मंड़ल को दो बार आश्वासन दिया था कि वे उनके कुछ सदस्यों को अपने साथ दिल्ली ले जायेंगें और प्रधानमंत्री,भू तल परिवहन मंत्री और वन एवं पर्यावरण मंत्री से मिलवा कर मामले का हल करायेंगें। इसके बाद जिले के कुरई विकास खंड़ के ग्राम सुकतरा में शिवराज ने दिनांक 16 दिसम्बर 2010 को एक बार फिर मंच से अपने भाषण में लोगों को आश्वस्त किया था कि फोरलेन सिवनी से ही जायेगा। 
यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि विवाद वाली रोड कुरई विकास खंड़ की ही हैं जो कि बरघाट विधानसभा क्षेत्र में आता है जिसका प्रतिनिधित्व भाजपा के युवा आदिवासी विधायक कमल मर्सकोले करते हैं। हालांकि विधायक कमल और मविप्रा के अध्यक्ष नरेश दिवाकर ने अनशन और फिर आमरण अनशन की घोषणा की थी लेकिन जानकारों का मानना भाजपा की गुटबाजी के चलते यह आंदोलन भी मांग पूरी कराये बिना ही स्थगित कर दिया गया था।
इतना ही नहीं वरन मिशन स्कूल में मुख्यमंत्री ने नरसिंह काफलेज के लिये 6ः करोड़,बेडमिंटन हॉल के लिये 45 लाख रु. देने की भी घोषणा की थी। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी कहा था कि दलसागर तालाब को ऐसा सजाया जायेगा कि यहां के लोग अपने मेहमानों को इसे दिखाने में गर्व महसूस कर सकें। दलसागर के आज के हालात देखकर शहर के लोग यह कहने से भी नहीं चूक रहें हैं कि शिवराज जी मेहमानों को यहां लाने में गर्व तो महसूस नहीं होगा वरन शर्म जरूर लगेगी। प्राकृतिक रूप से दो टापू वाले दलसागर तालाब में आपके कार्यकाल में एक टापू और बन गया हैं। क्योंकि इकट्ठी की गयी सिल्ट तक पानी आ जाने के कारण नहीं निकाली जा सकी जिसे लोग अब तीसरा टापू कहने लगें हैं। 
मुख्यमंत्री की इन घोषणाओं के पूरे ना होने के लिये जिले के भाजपा के जनप्रतिनिधि और संगठन के पदाधिकारी भी कम दोषी नहीं हैं जिन्होंने अपनी ही सरकार से मुख्यमंत्री की सार्वजनिक घोषणा के बाद भी शहर को ये सौगातें नहीं दिला पाये।  

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