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10.3.13

बिलख पड़ी भारत माता ........


बिलख पड़ी भारत माता ........

गद्दारों के अभिवादन से, बिलख पड़ी भारत माता 
काटा जिसने बेटे का सिर, उन पापी से कैसा नाता 

शिष्टाचार की परिभाषा भी, बदली इन कपूतों ने 
दुश्मन को अतिथि की उपमा! दे डाली कपूतों ने 
ऐसे कुल कंटक से अच्छा, होती मैं निपूती माता 
काटा जिसने बेटे का सिर, उन पापी से कैसा नाता 

शहीद हुये बेटों से मेरी, आँखे रोई छाती फूली 
लड़ते-लड़ते दुश्मन से, खायी थी सीने में गोली 
उसका मरना तेरा जीना, ऐसा दुःख सहा ना जाता
काटा जिसने बेटे का सिर, उन पापी से कैसा नाता 

देख ना पायी प्रियतम का मुँह, कितना उसने दर्द सहा 
उसके क्रन्दन से सहमा था, जन्नत का कोना -कोना
वीरों के संग कसमें खायी, तब आन-बान लौटाने की 
भूल गया सब कसमे वादे, इस कपूत से कैसा नाता  
 

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