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18.9.14

ख़्वाबों की बातें । (गीत)


ख़्वाबों की  बातें । (गीत)

ख़्वाबों की  बातें, अकसर किया करते  हैं  वो..!
फिर  शब-ए- तन्हाई  में, रोया  करते  हैं  वो..!
 
शब-ए-तन्हाई= रात का अकेलापन;
१.
ज़िंदगी में  कई  हादसे,  आप ने  झेले मगर..!
टूटे ख़्वाबों का  शिकवा  किया  करते  हैं  वो..!
ख़्वाबों की  बातें, अकसर किया करते  हैं  वो..!
 
शिकवा=शिकायत,
२.
बिखरा सा  वो   ख़्वाब  और  अँधेरी  वो  रात..!
हाँ, मातम अब उनका, मनाया  करते  हैं  वो..!
ख़्वाबों की  बातें, अकसर किया करते  हैं  वो..!
३.
ख़्वाबों की  तसदीक़, हम  करें  भी  तो  कैसे..!
शब  होते  हमें, रुकसत  किया  करते  हैं  वो..!
ख़्वाबों की बातें, अकसर किया करते  हैं  वो..!
 
तसदीक़ = सच्चाई की परीक्षा; शब=रात,
४.
इस  ग़म में, हम भी जागे  हैं   कई  रात,  पर..!
अब  हमें, दूर से   सलाम  किया  करते  हैं  वो..!
ख़्वाबों की  बातें, अकसर किया  करते  हैं  वो..!

मार्कण्ड दवे । दिनांक-१७-०९-२०१४.

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