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11.7.15

अटल बिहारी शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरुद्ध सब एक हों

अटल बिहारी शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरुद्ध सब एक हों और इस मैटर को सभी पढ़े और फॉर्वड भी करें ताकि इस भ्रष्ट प्रोफेसर का सच सबके सामने आए-

आदरणीय महोदय,

इस पर ध्यान दें

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में चल रही उठापटक का स्वार्थी तत्व किस तरह फायदा उठाते हैं इसका जीता-जागता उदाहरण है अटल बिहारी वाजपेयी शासकीय कला एवं वाणिज्य विद्यालय। विवि में जो भी उठापटक चलती रहती है उसका फायदा न सिर्फ यहां के प्रोफेसर उठा रहे हैं वरन अपने लगे-बंधे छात्रों को रैंक दिलवाकर अन्य पढऩे वाले योग्य छात्र और छात्राओं का मनोबल भी तोड़ रहे हैं। कुछ प्रोफेसर तो खुलेआम अपनी पहुंच होने का दम भरते है और कहते हैं जो चाहो कर लो।


इनमें कला संकाय की प्रमुख भी शामिल हैं। ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है जिसमें एक प्रोफेसर जो कि अब कला संकाय की प्रमुख बन गई है, ने अपने लगे-बंधे छात्र और छात्राओं को पूर्ववर्ती योग्य छात्र-छात्राओं का स्थान दिलाकर न केवल घोर अपराध किया है साथ ही योग्य छात्र-छात्राओं का मनोबल तोड़कर माता सरस्वती का ही अपमान कर डाला है। पूरा मामला शुरू होता है सनï् 2010 से जब शा.अ.ब.वि.कला एवं वाणिज्य विद्यालय के कला संकाय की पूर्व विभागाध्यक्ष और जिले के कला संकाय की पूर्वडीन माणिक सांबरे ने तीन विशेष योग्यताधारी छात्र-छात्राओं 1साधवी गुप्ता 2 अश्विन चौधरी 3 अनुराधा श्रीवास्तव को अपने ग्रुप में लिया। ज्ञातव्य है कि सेमेस्टर सिस्टम में छात्रों को किसी प्रोफेसर के अंडर में प्रोजेक्ट बनाना पड़ता है। तीनों पढऩे में तेज थे प्रथम सेमेस्टर में तीनों ने विशेष योग्यता प्राप्त की और अपने ग्रुप की लीडर माणिक सांबरे के सम्मान में वृद्धि की लेकिन इसी संकाय की प्रोफेसर रोशन खान ने इस तीनों बच्चों की योग्यता से खार खा गई और तय किया कि वो अपने योग्यताहीन छात्रों को रैंक दिलवाकर ही रहेगी भले ही उसे अवैधानिक काम ही क्यों न करना पड़े। वो इस बात से परिचित थी कि विवि. में चलने वाली कुश्तम-पछाड़ में वो अपने काम को आराम से निकलवा सकेगी। हालांकि यहीं कार्यरत प्रो. रेणु सिन्हा ने उक्त छात्रा के प्रोजेक्ट को मुखपृष्ठ सहित सभी छात्रों को कॉपी करवा दिया और इसके साथ ही अपनी जिम्मेदारी जो कि प्रोजेक्ट के संबंध में उनपर भी बनती थी से पिंड छुड़ा लिया।
प्रो. रोशन खान ने स्वयं ही इस बात को स्वीकार भी किया था कि वो इस पद पर योग्यता नहीं जुगाड़ से पहुंची है। वो अपने होने वाले स्थानांतरण को पैसा खिलाकर टलवा देती है। ये प्रोफेसर साल में नौ महीने अपने पति के पास अमेरिका में गुजार देती है और आज तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। इस कुटिल प्रोफेसर ने सन् 2010 से मैडम सांबरे की शिष्या  के नम्बर काटने शुरू कर दिए थे। सन् 2011 में मैडम सांबरे का तबादला बूंदी राजस्थान हो गया कुछ लोगों का कहना है कि बीच सेशन में जो ये तबादला हुआ है इसके पीछे भी इसी प्रोफेसर का हाथ है। मैडम का तबादला होने के बाद इस प्रोफेसर रोशन बेंजामिन खान को इस विभाग का प्रभार सौंप दिया गया। जब ये लड़की तीसरे सेमेस्टर में थी इस प्रोफेसर ने इस बात का फायदा उठाकर कि सारी कॉपियां अबव ऑर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज में जंची हैं उस छात्रा की कॉपी का उचित मूल्यांकन नहीं होने दिया तथा आवश्यक टिप्पणियां अनावश्यक रूप कटवाते हुए एक उत्तर का तो मूल्यांकन ही नहीं होने दिया। जिससे उक्त छात्रा को सप्लीमेंट्री आई गई। छात्रा द्वारा अपनी कॉपी देखने पर इस बात का खुलासा हुआ। बड़ी मुश्किल से दौड़भाग कर छात्रा ने रिवेल्यूएशन करवाया, छात्रा के पास इसकी पावती भी है, जिससे ये छात्रा अच्छे नम्बरों से क्लीयर हो गई पर भ्रष्ट प्रोफेसर रोशन खान की वजह से इसका रैंक तबस्सुम को दे दिया गया।
इस प्रोफेसर ने ये बात छात्रा से कही भी थी कि मैं तुम्हे पास नहीं होने दूंूगी। कितना शर्मनाक है एक प्रोफेसर का इस तरह का काम करना, जिसे इस बात की जिम्मेदारी दी गई हो कि उसे इस देश का भविष्य गढऩा है। ये प्रो. कॉलेज में रजिस्टर्ड ही नहीं है इसलिए इसका तबादला नहीं होता। इसके बाद उक्त प्रोफेसर ने चौथे और आखिरी सेमेस्टर में अपने अयोग्य छात्रों को इंटर्नल माक्र्स बढ़वाकर रैंक दिलवा दिया। आश्चर्य की बात है कि सेमेस्टर के अयोग्य छात्र जो अंग्रेजी को जानते तक नहीं हैं उन्हें फस्र्ट डिविजन दिलवाया गया। जो तीन अयोग्य छात्र-छात्राएं लाभान्वित हुए हैं उनके नाम हैं 1 किम दिप्ती जैकब, ये छात्रा रोशन खान की भतीजी है, 2 तबस्सुम खान और 3 पंकज इन तीनों में से तबस्सुम खान को उक्त छात्रा का रैंक दिलवाया गया है। इस मामले में विश्वविद्यालय के किसी जिम्मेदार व्यक्ति ने उक्त छात्रा की कोई सहायता नहीं की। ये छात्रा के मध्यमवर्गीय प्रेसकर्मियों के परिवार से होकर बहुत होनहार है। छात्रा के शिकायत करने पर विवि. के कथित जिम्मेदार लोगों का कुनबा इस प्रोफेसर को बचाने में लग गया। ये प्रोफेसर बड़ी घपलेबाज है अगर सही और निष्पक्ष जांच हो तो इसके अन्य घोटालों का पता चल सकता है। इसके साथ ही ये बात अब निश्चित है कि अब वहीं छात्र और छात्राएं रैंक बनाएंगे और पास होंगे जिनको ये प्रोफेसर रोशन खान पास होने देगी। इस प्रोफेसर का पूरा नाम रोशन बेंजामिन खान है और ये वाइट चर्च के पीछे स्थित कॉलोनी में किम दिप्ती जैकब और अपने पिता बेंजामिन खान के साथ रहती है।
बेंजामिन खान का संबंध क्रिश्चियन कॉलेज से रहा है, जहां इनकी बेटी रोशन खान ने भी अध्यापन का कार्य किया है। बेंजामिन खान ने रामायण के सुंदरकांड पर पीएचडी की है। बेंजामिन खान, एक प्रोफेसर जो कि पत्रकारिता के जाने-माने हस्ताक्षर के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार भी विवादास्पद रहे हैं। इनका शोधपत्र विवादास्पद रहा है। परीक्षा के बाद सहपाठी छात्र अश्विन चौधरी को इस बात पर आश्चर्य हुआ कि जो छात्र-छात्राएं अयोग्य थे वो कैसे रैंक होल्डर हो गए, पर क्या करें जिस विवि. के हाथों में सारी ताकत है वो इस तरह के अवैधानिक कामों पर रोक लगापाने में सक्षम ही नहीं है तो फिर किस विश्वास से छात्र प्रवेश लें कि उन्हें योग्यता नहीं एक प्रोफेसर की चाटुकारिता और कृपा से रैंक और अच्छे नंबर प्राप्त होंगे। इस भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों को जागरूक होना ही पड़ेगा। वरना यूं ही छात्रों का भविष्य हर साल बर्बाद होगा।
जब हमने कॉलेज की निर्देशिका पत्रिका को देखा तो उसमें भी इस भ्रष्ट प्रोफेसर का नाम नहीं था। ये जुगाड़ और जोड़-तोड़ करके अभी भी इसी  पद पर बैठी है और भ्रष्टाचार को अंजाम दे रही है।
ये बात भी खूब है-
शासकीय अबव कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में सन् 2010 में एक वर्कशॉप आयोजित की गई थी। इस कार्यक्रम में डॉ. महाशब्दे और प्रोफेसर बार्चे [इनके कहे अनुसार इन्होंने एक गलत बात पर पूरी यूनिवर्सिटी के खिलाफ कोर्ट में केस लड़ा था] सहित अन्य लोगों को व्याख्यान देने के लिए बुलाया गया था। कॉलेज के छात्रों सहित बाहर के छात्रों को जो इस वर्कशॉप में भाग लेना चाहते हों आमंत्रित किया गया था। शुल्क 50 लिया गया था। खाना-पीना वहीं था। प्रोफेसरों से कोई शुल्क नहीं लिया गया था। अलीगढ़ सहित देश के प्रमुख राज्यों से कई प्रोफेसर यहां व्याख्यान देने आए थे।
मजे की बात है कि जब व्याख्यान होना था तब कुछ प्रोफेसर खापी रहे थे ये देखकर छात्रा भी खाने के लिए जा पहुंचे। पर जो प्रोफेसर स्टेज पर से ये सब देख रहे थे और व्याख्यान दे रहे थे आप सोचिए उनपर क्या गुजरी होगी। अरे मैं यहां बोल रहा हूं और वहां मेरे साथी और छात्र जिन्हें कि व्याख्यान सुनना चाहिए वो खापी रहे हैं।
आर्ट्स एंड कॉर्मस कॉलेज के एक प्रमुख व्यक्ति ने वहां के छात्रों से ये कहा था कि हम यहां व्याख्यान सुनने आए हैं और.........
वर्कशॉप के बाद वर्कशॉप में भाग लेने का प्रमाणपत्र भी दिया जाना था। मगर आश्चर्य की बात है कि छात्रों को प्रमाणपत्र दिए ही नहीं गए। हालांकि सभी छात्रों कागजों पर साइन जरूर किए। एक छात्रा ने अवश्य सभी छात्रों को ये बताया था कि जिस कागज पर साइन लिए गए हैं उसमें किट सहित प्रमाण पत्र लेने का वर्णन है पर छात्र भी यों ही वर्कशॉप ठेल रहे थे या कि पार्टी मानकर यहां खाने चले आए थे। छात्रा की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। ये कहा जा रहा था कि प्रमाण पत्र प्रो. रेणू सिन्हा के पास हैं पर वो छात्रों को क्यों नहीं दिए गए ये एक राज है जो आज तक राज ही बना हुआ है। उन प्रमाण पत्रों को जमीन खा गई या आसमान निगल गया कोई नहीं जानता सिवाए प्रोफसरों और भगवान के।
अब आप इसे क्या कहेंगे?
Ajay Shrivastava
satyanveshitruespeaker@gmail.com

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