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28.8.15

गंगा किनारे 200 मी के अंदर रह रही जनता का वीडीए कार्यालय पर धरना


आज दिनांक 28 /08/2015 को VDA कार्यालय पर पर बनारस में नदी किनारे के बाशिंदों के एक महत्वपूर्ण मुद्दे - गंगा किनारे 200 मी के अंदर किसी भी प्रकार के निर्माण / पुनर्निर्माण यँहा तक की मरम्मत आदि पर भी रोक लगाने के तानाशाही सरकारी निर्णय के खिलाफ वीडीए कार्यालय पर उत्पीड़ित बाशिंदों द्वारा धरना - प्रदर्शन किया गया। धरोहर संरक्षण निश्चित रूप से आवश्यक बात है और स्मारक और अन्य ऐतिहासिक निर्माणों के आसपास किसी ऐसे निर्माण जो की उक्त स्मारक की भव्यता को चोट पंहुचाये ,पर प्रतिबंध का नियम तो पहले से ही था लेकिन नदी किनारे के सभी निर्माणों पर यह प्रतिबन्ध गैर वाजिब है। और तमाम उदाहरणों में 200 मी की पैमाइश भी विवादित है।



वीडीए द्वारा जारी नियमावली में मात्र 4 लाइनों के इस तानाशाही फरमान से क्षेत्र की जनता काफी परेशानी की स्थिति में है और वीडीए के अधिकारीयों के भ्रष्ट आचरण से इस नीम पर करेला चढ़ गया है, प्रदेश सरकार के भवन निर्माण विधि कानून के अनुपालन के क्रम में वीडीए के भ्रष्ट कर्मचारी / अधिकारी फायदा उठा रहे है और पैसे और पॉवर के सम्बन्ध के आधार पर कुछ चुनिंदा लोगो को निर्माण की अनुमति दे रहे है और दूसरी ओर बहुसंख्यक जनता को परेशान कर रहे है फलस्वरूप समाज में असमानता का भाव पैदा हो रहा है और कानून के प्रति अनादर भी पनप रहा है। नदी स्वच्छता यह माँग करती है की किसी प्रकार का मलबा आदि नदी में न जाए और वीडीए नियमावली भी किन्तु मरम्मत के अभाव में कई जर्जर मकान धराशायी हुए और होने की स्थिति में है, ये सभी गंगा नदी को प्रदूषित कर रहे है और यह मात्र इस नियम के कारण  हो रहा है। एक स्वयंसेवी संस्था की पहल पर और वीडीए अधिकारीयों की अपरिपक्वता के चलते मान० उच्च न्यायलय ने भी इस प्रकरण में दखल दिया है और फलस्वरूप परिस्थिति और भी विकट हो चली है।

VDA यदि समय रहते क्षेत्रीय जनता को मानक आदि के बारे में अवगत कराया होता तो आज परिस्थिति इतनी विकट न होती की घाट किनारे सारे बाशिंदों को वैधता प्रमाण लेके कार्यालय - २ दौड़ना भागना पड़ता। आज इन्ही समस्याओं को लेकर क्षेत्रीय बाशिंदे VDA कार्यालय धरना देने पंहुचे , धरना स्थल पर बैठते ही आला अधिकारी पंहुच गए और जोर जबरदस्ती लोगो को ,  विरोध होने पर स्थानीय थाने से पोलिस को भी बुला लिया गया बाद में डॉ संदीप पाण्डेय के पंहुचने पर मामला शांत हुआ और धरना शुरू हुआ तो अधिकारी  और सभी आंदोलनकारियों को अंदर हॉल में वार्ता के लिए ले गए, VDA सचिव श्री एम पी सिंह ने ज्ञापन लिया और उचित कारवाई का आश्वाशन भी दिया है प्राधिकरण के अधिकारीयों पर घूसखोरी  पर शर्मसार हुए और वर्तमान सुरसा रूपी समस्या के मूल में VDA का ही नक्करापन के आरोप को स्वीकार भी किया और कहा की आतंरिक तौर पर अवैध  दोषी अधिकारीयों  बख़्शा नहीं जाएगा, एक अन्य उदाहरण में बंगाली टोला क्षेत्र में एक विधायक के सम्पर्की स्थानीय ताक़तवर व्यक्ति के अवैध निर्माण को 3 वर्ष से शिकायत के बावजूद छोड़ने का आरोप लगा जाँच का भी दिया। जजेस गेस्ट हाउस नगवा के नक़्शे को शासन स्तर पर अनुमति मिलने की बात कही और शासनस्तर से ही प्रयास करके गरीब मजलूमों के भवनों को न तोडा जाए की प्रार्थना पर असमर्थता भी जाहिर किया।

भेंटवार्ता और धरने में विख्यात सामाजिक कार्यकर्त्ता डॉ संदीप पाण्डेय ने कहा की, "धरोहर संरक्षण जरुरी है लेकिन यह काम जीवित लोगो के अपने घर में सुरक्षित रहने के अधिकार और छोटे मोटे आजीविका के अधिकार को छीन के सम्पादित नहीं किया जाना चाहिए। " नियमावली में ही लिखा है की मठ मंदिरों को अनुमति दी जाएगी , अजीब है की भगवान का तो नया घर बन सकता है लेकिन इंसान अपने घर की मरम्मत भी नहीं करा सकता है और जिस गरीब के पास और कोई विकल्प न हो वो उसी जर्जर घर में दब कर मरने पर मजबूर हो रहा होगा या वीडीए के लोगो की जी हुजूरी और जेब गर्म कर रहा होगा।  हम सभी जानते है की यह शहर अति पुराना है और यहाँ के घर गलियाँ सब पुराने और जर्जर हैं जो की लगातार मरम्मत की माँग करती होंगी, ऐसे में ये कैसा कानून है जो मरम्मत पर भी प्रतिबंध लगाता है और यदि किसी व्यक्ति के २ कमरों का घर है कल को उसके बच्चे बड़े हुए, शादी हुयी, परिवार बढ़ा तो भी वह 2 ही कमरों में रहे ये कैसे संभव है , हम सरकार से माँग करते है निर्माण की शर्ते चांहे तो कड़ी बनाये और उसके अनुपालन के तंत्र को भी मजबूत बनाये मगर आम नागरिकों को अपने इस इस तानाशाही फरमान से निजात दिलाये। और तत्काल प्रभाव से जो ध्वस्तीकरण और नोटिस आदि की कारवाई चल रही है उस पर रोक लगाई जाए और वीडीए को इस कार्यक्रम से अलग करे क्युकी हाल ही में प्रकाशित कैग की रिपोर्ट में प्रदेश के सारे विकास प्राधिकरणों की कार्यप्रणाली पर अंगुली उठाई गयी है और एक बात की बनारस में पिछले 3- 4 दशक में वीडीए ने गंगा किनारे कितने नक़्शे पास किया है यह सार्वजानिक कर दे तो वीडीए की कार्यप्रणाली और मुस्तैदी का पता स्वयमेव चल जाएगा।

धरना और ज्ञापन सौंपने वालों में प्रमुख रूप से संदीप पाण्डेय, पीतांबर मिश्र, चिंतामणि सेठ, धनञ्जय त्रिपाठी, वल्लभाचार्य पाण्डेय, रवि शेखर, गिरीश पाण्डेय, आनंद तिवारी, लक्ष्मीबाई, जमुनी देवी, गिरिसंत,हरी शर्मा, बृंदा देवी,रेनू पाण्डेय, प्रदीप सिंह,  नंदू सोनकर, प्रेम सोनकर, द्रौपदी द्विवेदी रोहित, विनय सिंह, दीनदयाल,  राजन श्रीवास्तव, हीरामणि, रामसेवक तिवारी आदि सहित सैकड़ों महिला पुरुष उपस्थित रहे।    

प्रेषक
धनञ्जय त्रिपाठी
साझा संस्कृति मंच
7376848410

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