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14.8.15

तिरंगे के भगवा और हरे रंग के पक्षधर ये ना भूले कि दोनों के बीच शांति का प्रतीक सफेद रंग भी है जिसके बिना देश की प्रगति की कल्पना संभव नहीं

आज हम 69 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे है। अंग्रेजों की 2 सौ साल की गुलामी के बाद आज के दिन हमें आजादी मिली थी। जिन अंग्रेजों के राज में कभी सूरज नहीं डूबता था उन्हें अहिंसा के हथियार से हमने देश से खदेड़ दिया था। हमने अपने संविधान में धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनने का संकल्प लिया था लेकिन कुछ तबकों में फैली संप्रदायिक ताकतों के चलते  हमें देश को एक और अखंड़ रखने के लिये आजादी के बाद भी तीन तीन गांधियों,महात्मा गांधी,इंदिरा गांधी और राजीव गांधी, की शहादत देनी पड़ी। आज भी देश के कुछ हिस्सों में आतंकवाद का खतरा मंड़रा रहा है। आये दिन पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान युद्ध विराम और सीमाओं का उल्लंघन करके सीमा पर गोलीबारी करते रहता है। 



हमारे जवान ना केवल उनका मुंहतोड़ जवाब देते है वरन कई जवान तो शहीद भी हो जाते है। इसके अलावा सांप्रदायिक हिंसा की घटनायें भी हमें शर्मिंदा करती रहतीं हैं। हमें यह समझना और मानना पड़ेगा कि आतंवादियों और अपराधियों का कोई भी धर्म या मजहब नहीं होता। कोई भगवान या खुदा नहीं होता। वो सिर्फ आतंकवादी या अपराधी ही होता है। लेकिन आजादी के इतने साल बाद भी देश में बहुत से ऐसे लोग हैं जो आतंकवादियों और अपराधियों में रंग के आधार पर परहेज करते है। कभी कोई हरे रंग का पक्षधर दिखायी देता है तो कभी कोई भगवे रंग के पक्ष में लामबंदी करते दिखता है। जबकि होना यह चाहिये कि आतंकवादी हो या अपराधी उससे उसके कर्मों के आधार पर व्यवहार किया जाये ना कि धर्म या जाति के आधार पर। वैसे तो हमने अपने राष्ट्र ध्वज में भी केसरिया (भगवे) और हरे रंग का प्रयोग किया है लेकिन दोनों ही रंगों के बीच में सफेद रंग पर अशोक चक्र भी बनाया है। हालांकि इन रंगो के  प्रतीक कुछ और माने गये थे लेकिन आज के परिपेक्ष्य में देखें तो भगवे और हरे रंग के पक्षधर के रूप में जो लोग भी सामने आये है वे शायद यह भूल गयें हैं कि इन दोनों रंगों के बीच में शांति के प्रतीक सफेद रंग को भी रखा गया है। ताकि सभी वर्गों और धर्मों के बीच अमन चैन और शांति बनी रहे। सिर्फ भगवे और हरे रंग से तिरंगा पूरा नहीं हो सकता जब तक कि उसके बीच में शांति का प्रतीक सफेद रंग नहीं होगा। इसलिये आज यह समय की मांग है कि देश के सभी राजनैतिक दल जात पात,धर्म मजहब, भाषा और क्षेत्रीयता की भावना को वरीयता ना दें और संविधान की मूल भावना के अनुरूप देश को एक मजबूत और विकसित धर्म निरपेक्ष राष्ट्र बनाने में प्राण प्रण से जुट जायें। तो आइये आज के दिन हम यह संकल्प लें कि आतंकवादियों और अपराधियों में हम मजहब या धर्म के आधार पर हरे या भगवे रंग का पक्षधर बनने के बजाय तिरंगें के तीनों रंगों का सम्मान करते हुये आपसी भाईचारा और अमन चैन कायम करके देश को प्रगति के पथ पर तेजी से अग्रसर करने में जुट जायेंगें। 

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