Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

15.8.15

मन रंग गया भोला रंग .....

-रामजी मिश्र 'मित्र'-

लखनऊ :  आस्था का एक ऐसा सैलाब जो तन मन से लेकर सड़कों तक। गंगाघाट से शिवमंदिरों तक सिर्फ और सिर्फ भक्तिभाव का विचित्र और सुंदर माहौल। नाचते कूदते और भजन कीर्तन करती शिवभक्तों की छोटी-बड़ी टोलियाँ। लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ सुनिश्चित शिवमंदिर। वातावरण अद्भुत सा भक्ति में सराबोर, हो भी क्यों न सावन का महीना जो है। सावन के महीने के शुरू होते ही सड़कों पर कवारियों का समूह ऐसा लगता है जैसे साक्षात भक्ती का अवतार हो गया हो। न तन की सुध न मन की चिंता फिकर बस एक मंजिल शिव के दर्शन। माना जाता है "जो गंगाजलु आनि चढ़ाइहि। सो सानुज्य मुक्ति नर पाइहि॥"



इसी लिए लोग कावर लेकर शिव दरशन को जाते हैं। पिछले 4-5 वर्षो से कावर  यात्रा कर रहे 21 वर्षीय अंकुर त्रिवेदी(ब्रम्हावली) बताते है कि यह जीवन के सबसे महत्वपूर्ण पल होते हैं। राह में होने वाली तकलीफ के बारे में पूछने पर वह मुस्करा के कहते हैं "काटा लगे न कंकर प्याला शिव नाम का पिया"। पूर्व की भांति इसमे इस बार भी उतना ही उत्साह है। गंगाघाट से लेकर शिव मंदिरो तक बच्चों, बूढ़ो और नवयुवकों सभी को उत्साह के साथ कावर ले जाते देखा जा सकता है। सावन महीने में गंगाजल भर कर पैदल कई दिन चलते हुए शिवमंदिर मे उसे चढ़ाना एक अनोखी आस्था ही तो है।

भगवान शिव के बारे में तुलसीदास ने लिखा है; "आशुतोस तुम अवढर दानी। आरति हरहु दीन जनु जानी॥"  भक्तों का मानना है कि ऐसे अवढर दानी (मुह मागा वरदान देने वाले) और दुख हरने वाले भोला की शरण बड़े भाग्य वालो को मिलती है। भोला के विशाल हृदय की महिमा का गुणगान करते हुए 70 वर्षीय ईस्वरदीन नाम के कावरिया ने बताया कि ऐसा बिलकुल नही कि कावरियों को थकान नही लगती या फिर इनके पैरों मे छाले नही पड़ते हा ये जरूर है उन्हे इसकी फिकर ही कहाँ जिसे भोले का रंग लग जाए उसे अपनी परवाह नही रहती। गंगा घाट से जुड़ी सड़के कवारियों के रंग रंग चुकी हैं सावन भर आसमान शिव के भजनो जयकारों से गूँजता रहेगा। यह अद्भुत दृश्य सिर्फ सावन मे ही देखा जा सकता है। कावरियों का जगह जगह पड़ाव और उनका स्वागत सब कुछ देखते ही बनता है। शिवभक्तों का मन उल्लास से भरा हर कदम शिवदरसन की लालसा लिए बढ़ता जाता है। भक्तों को किसी भय किसी कष्ट की कोई परवाह नही उन्हे तो पता है ...दरबार में भोले बाबा के दुख दर्द मिटाये जाते हैं...।

यूपी में कड़े प्रतिबन्ध के बावजूद खुले आम बजा रहे डीजे, जिलाधिकारी भी नहीं करा पा रहे पालन

कांवरियों के जत्थे ने डीजे पर प्रतिबन्ध को जगह जगह नकार दिया है। शासन प्रसासन न सिर्फ मूक दर्शक है बल्कि आदेशों के पालन कराने की अधिकारी जहमत नहीं उठा पा रहे। भक्त कांवरियों पर आदेश का कोई असर दिखाई नहीं देता। पूरे प्रदेश में डीजे बजाते कांवरियों को देखा जा सकता है। डीजे बजाते कांवरियों की तस्वीरें सरकार के कड़े आदेशों को मुह चिढ़ाती नजर आ रही हैं और अधिकारी भी जान सैलाब के आगे बेबस नजर आ रहे हैं। सरकार के द्वारा लागू उक्त प्रतिबन्ध के सम्बन्ध में सोसल मीडिया पर भी जमकर निंदा हुई है। कुछ जगहों से प्रतिबन्ध के कारण पुलिस से मामुली कहासुनी की ख़बरें भी उछलती नजर आई हैं। सरकार का आदेश अधिकारियों के लिए सरदर्दी सा बन गया है वह मसले पर बेबस नजर आ रहे हैं।


No comments: