Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

31.8.15

उत्तराखण्ड क्रिकेट को लेकर सियासत हो रही हैः दिव्य नौटियाल


-आशीष वशिष्ठ-

उत्तराखंड के क्रिकेट खिलाड़ी देश भर में धूम मचा रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद यहां आज तक क्रिकेट का बुनियादी ढांचा तक खड़ा नहीं हो पाया है। मगर उत्तराखंड के खिलाड़ी अपने गृह राज्य से नहीं खेल सकती क्योंकि भाजपा और कांग्रेस सहित अन्य दलों के नेता भी अपनी-अपनी एसोसिएशन लेकर क्रिकेट के खैरख्वाह होने का दावा कर रहे हैं। सबको अपनी दुकान चलानी है और सब बीसीसीआइ की राज्य एसोसिएशन से संबद्धता की राह में रोड़ा बने हुए हैं। नतीजतन उत्तराखण्ड क्रिकेट को बीसीसीआई से मिलने वाली मान्यता सियासत की भेंट चढ़ गई है।



उत्तराखण्ड क्रिकेट एसोसिशन (यूसीए) क्रिकेट को लेकर प्रदेशभर में सक्रिय है। उत्तराखण्ड क्रिकेट के वर्तमान और भविष्य को लेकर यूसीए के सचिव एवं पूर्व क्रिकेटर दिव्य नौटियाल से आशीष वशिष्ठ ने विस्तार से बातचीत की। पेश है दिव्य नौटियाल से आशीष वशिष्ठ की बातचीत के प्रमुख अंश-


उत्तराखण्ड क्रिकेट को बीसीसीआई की मान्यता अब तक क्यों नहीं मिली।
उत्तराखण्ड निर्माण के डेढ दशक बाद भी राज्य क्रिकेट एसोसिएशन को बीसीसीआई से मान्यता न  मिल पाना अफसोसजनक है। असल में राज्य की विभिन्न क्रिकेट एसोसिएशन में ऐसे लोग शामिल हो गये हैं जिनका क्रिकेट से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं रहा है। निजी स्वार्थ साधने में लगे चंद लोग ही राजनीति कर रहे हैं। हमारी संस्था उत्तराखण्ड क्रिकेट एसोसिएशन (यूसीएस) बीसीसीआई से मान्यता पाने के लिये प्रयासरत है।

क्या उत्तराखण्ड क्रिकेट को लेकर सियासत हो रही हैै।
हां, उत्तराखण्ड क्रिकेट को लेकर सियासत हो रही है। चंद स्वार्थी लोग नहीं चाहते हैं कि उत्तराखण्ड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन को बीसीसीआई से मान्यता मिल पाये। उत्तराखण्ड क्रिकेट एसोसिएशन  (यूसीए) चाहता है कि राज्य में संजीदगी से क्रिकेट के लिये कार्यरत संस्थाएं एक बैनर तले आकर मान्यता दिलाने व क्रिकेट को आगे बढ़ाने का काम करें। उम्मीद है जल्द ही ये बात सबको समझ में आएगाी और उत्तराखण्ड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन को बीसीसीआई से मान्यता मिल जाएगी।

अभी हाल ही में उत्तरांचल क्रिकेट एसोसिएशन (यूसीए) के सचिव चंद्रकांत आर्य ने बीसीसीआई के सचिव व मान्यता कमेटी के चेयरमैन अनुराग ठाकुर से दिल्ली में मुलाकात के बाद यह दावा किया है कि जल्द ही यूसीए को बीसीसीआई से मान्यता मिल जाएगी। असल में चंद लोग चाहते ही नहीं है कि उत्तराखण्ड में क्रिकेट फले-फूले। उत्तराखण्ड में क्रिकेट की पैरवी करने वाले तमाम संगठनों व एसोसिशन की कमान उनके हाथ में है जिनका क्रिकेट से दूर-दूर का नाता ही नहीं है।

बीसीसीआई से मान्यता ने मिलने पर कैसा माहौल है।
राज्य बनने के 15 वर्ष पूर्व होने के बाद भी किसी मान्य क्रिकेट संगठन का न होना युवाओं के लिए शुभ संकेत नहीं है। मानयात ने मिलने के कारण प्रदेश के युवाओं का रणजी टॅ्राफी या राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभाग करने का मौका नहीं मिल पाता और प्रतिभायें एक सही मुकाम तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देती हैं।

आपके अनुसार किस एसोसिशन को मान्यता मिलनी चाहिए।
उत्तराखण्ड में अलग-अलग नामों से तीन-चार संस्थाएं बनी हुई हैं, जिन्होंने बोर्ड में अपने आवेदन दिये हुये है कि हमारी संस्था क्रिकेट को लेकर गंभीर है इसलिए हमें मान्यता दी जाए। एकाध संस्था को लेकर न्यायालय में विवाद भी विचारधीन है। यह बड़ी दुखभरी स्थिति है। इससे खिलाडियों का नुकसान हो रहा है। बीसीसीआई को प्रदेश में सक्रिय सभी एसोसिएशन से वार्ता करने और उनका पक्ष सुनने के बाद ही कोई उचित फैसला लेना चाहिए। क्योंकि अगर प्रदेश में क्रिकेट की कमान गलत हाथों में चली गयी तो उसका खामियाजा प्रदेश के हजारों प्रतिभावान खिलाड़ियांे को भुगतना पड़ेगा।

उत्तराखण्ड क्रिकेट  एसोसिएशन (यूसीए) के बारे में बताएं।
उत्तराखण्ड क्रिकेट एसोसिएशन एक राज्य स्तरीय क्रिकेट एसोसिएशन  है जो उत्तराखण्ड राज्य में वर्ष 2000 से क्रिकेट के खेल को आयोजित कर रहा है। हमारी संस्था का पंजीकरण वर्ष 2005 में कम्पनीज एक्ट 1956 की धारा-25 नो प्राफिट नो लॉस के आधार पर हुआ है, परंतु हमारी संस्था को बोर्ड ऑफ कंट्रोल फार क्रिकेट इन इण्डिया बीसीसीआई द्वारा अभी तक मान्यता प्रदान नहीं की गयी है। हमारी संस्था द्वारा प्रधानमंत्री भारत सरकार को दिये गये प्रतिवेदन के बाद बीसीसीआई द्वारा उत्तराखण्ड राज्य में एक राज्य स्तरीय क्रिकेट एसोसिएशन का मान्यता प्रदान करने हेतु वर्ष 2009 में एक कमेटी का गठन किया गया जिसके समक्ष दिनांक 29 अगस्त 2009 को मुंबई में हमारी संस्था द्वारा मान्यता प्रदान करने हेतु सभी साक्ष्य प्रस्तुत किये गये, परंतु उक्त कमेटी के निर्णय से हमें अभी तक अवगत नहीं कराय गया है। हमारी संस्था उपरोक्त मान्यता प्राप्त करने हेतु प्रयासरत है। इस संबंध में अवगत कराना है कि श्री आरपी ईश्वरन, अभिमन्यु क्रिकेट एकेडमी देहरादून, श्री संजय गोसाई तनिष्क  क्रिकेट एकेडमी, श्री तवेन्द्र सिंह रावत, पूर्व मंत्री व श्री राजेंद्र पाल यूनाईटेड क्रिकेट एसोसिएशन तथा श्री आलोक गर्ग ने हमारी संस्था के निदेशक पद स्वीकार कर लिये हैं।

उत्तराखण्ड क्रिकेट  एसोसिएशन (यूसीए) कैसे प्रदेश में क्रिकेट को बढ़ावा दे रही है।
यूसीए उत्तराखण्ड में क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिये अंतर जिला प्रतियोगिताएं, कोचिंग कैंप, मूक बधिर क्रिकेट मैच, विकलांग क्रिकेट मैच, महिला क्रिकेट मैच का आयोजन करवा रहा है। यूसीए के पास वर्तमान में दो क्रिकेट स्टेडियम हैं। जिसमें से एक में फ्लड लाइट  लगकर पूर्णतयरू उपलब्ध है तथा उत्तराखण्ड राज्य के सभी १३ जिलों में हमारी संस्था द्वारा मान्यता प्राप्त जिला स्तरीय पंजीकृत एसोसिएशन है। इन परिस्थितियों में उपरोक्त मान्यता हेतु हमारी संस्था का दावा सबसे ज्यादा प्रभावशाली है। उपरोक्त मान्यता न दिए जाने के कारण उत्तराखण्ड राज्य के क्रिकेट खिलाडियों का विगत १५ वर्षों से अहित हो रहा है।

उत्तराखण्ड में क्रिकेट की क्या संभवानाएं हैं।
उत्तराखण्ड का एनवायरमेंट और कंडीशंस क्रिकेट को बहुत सपोर्ट करती हैँ। उत्तराखण्ड की खेल प्रतिभाओं का कमी नहीं हैँ पर जब तक उत्तराखण्ड क्रिकेट एसोसिएशन को मान्यता नहीं मिलती, तब तक यहां के युवा के पास क्रिकेट के क्षेत्र में आगे बढने का कोई चांस नहीं है। इसलिए अभिभावक भी इस ओर ज्यादा रूझान नहीं दिखा पा रहे हैं। जहां अन्य खेलों में भागीदारी करने वाले खिलाडियों के पास खेल कोटा व खेल के प्रमाण पत्र होते हैं, वहीं क्रिकेट खेलने वाले युवा के पास मान्य एसोसिएशन के अभाव में उचित लाभ नहीं मिल पाता है।

भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी मूलरूप से उत्तराखण्ड के ही हैं। उनमुक्त चंद, पीयूष पाण्डे, पवन सुयाल, राबिन बिष्ट, एकता बिष्ट और हेमलता काला वो चंद चमकते सितारे हैं जो उत्तराखण्ड से आते हैं। मगर राज्य को बीसीसीआई से मान्यता ने होने के कारण उत्तराखण्ड के तमाम खिलाडियों को मजबूरन दूरसे राज्यों से खेलना पड़ता है। लेकिन जिस दिन उत्तराखण्ड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन को बीसीसीआई से मान्यता मिल जाएगी उस दिन देश और  दुनिया को उत्तराखण्ड क्रिकेट की असली ताकत का पता चलेगा।

उत्तराखण्ड के गांवों तक प्रोफेशनल  क्रिकेट को कैसे पहुंचाया जा सकता है।
उत्तराखण्ड के गांवों में प्रतिभाओं का भंडार छिपा है। धोनी, उनमुक्त चंद जैसे क्रिकेट सितारे गांव की मिट्टी से ही निकले हैं। यहां के युवा प्रोफेशनल क्रिकेट में आगे बढना चाहते हैं। लेकिन अभी तक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन को बीसीसीआई की मान्यता नहीं मिली हेै। यह मान्यता मिलना अभी बहुत जरूरी है।

उत्तराखण्ड में क्रिकेट के विकास के लिए क्या किया जाना चाहिए।
उत्तराखण्ड में क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए स्टेट एसोसिएशन और बीसीसीआई को मिलकर काम करना होगा। अभी क्रिकेट को लेकर बुनियादी रूप से सोचे जाने की जरूरत है। क्रिकेट का विकास तभी संभव हो सकता है, जब यहां ज्यादा ग्राउंडस बनेंगे, ज्यादा क्लब खुलेेंगे, ज्यादा प्रोफेशनल कोच खिलाडियों को ट्रेनिंग देंगे।

आशीष वशिष्ठ की रिपोर्ट. 

No comments: