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6.9.15

‘रात अभी स्याह नहीं’ का आगमन बेहद सुखद : इब्राहीम अश्क


इलाहाबाद। जब भी किसी शायर या कवि की किताब छपकर मंजरेआम पर आती है जो
बेहद खुशी का एहसास होता है, और लगता है कि साहित्य का एक और इजाफा होता
है। अरुण अर्णण खरे की किताब भी यही एहसास दिलाती है। इन्होंने अपनी
रचनाओं में देश और समाज की भावना को बहुत ही शानदार तरीके से व्यक्त किया
है। यह उनकी दूसरी किताब है, उम्मीद की जानी चाहिए कि आगे भी उनकी
किताबें आती रहेंगी।



 यह बात मशहूर फिल्म गीतकार इब्राहीम अश्क ने रविवार
को साहित्यिक संस्था गुफ्तगू के तत्वाधान में अरुण अर्णव खरे के काव्य
संग्रह ‘रात अभी स्याह नहीं’ के अवसर पर कही। कार्यक्रम का आयोजन
हिन्दुस्तानी एकेडेमी में किया गया, जिसकी अध्यक्षता बुद्धिेसन शर्मा ने
की, विशिष्ट अतिथि रविनंदन सिंह थे। संचालन इम्तियाज अहमद गाजी ने किया।
रविनंदन सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि पुस्तक का शीर्षक ही बता रहा है
कि कवि ने अपनी रचनाओं के माध्यमों इन्होंने उम्मीद बनाए रखने की बात है।
इन्होंने बताया है कि मनुष्य को कभी निराश नहीं होना चाहिए।  बुद्धिसेन
शर्मा ने कहा कि गजल बहुत ही नाजुक विधा है, इसका पालन करना आसान नहीं है
और पालन के बिना ग़ज़ल विधा का पालन करना संभव नहीं है। अरुण अर्णव ने इस
ओर अच्छा प्रयास किया है, इसे जा रखने की जरूरत है।
दूसरे दौर में कवि सम्मेलन का आयेाजन किया गया। जिसमें नरेश कुमार
महरानी, अनुराग अनुभव, इश्क सुल्तानपुरी, संजय सागर, प्रभाशंकर शर्मा,
लोकेश श्रीवास्तव, अख्तर अजीज, माला  खरे, अनिमेष खरे, अनुभा खरे, तलब
जौनपुरी, स्नेहा पांडेय, मखदमू फूलपुरी कविता उपाध्याय, अजीत शर्मा आकाश
और डॉ. विनय श्रीवास्तव आदि ने रचनाएं प्रस्तुत की।

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