Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

21.11.15

देश की पहली महिला आदिवासी कथाकार एलिस एक्का की कहानियों का संग्रह रविवार 22 नवंबर को रांची में लोकार्पित होगा

देश की पहली महिला आदिवासी कथाकार एलिस एक्का की कहानियों का संग्रह रविवार 22 नवंबर को रांची में लोकार्पित होगा। झारखंड की जानीमानी विदूषी संस्कृतिकर्मी वंदना टेटे ने इसका संपादन किया है। ‘एलिस एक्का की कहानियां’ का लोकार्पण झारखंड की तीन पीढ़ी की महिला साहित्यकार डा. माया प्रसाद, शकुंतला मिश्र और अणिमा बिरजिया संयुक्त रूप से दिन के दो बजे सूचना भवन के सभागार में करेंगी। आयोजन में वंदना टेटे की एक अन्य पुस्तक ‘आदिवासी दर्शन और साहित्य’ का भी लोकार्पण किया जाएगा। लोकार्पण के अवसर पर कथाकार डा. रोज केरकेट्टा, पीटर पॉल एक्का, विनोद कुमार और शिशिर टुडू पुस्तकों पर समालोचकीय वक्तव्य प्रस्तुत करेंगे।






एलिस एक्का का जन्म लगभग एक सदी पहले 1917 में हुआ था और मृत्यु 1978 में। अंग्रेजी साहित्य में वे झारखंड की पहली महिला आदिवासी ग्रेजुएट थीं। उन्होंने चालीस-पचास के दशक में रचनाएं लिखनी शुरू की कथा साहित्य प्रमुख है। उन्होंने विदेशी साहित्य का अनुवाद भी किया, विशेषकर अपने प्रिय दार्शनिक लेखक खलील जिब्रान का। वे मुंडा समुदाय के पूर्ति गोत्र से थीं और उनका परिवार बिरसा मुंडा के खानदान से संबंधित है। उलगुलान विद्रोह के ठीक पहले उनके दादा उलीहातु छोड़कर सिमडेगा जा बसे थे। किताब की भूमिका में वंदना टेटे ने विस्तार से उनके परिवार, निजी जीवन और आदिवासी एवं भारतीय साहित्य में एलिस पूर्ति के योगदान को रेखांकित किया है। एलिस ने हिंदी में कहानियां लिखी और जीते जी उनका कोई संग्रह प्रकाशित नहीं हो पाया। उनकी मृत्यु के लगभग चार दशक बाद वंदना टेटे ने गुमनाम हो चुकी एलिस एक्का और उनकी 11 रचनाओं को ‘एलिस एक्का की कहानियां’ में संग्रहित कर सामने लाने का महत्वूर्ण कार्य किया है। पुस्तक का प्रकाशन राजकमल समूह, दिल्ली के राधाकृष्ण प्रकाशन से हुआ है।

लोकार्पित होने वाली दूसरी पुस्तक ‘आदिवासी दर्शन और साहित्य’ आदिवासी साहित्य विमर्श को नया आयाम देते लेखों का संकलन है। संकलन में जयपाल सिंह मुंडा, हेरॉल्ड सैमसन तोपनो, रोज केरकेट्टा, सेम तोपनो, वाल्टर भेंगरा ‘तरुण’, रेमिस कंडुलना, जोवाकिम तोपनो, गीताश्री उरांव , गंगा सहाय मीणा, अनुज लुगुन, ग्लैडसन डुंगडुंग, डॉ. सावित्री बड़ाईक और कृष्णमोहन सिंह मुंडा सहित वंदना टेटे के वैचारिक आलेख सम्मिलित हैं। इस पुस्तक का प्रकाशन विकल्प प्रकाशन, दिल्ली ने किया है।

केएम सिंह मुंडा
प्रवक्ता
झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा

No comments: