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21.12.15

संस्कृति मनुष्य को सक्रिय कर्ता के रूप में देखती है : डॉ नरेश कुमार

'कला स्रोत' ने युवा मंच पर कला परिचर्चा का किया आयोजन 


लखनऊ : लखनऊ पुस्तक मेला, मोती महल लॉन में कला स्रोत द्वारा युवा मंच पर कला  "कला एवं जीवन" परिचर्चा का आयोजन किया गया. इस परिचर्चा में मुख्य वक्ता डॉ नरेश कुमार एवं अन्य वक्ता में चित्रकार विद्या सागर सिंह, अमित वर्मा रहे. इस कार्यक्रम का संचालन कला स्रोत के क्यूरेटर भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने किया. इस परिचर्चा में काफी कलाकार, कला प्रेमी, कला मर्मज्ञ उपस्थित हुए.

डॉ नरेश कुमार ने कहा कि मनुष्य सृजनशील प्राणी है और वह सौंदर्य के नियमों के अनुरूप ही चीजों का उत्पादन कर्ता है. कला का जन्म, उसके स्वरुप और उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए नरेश कुमार ने कहा कि कला जीवन को सुन्दर बनाने के लिए संवेदना को विकसित करता है. संस्कृति मनुष्य को सक्रिय कर्ता के रूप में देखती है. निष्क्रिय दर्शक के रूप में बदलना आज के मनुष्य का सांस्कृतिक संकट और त्रासदी है. कलाकार का उद्देश्य कला का आनंद लेना है बशर्ते वह आनंद समाज के वृहत्तर जीवन से जुड़ा हो. विद्यासागर सिंह और अमित कुमार वर्मा ने समकालीन कला पर चर्चा करते हुए कला में हुए समय समय पर विभिन्न आंदोलनों की बात कही. इस मौके पर उपस्थित कलाप्रेमियों ने प्रश्न भी किये जिसका जवाब वक्ताओं ने बड़े ही सरल और सहज तरीके से दिया.

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