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11.2.16

बीएचयू के भूगोल विभाग में पीएचडी एडमिशन में धांधली



इस वर्ष bhu में भूगोल विभाग में PhD एडमिशन में हुई धांधली को लेकर हमारे सीनियर्स ने भूगोल विभाग के सामने धरना दिया। इस धरने को खत्म करवाने के लिए विभाग और bhu प्रशासन ने ने हर तरीके के रणनीति अपनायी। सबसे पहले तो दोपहर 3 बजे कमरे में बुलाकर आंदोलनकारियों को व्यक्तिगत धमकी दिया गया। पुनः रात बारह बजे लंका पुलिस को बुलाकर धमकी दिलवाकर आंदोलनकारियों को हटाने में सफल रहे। यह धरना  bhu के इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस/फैकल्टी ऑफ़ साइंस  और साथ ही साथ भूगोल विभाग में अबतक के इतिहास का PhD में एडमिशन में धांधली को लेकर पहला धरना था। लेकिन धांधली हर साल होती है, जो इसके चयन की प्रक्रिया को देखकर की आसानी से जाना जा सकता है।


चयन_प्रक्रिया

1. एडमिशन के लिये एक शर्त अनिवार्य है कि या तो आप UGC NET क्वालीफाई हो अथवा BHU द्वारा हर वर्ष  होने वाला CRET क्वालीफाई हो।

2. एडमिशन के लिए 200 मार्क्स है जिसमें 100 नम्बर mValue है और 100 नम्बर का प्रपोजल(30नम्बर)+इंटरव्यू(70नम्बर)। (mValue निकलने के लिये M.A. का 50 %, B.A. का 30%, इंटरमीडिएट का 12.5% और हाइस्कूल का 7.5% जोड़ा जाता है)

3. एडमिशन के लिए एक पैनल बनता है जिसमे सात सदस्य होते है। चार विभाग का और तीन बाहरी। इस वर्ष पैनल में चार विभाग के सदस्य विभागाध्यक्ष प्रो राजू, प्रो कुमरा, प्रो ऍम बी सिंह और डॉ गोनामणि थी।

भूगोल विभाग में इस वर्ष PhD में एडमिशन के लिए लगभग 200 छात्रो ने आवेदन किया था। जिनका इंटरव्यू दो दिनों में हुआ। पहले दिन RET Exmpeted(जो net के थ्रू फॉर्म भरे है) 167 छात्रो का और दूसरे दिन RET के 34 छात्रो का इंटरव्यू हुआ । अब सोचिये कि एक दिन में 167 छात्रो का इंटरव्यू हो जाता है वो भी एक ही पैनल के सामने।धरनारत छात्रो का कहना है  कि उनका इंटरव्यू केवल 3-4 मिनट में समाप्त हो गया। यहाँ देखने वाली बात है कि UPSC का इंटरव्यू 45मिनट से 1 घंटे तक का चलता है और उसका कुल मार्क्स में  योगदान केवल 10% का हो होता है और यहाँ PhD एडमिशन के लिए इंटरव्यू केवल 3-4 मिनट का होता है जिसका टोटल मार्क्स में योगदान 35% का है।

सवाल यह भी है कि जिस छात्र का mValue भी अबसे अधिक है जो JRF क्वालीफाई है और तो और CRET में भी highest नंबर है उसका इंटरव्यू खराब हो जाता है और जो छात्र/छात्रा केवल net पास है और उसका mValue भी बहुत कम है वो चार मिनट में क्या कामल कर देता है की उसे इंटरव्यू में highest नंबर देकर उसका चयन कर लिया जाता है। आरोप यहाँ तक भी है कि जिस छात्र का  चयन करना होता है उसका प्रोपजल खुद टीचर ही बना कर जमा करवाता है। अब साफ है की जो 40 साल से टीचर है उसका प्रोपजल बेहतर ही होगा और उसे उसमे भी highest नंबर मिलेंगा ही। तो साफ है पूरी की पूरी प्रक्रिया ही धांधली से भरी हुई है। एडमिशन के लिए योग्यता के बजाय  पहुँच को वरीयता दी जा रही है। धरना रत छात्रो की यही मांग है की इस बार की एडमिशन को रद्द करके फिर से एडमिशन किया जाय जिसमे इंटरव्यू को हटाया जाय  या फिर इंटरव्यू के मार्क्स को कम किया जाय।

ये बात हम कई वर्षो से सुनते आ रहे है कि PhD में एडमिशन उसी का होता है जिसका कुमरा चाहते है। इस बार देख भी लिया है। प्रो वी के कुमरा bhu के भूतपूर्व रजिस्टार रह चुके है और कहा जाता है कि बहुत पहुंच वाले आदमी है। जिसे धरना के दौरान उनकी गतिविधियों को देख कर हमने जान भी लिया। कहा जाता है कि कुमरा पर उनकी खुद की बहू ने यौन शोषण का केश दर्ज कराया था। कुमरा की गिद्ध दृष्टि क्लास में पढ़ने वाली छात्राओ पर विशेष रूप से रहती है, कम नंबर रहने पर भी छात्राये (उनका एडमिशन भले ही पेड सीट में हुआ हो), उन तक पहुंच कर स्पेशल रिकमेंड पर अधिक नंबर पाने वाली सहपाठी की योग्यता को नकार कर हॉस्टल पा सकती है। ये हमारे आँखों के सामने की घटना है। और जो छात्रा उसकी असली हक़दार है वो बस किस्मत को कोसती रह जाती है। इस बार  PhD एडमिशन में एक छात्रा को विशेष वरीयता दी गयी है उसका mValue बहुत कम है और वो इंटरव्यू और प्रपोजल में  टॉपर है ऐसा लग रहा है की उसका नंबर इस तरह से सेट किया गया है कि उसका बस एडमिशन हो जाये।

हमारे सीनियर ने ये भी बताया की उसको भी स्पेशल रिकमेंड पर कुमारा ने हॉस्टल दिलवाया था, कुमरा के इस काम को लेकर भरे क्लास में छात्रावो ने उसे बेइज्जत किया था, लेकिन उसके कान पर जू तक नही रेंगी। लड़को में पहले से ही अनुमान था  की उस छात्रा का तो एडमिशन हो ही जायेगा और रिजल्ट आने पर अनुमान सही सिद्ध हुआ। हो सकता है कि कुमरा उसका PhD में एडमिशन न ले तो वो छात्रा उस पर रेप का आरोप लगा दे! ज्यादा कहने की जरुरत नही है, आप समझदार है! इस समय विभाग में जीतनी भी महिला अध्यापक है उनमे से लगभग सभी ने कुमरा के अंडर में ही PhD/PDF कम्पलीट किया है, आप कुमरा की पहुच का अंदाजा लगा सकते है!

PhD में एडमिशन में हर बार धांधली होती है लेकिन किसी साल विरोध नही जताया जाता। हर बार योग्यता के बजाय पहुँच को वरीयता दी जाती है। और हर बार छात्र अपनी किस्मत को कोस कर खुद को सांत्वना दे कर शांत हो जाते है। पर इस बार नही, इस बार छात्रो ने विरोध जताया, धरने पर बैठ गए। कुमरा डर गया कि ये छात्र ज्यादा देर तक धरने पर बैठे रहे तो ये मामला तूल पकड़ लेगा, मामला मीडिया में जाएगा और बुरी तरह से बदनामी होगी। और उसका पूरा प्रयास था की धरने को जो केवल  शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन था जल्दी से जल्दी समाप्त किया जाय। इसके लिये उसने सभी  साम-दाम-दंड भेद वाले तरीके अपनाये। यहाँ एक विशेष बात थी की जो छात्र धरना दे रहे थे, उनका जिंदगी में पहला धरना था। वो एक राजनीति में अनुभवहीन पढने वाले छात्र थे। और कुमरा 40 साल से इन्ही सब  मामलो में अनुभवी, अनुभव काम आया। पहले तो 3 बजे HoD ऑफिस में मीटिंग बुलायी गयी धरना रत छात्रो के साथ। यहाँ एक बात और उल्लेखनीय है की जिस पर इसी मामले में भ्रष्टाचार का आरोप हो वही मीटिंग भी ऑर्गनाइज करा रहा है। बंद कमरे में छात्रो/छात्राओ पर व्यक्तिगत आरोप लगते हुए उनका मनोबल पूरी तरह से तोड़ दिया गया। वो मीटिंग से रोते हुए बाहर आये। उनको केवल एक ही तर्क दिया गया की पैनल में सात लोग थे सातो लोग धांधली नही कर सकते। यह कहा तक सच है सभी जानते है। विभाग के कलर्क अमित पर भी आरोप है कि उन्होंने ही कुमरा के अनुसार किसका किसका होना है लिस्ट सेट किया था। इंटरव्यू तो बस केवल एक कोरम् पूर्ति थी।

टूटे हुए मनोबल के साथ बाहर आये छात्रो को हम लोगो  द्वारा समझाए जाने पर अपना धरना समाप्त न करने को राजी हुए। और वे अपने कमरे से रजाई तोसक ले आकर रात में फिर धरने पर बैठ गए। सुबह जो संख्या 15 थी शाम को केवल 5 हो गयी जिनमे कोई लड़की शामिल नहीं थी क्योकि  मीटिंग में गयी लड़कियो पर कुछ ज्यादा ही व्यक्तिगत आरोप लगा कर उनका मनोबल तोड़ दिया गया था। रात को करीब 10 बजे विभागाध्यक्ष आये, वो समझा बुझा कर धरना समाप्त करने की पूरी कोशिश की परन्तु छात्र तैयार नहीं हुए, करीब 11 बजे साइंस इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर आये उन्होंने आते ही डाँटना शुरू किया कि जो काम कराना है एप्लीकेशन लिख कर कराओ। पर सभी जानते है की एप्लीकेशन लिख क्या होगा? जिसके खिलाफ शिकायत हो  वही जांचकर्ता बन जायेगा!

ये बात कुमरा तक पहुच गयी कि लड़के फिर धरने पर बैठे है । और वो रात को 12 बजे लंका थाना के प्रमुख के साथ उसके गाड़ी में बैठ कर पांच और गाड़ियों में पुलिस भर कर हाजिर हो गया उनके साथ जगदीश सिंह भी थे जो कुमरा के क्लासमेट रह चुके है। कुछ देर में चीफ प्रॉक्टर  भी आ गए। और लड़को को डाँटना शुरू किया धरना देने वाले केवल 5 छात्र जो शांति पूर्वक धरना दे रहे है उनके लिए सामने 100 को संख्या में पुलिस कर्मी। लंका थाना के प्रमुख ने भी डांटा। ऐसा लग रहा था कि कुमरा पूरी तैयारी के साथ आया था की या तो धरना समाप्त करवाएंगे या फिर धरना समाप्त नहीं करते है तो उन्हे झूठे आरोप लगवा कर जेल में बंद करवा देंगे। न रहेगा बांस न बजेगी बासुरी। न रहेंगे आरोप लगाने वाले और न रहेगा आरोप। यहाँ एक विशेष बात हमने देखा की जिस सक्स पर भ्रष्टाचार का आरोप है उसी के साथ मिल कर पूरा प्रशासन गलबहियां खेल रहा था। धरना रत छात्रो ने  विवेक से काम लेते हुए धरना समाप्त कर दिया कि उनकी और VC की जल्दी ही मीटिंग करवायी जाएँगी। और साथ ही साथ ये भी कहा की यदि इस बार के एडमिशन को रद्द कर फिर से एडमिशन नहीं किया जाता है तो फिर से धरना देंगे।

धरनारत छात्रो में एक छात्र जिनका mValue भी सबसे अधिक है और JRF/CReT में भी प्रतिशत सबसे अधिक है। वो रिजल्ट आने के बाद कुमरा से पूछने गए कि मेरा किस वजह से नहीं हुआ तो जानते है कुमरा ने क्या कहा-----तुम्हे पीएचडी में एडमिशन लेना ही था तो इंटरव्यू से पहले मिल लेते तुम्हारा तो सब कुछ् अच्छा है तुम्हारा तो पक्का हो जाता। आप समझ सकते है की पीएचडी एडमिशन में कितना भ्रष्टाचार है। और कुमरा किस स्तर तक अपने प्रभाव का दुरुपयोग कर सकता है।

आंदोलन अभी समाप्त नहीं हुआ है। कुमरा जैसे लोग अब ज्यादा दिनों तक बचे नहीं रह सकते। उनकी हक़ीक़त सामने आएगी। लेकिन हमें अपने सीनियर  की दाद तो देनी ही पड़ेगी कि जिस धांधली/भ्रष्टाचार को जानते सब है पर मुँह कोई नही खोलता। आपने धांधली के विरोध में जबान ही नहीं खोली, पूरा खुला विरोध प्रदर्शन भी किया। और तो और भूगोल विभाग में यह  पहली बार हुआ। अब कुमरा जैसे लोग ज्यादा दिनों तक बचे नहीं रह सकते.......और PhD एडमिशन में पहुँच के बजाय योग्यता को वरीयता दी जायेग.........जय हिन्द।

बीएचयू के छात्रों द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित. 

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