Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

9.4.16

दशमी पुण्यतिथि : आज के नेता सीखें चौधरी साहब के व्यक्तित्व से ‘जनप्रतिनिधि का धर्म’


संसदीय जनतंत्र का तात्पर्य जनता के द्वारा जनता के लिए जनता का शासन’’ इस परिभाषा को मन-वाणी और कर्म से विश्लेषित करने वाले वास्तविक जनसेवक थे दिवंगत लोकसभा सदस्य चौधरी रघुराज सिंह। आज जबकि जनसामान्य के मताधिकार को लूटकर जनप्रतिनिधि ऐश-ओ-आराम का जीवन यापन करने के लक्ष्य-वेध की दिशा में कदाचारी आचरण कर रहे हैं, लिहाजा जनतांत्रिक मूल्यों का हृास होने लगा है। ऐसे में जनप्रतिनिधि के नैतिक मूल्यों के लिए चौधरी रघुराज सिंह का व्यक्तित्व ही अनुकरणीय है।
अपने जीवनकाल में सुसंस्कृत जीवनशैली के कारण एमएलसी, जिला कोआपरेटिव बैंक के अध्यक्ष, कांग्रेस के जिला नेतृत्व के बीच संसद सदस्य रहते हुए भी कभी ‘अभिमान’ (मिथ्या दम्भ) उनके व्यक्तित्व को प्रभावित नहीं कर पाया।  जिला मुख्यालय में जिसका अपना आवास भी नहीं रहा, जीवन भर किराये के मकान में रहने वाले शीर्ष कांग्रेसी नेता चौधरी रघुराज सिंह घोड़ा-गाड़ी की बजाय पैदल चलने और जन-जन के मन में अपना स्थान बनाने में सफल होने का मुख्य कारण उनका सहज स्वाभिमानी एवं जनहितकारी व्यक्तित्व ही है। आज के राजनेताओं को चौधरी साहब के व्यक्तित्व से ‘जनप्रतिनिधि’ के धर्म एवं नैतिक मूल्यों की सीख लेनी होगी, तभी भारतवर्ष पुनः विश्वगुरु बनेगा।

‘‘सादा जीवन उच्च विचार’’ की अवधारणा वाले चौधरी साहब गांधीवादी विचारधारा के संपोषक रहे। आज से ठीक 32 वर्ष पूर्व 1984 में इटावा लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित होकर पूरे पांच वर्ष तक सांसद रहे, चै. रघुराज सिंह का जन्म, जंग से आजादी के जांवाज सेनानी एवं भरथना के जमींदार चौधरी बुद्धू सिंह के घर में 5 जनवरी 1929 को हुआ था। ब्रिटिश हुकूमत के अत्याचार और स्वतंत्रता आन्दोलन में बागी तेबर के बजह से पिताश्री चौ. बुद्धूसिंह का समय कभी भूमिगत रहने अथवा लगातार जेल यात्राओं में गुजर रहा था।  फलस्वरूप दोनों बच्चों चौधरी रघुराज सिंह व चौ. ब्रजराज सिंह का बचपन अपनी बुआजी व बड़ी दीदी के संरक्षण में गुजरा।

जब चौधरी साहब शैशव काल में थे, तब 1937 में ब्रिटिश हुकूमत की ‘‘धारा सभा’’ चुनाव में उनके पिता चौधरी बुद्धू सिंह ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से चुनाव ही नहीं लड़ा बल्कि निर्वाचित होकर क्षेत्र के प्रथम एमएलए होने का गौरव प्राप्त हुआ, इस तरह चौधरी रघुराज सिंह को बचपन में ही राजनैतिक संस्कार मिलने लगे थे। इटावा के सनातन धर्म इंटर कालेज इटावा से हाई स्कूल और चै. बुद्धूसिंह द्वारा स्थापित एसएवी  इण्टर कालेज भरथना से इंटरमीडिएट किया। 1945 में 17 वर्ष की आयु में निकटवर्ती राहतपुर के जमींदार चौधरी शंकरदयाल दीक्षित की पुत्री राजरानी के साथ दाम्पत्य सूत्र में बंधकर चौधरी साहब ने गार्हस्थ जीवन प्रारम्भ कर दिया, साथ ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सियासत भी शुरू हुई।

चौ.रघुराज सिंह 1964 में एमएलसी बने और 1970 तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य रहे। साथ ही वे जिला सहकारी बैंक, इटावा के अध्यक्ष भी रहे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाने वाले चौधरी साहब निरंतर 21 वर्ष भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जिलाध्यक्ष भी रहे।  1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़कर सांसद बने और 1989 तक राष्ट्र की सर्वोच्च संस्था संसद में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की जन्मभूमि इटावा का प्रतिनिधित्व किया। 1989 में ही सांसद चौधरी रघुराज सिंह के इकलौते पुत्र चौ. देवराज सिंह की मृत्यु हो गई थी। इस हादसे से वे बुरी तरह आहत हुए, किन्तु संयम पूर्वक कर्तव्य परायणता पर दृढ़ रहे। 77 वर्ष की अवस्था में 11 अप्रैल 2006 को चौधरी रघुराज सिंह का निधन हो गया। ऐसे अद्वितीय व्यक्तित्व को दशमी पुण्य तिथि पर शत-शत नमन।

देवेश शास्त्री
Etawah

No comments: