Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

27.6.16

दलित आंदोलन : पहचान की राजनीति बनाम संसाधनों के पुनर्वितरण की लड़ाई

राधा सरकार और अमर सरकार 
(लन्दन स्कूल ऑफ़ इकनोमिक्स)
..............................................
अनुवादक: एस.आर. दारापुरी

उत्तर तथा मध्य भारत में दलित राजनीति अधिकतर पहचान के एजंडा के गिर्द ही रही है जिस में समान सम्मान की मांग तो की गयी परन्तु संसाधनों के पुनर्वितरण की मांग नहीं उठाई गयी. इससे वर्ग के हिसाब से उच्च दलितों का सामाजिक और आर्थिक स्तर तो ऊँचा हुआ है परन्तु अधिकतर दलितों के जीवन स्तर में कोई ख़ास परिवर्तन नहीं आया है. दलितों की समान बर्ताव की चाहत सीमित ही रहेगी जब तक शोषणकारी आर्थिक संबंधों को बदलने वाली पुनर्वितरण की राजनीति का अभाव रहेगा.

22.6.16

सेबी को गरियाने और बड़ी बड़ी फेंकने से फिर चूक नहीं रहे सुब्रत रॉय

बेसहारा से सहाराश्री का शाही स्वागत और कवरेज...

भोपाल : सहारा के बेसहारा से सहाराश्री सुब्रत राय को तीन एक साल पहले जब सुप्रीम कोर्ट ने तिहाड़ जेल भेजा तो उन्होने गिरफ्तारी से बचने और बाद मे रिहाई के लिए बीमार माँ की सेवा-सुश्रुषा का बहाना बनाया। इसके बावजूद अदालत नहीं पिघली और लम्बे समय तक उन्हें जेल की हवा खानी पड़ी। वे अब भी जेल की शोभा बढ़ा रहे होते पर बक़ौल सुप्रीम कोर्ट उनकी माँ मरते-मरते बेटे की मदद कर गईं।

आजमगढ़ में हुई सांप्रदायिक हिंसा में घायल लोग इलाज के अभाव में तड़प रहे

पुलिस ने घरों में घुसकर उत्पीड़न किया, प्रशासन के दबाव में पीड़ितों का न तो मेडिकल किया गया और न ही एफआईआर 

लखनऊ 22 जून 2016। रिहाई मंच ने कहा कि जिस तरह रमजान के महीने में सूबे में जगह-जगह से छिटपुट सांप्रदायिक तनाव की खबरें आ रही हैं ऐसे में इसपर प्रदेश सरकार सख्ती से कार्रवाई करे। मंच ने responseinsafmuhim@gmail.com मेल जारी करते हुए कहा कि अगर कहीं भी तनाव होता है तो आप इस मेल पर सूचित करें। रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि पिछले दिनों आजमगढ़ के खुदादातपुर में हुई सांप्रदायिक हिंसा में घायल हुए लोग आज भी चिकित्सा के अभाव में पीड़ा सह रहे हैं, उन्हें कोई मुआवजा अब तक नहीं दिया गया या फिर खुदादातपुर जहां पुलिस ने घरों में घुसकर जो उत्पीड़न किया वो सरकार की मानसिकता को उजागर करता है कि प्रशासन के दबाव में न तो उनका मेडिकल किया गया और न ही एफआईआर।

कांग्रेस ने तिलक की अवहेलना नहीं की होती तो सुराज्य बहुत पहले आ जाता : वेंकैया नायडू

लोकमान्य तिलक व कांग्रेस के संबंधों के सच पर प्रकाशित पुस्तक का वेंकैया ने किया विमोचन


मुंबई, 22 जून। लोकमान्य बाल गंगाधर के जीवन से जुड़ी अनेक घटनाओं, कई विषयों एवं विवादों व अनेक रहस्यों से परदा हटाने के उद्धेश्य से प्रकाशित पुस्तक ‘लोकमान्यांची सिंहगर्जना’ का विमोचन केंद्रीय आवास मंत्री वेंकैया नायडू ने किया। लोकमान्य के पुणे स्थित निवासस्थान केसरीवाड़ा के लोकमान्य सभागार में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष मंगल प्रभात लोढ़ा द्वारा आयोजित इस विमोचन समारोह में लोकमान्य के वंशज तिलक विद्यापीठ के कुलपति डॉ. दीपक तिलक एवं मुक्ता तिलक की उपस्थित में संपन्न इस विमोचन समारोह में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री पीयूष गोयल, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रावसाहेब दानवे, वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार, खाद्य व आपूर्ति मंत्री गिरीश बापट, सांसद अनिल शिरोळे विधायक माधुरी मिसाळ विशेष रूप से उपस्थित थे।

19.6.16

सरकार की असहिष्णुता के शिकार हुए राजन

विवेक दत्त मथुरिया

रघुराम राजन को जिस तरह सनसनी स्वामी द्वारा जिस तरह आहत किया गया है, यह सरकार की असहिष्णुता का जीवंत प्रमाण है। वही देश के अकादमिक संस्थानों में नाख्वादा लोगों की नियुक्ति कर सरकार एक तरह से तानाशाही का परिचय दे रही है। सरकार और उसके मुंह लगे। लोग सिरफिरों जैसी हरकत कर अकादमिक संस्थानों का सत्यानाश करने पर आमादा हैं। मोदी सरकार का सत्तामद चरम पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह नहीं भूलना चाहिए कि यही सत्तामद कांग्रेस के सत्यानाश का कारण बना। एक अर्थशास्त्री के तौर पर रघुराम राजन ने अपनी योग्यता का परिचय दिया, वह उनकी गंभीरता और समझ को दर्शाता है।

दिल्ली से दारू दूर भगाने के लिए भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने केजरीवाल को लिखा पत्र

To,

Hon’ble Chief Minister
Government of NCT of Delhi-110001
Subject: Ban on liquor and other intoxicating drinks

Dear Sir,

Provisions contained in Part-IV of the Constitution of India namely Directives Principles of State Policy and the principles therein laid down are nevertheless fundamental in the Governance and it is duty of the State to apply these principles in letter and spirit. Idea of prohibiting the Liquor is connected with public health and to enforce prohibition effectively, the wider definition of the word ‘Liquor’ would have to be adopted so as to include all alcoholic liquids which may be used as substitutes for intoxicating drinks, to the detriment of health.

कितना नीचे गिरेगा दैनिक भास्कर...



भास्कर अपने को आगे बढ़ाने के लिए कितना गिर सकता है इसका एक जीता-जागता उदाहरण भेज रहा हूं। नीचे दिया गया अटैचमेंट देखिए कैसे एक रेप की खबर को भास्कर विज्ञापन बनाकर बेच रहा है और खबर भी कैसी.. सांस बन होने तक रेप।

खबर से बौखलाये भदोही विधायक ने संपादक को दी देख लेने की धमकी

भदोही 19 जून। खबरों से बौखलाये भदोही विधायक जाहिद बेग ने भदोही से प्रकाशित सत्यम् न्यूज़ के प्रधान संपादक नसीर कुरैशी को देख लेने की धमकी दे डाली। संपादक नसीर कुरैशी को आज उस समय देख लेने की धमकी दी गयी जब वह विधायक के पचभैया स्थित आवास पर सैकड़ों लोगों के प्रदर्शन को कवर करने पहुंचे थे।

छत्तीसगढ़ में संसदीय सचिव ने भाई को ही बना दिया सरकारी पीए

चंपादेवी पावले ने भाई को ही बना ​दिया शासकीय निज सहायक, शासकीय नियमों के तहत ​शिक्षाकर्मी नहीं बन सकते निज सहायक, 




संसदीय सचिव चंपा देवी पावले। भाई बबन सिंह। भाजपा कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान लाल घेरे में मंच पर बैठे बबन सिंह।

गढ़वाल की 18 पहाड़ी सीटों पर चुनाव लड़ेगी प्रजामंडल पार्टी

An apeal for prajamandal party



आदरणीय महानुभाव,
सप्रेम वन्दे !!

उत्तराखण्ड का पर्वतीय क्षेत्र जो देश के हर वर्ग के जनमानस से किसी न किसी प्रकार से जुड़ाव रखता है व हमारे भारतवर्ष के इतिहास की गंगा, उसी पर्वतीय क्षेत्र के वीथियों से निकलती दिखाई देती है I इस इतिहास के श्रोत का संरक्षण को लेकर आज भी पहाड़ में रहने वाला व्यक्ति प्रयासरत है I हमारे गौरव व राष्ट्र कि शान से जाने जाना वाला पर्वतीय क्षेत्र आज संसार के तथाकथित उन कुरीति व परंपरा का शिकार हो रहा है जो आज एक आम जन मानस के हृदय को स्वीकार नही I भ्रष्ट तंत्र के अलावा आज पहाड़ का  जन मानस, जो एक प्रहरी के रूप में है, के साथ आज भी छलावा किया जा रहा हैI

17.6.16

बिहार टॉपर घोटाला का पर्दाफाश करने वाले पत्रकारों ‎चंद्रमणि‬ और ‪‎मधुप‬ को उनका वाज़िब हक़ मिलना चाहिए


बिहार टॉपर घोटाला का पर्दाफाश करने वाले ‎चंद्रमणि‬ और ‪‎मधुप‬ को भी उनका वाज़िब हक़ मिलना चाहिए। इनके चैनल वाले बस इतना 'रहम' कर दें कि स्ट्रिंगर का 'ओहदा' हटाकर इन्हें अपना एम्प्लॉय बना लें। Chandra Mani मेरे बैचमेट रहे हैं और एक मेजर एक्सीडेंट के बाद ज़िन्दगी की 'दूसरी पारी' जी रहे हैं। टॉपर को इंसाफ दिए जाने के बाद इन दोनों को भी 'इंसाफ' मिलना चाहिए, इस सफलता पर मुआवजा दिया जाना चाहिए। मुआवजा इसलिए क्योंकि स्ट्रिंगर को हमेशा से 'मुआवजा' ही दिया जाता रहा है।

केजरीवाल के मोहल्ला क्लीनिक वाले प्रयोग से खुश हैं जस्टिस काटजू




A visit to two Mohalla Clinics... I had heard about the Mohalla Clinics set up by the Aam Aadmi Party, but I had never personally visited any of them. So I decided today to make a surprise visit. I visited two Mohalla Clinics, one behind Masjid Nooh, Zakir Nagar, Okhla and the other at Jogabai Extension. They were in congested areas, and I had to go through narrow lanes to reach them. It was obvious that a lot of poor people live in the area.

गुजरात दंगों में जलाकर मार डाले गए पूर्व सांसद एहसान जाफरी की एक नज़्म


गीतों से तेरी जुल्फ को मीरा ने संवारा
गौतम ने सदा दी
तुझे नानक ने पुकारा

14.6.16

भारत के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर को जनहित में एक पत्र : न्यायालयों को पोस्ट ऑफिस बनने से बचाया जाय

माननीय न्यायाधीश टी. एस. ठाकुर,
मुख्य न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय, भारत।

मी लार्ड न्याय देश में धंधा बनता जा रहा है, इसे न्यायप्रणाली के रूप फिर से स्थापित करिये... गुस्ताखी माफ़ करें कि हिंदी में लिख रहा हूँ, हिंदी पट्टी का हूँ और बचपन से इसी में पला और बढ़ा हूँ। अपने मन की व्यथा इसी में अच्छे से व्यक्त कर सकता हूँ, मुझे पूरा विश्वास है कि अंग्रेजी में न लिखे होने के बावजूद आप इस पर गौर करेंगे।  

सहारा के मीडियाकर्मियों का तालकटोरा व जंतर-मंतर पर प्रदर्शन





वेतन बकाया की अदायगी के लिए सुब्रात राय सहारा के साथ-साथ पीएमओ, गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय को ज्ञापन

नई दिल्ली। पिछले लगभग दो वर्षों से वेतन की अदायगी में सहारा इडिया परिवार प्रबंधन के टालमटोल रवैये से परेशान सहारा मीडिया के सैकड़ों कर्मचारियों को शुक्रवार को सुबह तालकटोरा स्टेडियम पर कंपनी के चेयरमैन सुब्रात राय सहाया से मिलकर वेतन की शीघ्र अदायगी की अपील करने पहुंचे मगर भारी पुलिस बल के बंदोबस्त के कारण उनकी मुलाकात नहीं हो सकी। मौके पर मौजूद सीनियर पुलिस अधिकारियों ने उन्हें स्टेडियम के गेट से काफी पहले ही रोक दिया आैर उन्हें वापस भेजने लगे। प्रबंधन आैर पुलिस के रवैये से आक्रोशित सहारा मीडिया के कर्मचारी वहीं अपना बैनर आैर तख्तियां लहराने लगे तो पुलिस उन्हें हिरासत में लेकर बस द्वारा उन्हें जंतर-मंतर भिजवा दिया।

सहारा हड़ताल : आखिर चाहते क्या हैं सहारा श्री

आज राष्ट्रीय सहारा छपा या नहीं, छपा तो कौन-कौन सा एडिशन। सारे संस्करण छपे या केवल सिटी। आज हडताल रहेगी या अखबार छपेगा। कुछ ऐसी ही खबरों/अफवाहों से पिछले कई माह से दो-होना पड रहा है सहारा मीडिया में काम करने वाले और छोड़ (चाहे सेफ एक्जिट प्लान के तहत नौकरी छोडने वाले हों या दूध में पडी मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिये जाने वाले कर्मचारी हों) देने वाले कर्तव्ययोगी हों।

देखें स्टिंग : खाकी में खलनायक

प्रेस विज्ञप्ति

असल न्यूज़ मासिक पत्रिका ने इस बार "खाकी में खलनायक" नाम से स्पेशल स्टोरी प्रकाशित की है, इसमें असल न्यूज़ ने यूपी पुलिस को लेकर स्टिंग ऑपरेशन किया है, जिसमें सब-इंस्पेक्टर स्तर के कुछ पुलिवाले पैसा लेकर किसी बेगुनाह का एनकाउंटर करने का दावा कर रहे हैं। पुलिसवालों ने विस्तार से बताया है कि वो फर्जी एनकाउंटर कैसे करते हैं और एनकाउंटर से पहले कैसे पैसा वसूल करते हैं। इतना ही नहीं खुफिया कैमरे पर यह किसी बेगुनाह पर आर्म्स एक्ट के तहत केस लगाने की बात कर रहे हैं तथा उसे हत्या के प्रयास में फंसाने और थाने में थर्ड डिग्री टॉर्चर करने के बारे में भी विस्तार से बता रहे हैं। इसके अलावा ये पुलिसवाले ड्रग्स का इंतजाम तक खुद करने का दावा करते हुए किसी बेगुनाह को झूठे ड्रग्स केस में फंसाने की बात कबूल कर रहे हैं।

रमज़ान पर विशेष : मरहबा सद मरहबा आमदे-रमज़ान है

-फ़िरदौस ख़ान

मरहबा सद मरहबा आमदे-रमज़ान है
खिल उठे मुरझाए दिल, ताज़ा हुआ ईमान है
हम गुनाहगारों पे ये कितना बड़ा अहसान है
या ख़ुदा तूने अता फिर कर दिया रमज़ान है...

माहे-रमज़ान इबादत, नेकियों और रौनक़ का महीना है. यह हिजरी कैलेंडर का नौवां महीना होता है. इस्लाम के मुताबिक़ अल्लाह ने अपने बंदों पर पांच चीज़ें फ़र्ज क़ी हैं, जिनमें कलमा, नमाज़, रोज़ा, हज और ज़कात शामिल है. रोज़े का फ़र्ज़ अदा करने का मौक़ा रमज़ान में आता है. कहा जाता है कि रमज़ान में हर नेकी का सवाब 70 नेकियों के बराबर होता है और इस महीने में इबादत करने पर 70 गुना सवाब हासिल होता है. इसी मुबारक माह में अल्लाह ने हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर क़ु़रआन नाज़िल किया था. यह भी कहा जाता है कि इस महीने में अल्लाह शैतान को क़ैद कर देता है.

मीडिया का जोगीप्रेम


छत्तीसगढ़ में तीन साल तक मुख्यमंत्री रहने का दायित्व निभाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी कांग्रेस को टाटा क्या बोल पड़े, रायपुर से दिल्ली अख़बार, और टीवी चैनल्स को छग से फ़िर एक बड़ी ख़बर मिल गई है. कांग्रेस के नेता जहाँ बकायदा आधिकारिक बयान जारी कर ख़ुदको जोगी से छुटकारा पाने बताते पटाखे फोड़ रहे हैं, वहीँ कोटमी में सोमवार को हुई जोगी की महत्वपूर्ण सभा के जरिये जोगी समर्थकों ने एक बार फ़िर जोगी की महिमा का राग अलापा.

जुबान फि‍सलने की बीमारी वाले मंत्रीजी ने मीडि‍या वालों को मीटिंग से बाहर कर दिया

बहन मां की गाली देते मीडि‍या के कैमरे में आ गए थे, अब मंत्री जी मीडि‍या का कैमरा देखते ही कांप जाते हैं.... हरि‍याणा में पहली बार कष्‍ट निवारण जैसी ओपन मीटिंग से मीडि‍या को बाहर नि‍काला... हरि‍याणा के इति‍हास में पहली बार ऐसा हुआ कि‍ मीडि‍या वालों को कष्‍ट नि‍वारण समि‍ति‍ की मीटिंग से बाहर नि‍काल दि‍या गया हो। दरहअसल सोमवार को हरि‍याणा सरकार के मंत्री कृष्‍ण बेदी यमुनानगर में इस मीटिंग की अध्‍यक्षता करने आए थे। पि‍छली मीटिंग में वो एक अधि‍कारी को बहन मां की गाली नि‍कालते हुए मीडि‍या के कैमरे में आ गए थे। 15 फरवरी का ये वाकया है। बाद में उन्‍होंने कहा की रनिंग में कुछ ऐसा नि‍कल गया, जुबान पि‍सल गई। इससे पहले उन्‍होंने एक फतेहाबाद में खुद मोदी के बारे ही कह दि‍या था कि‍ पता नहीं ये मोदी भी क्‍या क्‍या कराकर छोडेगा। कहा मीडि‍या का कैमरा चौबीस घंटे फांसी बनकर लटका रहता है, कई नि‍जी भावों को भी व्‍यक्‍त नहीं कर सकते।

कैसी पत्रकारिता.......?

एक वो दौर था जब खादी का झोला स्याही वाली कलम और कॉपी से पत्रकार की पहचान होती थी. समय बीतता गया और झोले की जगह लेपटॉप का बैग कलम कागज की जगह कीबोर्ड और माउस ने ले ली. समय और दौर की मांग थी लिहाजा आधुनिक संसाधनों से लेस होना भी जरुरी था. आधुनिक संसाधनों से जहां एक ओर पत्रकारिता जगत में क्रांति आई और सूचनाएं त्वरित रूप में आम जनों तक पहुँचने लगी , इसी बिच ग्लेमर की चकाचौंध भी बढ़ी जिसने ज़मीन से कइयों को आसमान तक पहुंचा दिया. लेकिन इन्ही सब के बिच ग्लेमर और तड़क-भड़क में पत्रकारिता कहीं गुम सी होती लग रही है. कम से कम आज के दौर में ग्राउंड लेव्हल के पत्रकारों को देख कर तो कुछ ऐसा ही लगता है........

उत्तर प्रदेश में किसकी बनेगी सरकार!

 अभिषेक कांत पाण्डेय

इस बार उत्तर प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी इसकी कवायद तेज होने लगी है। इधर इलाहाबाद में भाजपा कार्यकारणी की बैठक के बाद परिवर्तन रैली से पीएम मोदी ने अपने भाषण से जनता को संदेश दिया की उत्तर प्रदेश में भाजपा आएगी तो वह विकास करेगी। 50 साल का विकास वह पांच साल में करके दिखाएगी। उत्तर प्रदेश में कानून व्यव​स्था की खराब हालत के लिए सपा सरकार पर निशाना साधा। वहीं इलाहाबाद की रैली में भले भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री के लिए कोई चेहरा नहीं चुना गया लेकिन राजनाथ सिहं को सशक्त बताया, उत्तर प्रदेश में उनके राज को अब तक का बेहतर कार्यकाल बताकर नरेंद्र मोदी ने फिलहाल राजनाथ सिंह को उत्तर प्रदेश आगे रखा है। रैली में भीड़ को देखकर उत्साहित होने वाले ये अंदाजा लगा सकते हैं कि इस बार भाजपा उत्तर प्रदेश की सत्ता की प्रबल दावेदार है। लेकिन सही रणनीति बनाने में भाजपा अगर सफल रही तो आने वाले चुनाव से पहले वह मुद्दों को अपने पक्ष में कर सकती है, जिससे उसे चुनाव में फायदा मिलेगा।

जिसके पास गाय नहीं है वह गरीब है : जगदीश्वर गोबर्धन


''देश का विकास करना है , खुद को स्वस्थ रखना है और अपनी संस्कृति को जिन्दा रखना है तो गौ माता की सेवा करो। जिसके पास गाय नहीं है वह गरीब है। '' उक्त बातें नारायणी साहित्य अकादमी, नई दिल्ली द्वारा 11 जून, द्वारका, दिल्ली में  आयोजित भारत मॉरिशस की साझा सांस्कृतिक विरासत पर परिचर्चा में बतौर मुख्य अतिथि मारीशस गणराज्य के उच्चायुक्त महामहिम जगदीश्वर गोबर्धन  ने कही।  उन्होंने कहा कि भारत और मारीशस का खून एक ही है , इसलिए एक दुसरे के प्रति खिंचाव स्वाभाविक है. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि नरेश नाज और संयोजन -संचालन भोजपुरी के प्रख्यात साहित्य्कार और टेलीविजन पर्सनालिटी मनोज भावुक ने किया।

आखिर क्या होगा जी पुरवईया का?

जी मीडिया समूह यूँ तो 90 के दशक में ही अस्तित्व में आया लेकिन शुरूआती समय में मीडिया जगत में कैसे उसे जगह और पहचान मिले,यह चुनौती उसके सामने मुंह बाए खड़ी थी।बड़ी मिहनत और जद्दोजहद से जी समूह की मजबूत टीम बनी और धीरे--धीरे जी मीडिया लोगों के दिल में उतरता चला गया।हांलांकि इस दौर में समय--समय पर इस समूह के सामने कई तरह की मुश्किलें और पेचीदगियां भी आईं लेकिन सभी से पार पाते हुए बदस्तूर इस समूह का सितारा बुलंद रहा।पुरानी बातों पर ज्यादा चर्चा से बेहतर है की हम कुछ हालिया घटनाक्रम पर ध्यान दें जिससे हमारे पाठकों के लिए रोचकता भी बनी रहेगी और वे मौलिकता से सने सच से रूबरू भी होंगे।

मॉरिशस, फीजी, गुयाना कहीं भी देखो तुम.... हम जहाँ जाते हैं सरकार बना लेते हैं...

भारत-मॉरिशस की साझा सांस्कृतिक विरासत





मनोज भावुक 

भारत और मॉरिशस के बीच मुझे सिर्फ हिन्द महासागर की दूरी का अंतर लगता है। वहाँ के किसी गांव में जाने पर ऐसा लगता है जैसे हम आरा, बलिया , छपरा या आजमगढ़ के किसी गांव में बैठे हैं। सिर्फ फ्रेंच या क्रियोल के शब्द कान में पड़ने से हम उसे अलग नहीं कर सकते।  मै बिहार के सिवान जिले का  रहने वाला हूँ।  रेणुकूट, सोनभद्र , उत्तर प्रदेश में पला बढा हूँ।  मुझे मॉरिशस तमिलनाडु, केरला , कर्नाटक या असम से ज्यादा अपना लगता है क्योंकि हमारी भाषा एक है, हमारी संस्कृति और संस्कार एक हैं।  विदित है कि मॉरिशस की दो तिहाई से भी ज्यादा आबादी भोजपुरी बोलती है और  इन  भोजपुरी भाषियों के पूर्वज लगभग 182 साल पहले बिहार और उत्तर प्रदेश से गिरमिटिया मजदूर बनकर वहाँ गए थे। अब सवाल यह उठता है कि इतने वर्षों के बाद भी अपनी विरासत को अक्षुण्ण सुरक्षित बनाए रखना कैसे सम्भव हो पाया। आखिर वह कौन सी ताकत है कि हम ग्लोबलाइजेशन के दबाव और अवरोध के बावजूद मॉरिशस में अपनी जड़ों से कटे नहीं।

भारत-मॉरिशस के रिश्तों पर काव्य पाठ : ....सात समुन्दर के पार हैं, लेकिन लगता है, अपनी ही मिटटी है, अपना डेरा है





7 जून, आगरा में ग्रैंड होटल में भारत मॉरिशस मैत्री कवि सम्मलेन व विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता आगरा कॉलेज के प्राचार्य डा ० मनोज रावत ने की। मुख्य अतिथि थे केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक प्रो० नन्द किशोर पांडेय। साहित्यिक- सांस्कृतिक विनिमय हेतु आयोजित इस कवि सम्मलेन में मॉरिशस के कवियों डाक्टर हेमराज सुन्दर,अरविन्द बिसेसर,रीतेश मोहाबिर,अभी ऊदोय,अशिता रघू और अंजली चिंतामणि ने अपनी खांटी भोजपुरी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। भारत की ओर से डा० चंद्रमणि ब्रम्हदत्त, रुचि चतुर्वेदी, जयशंकर प्रसाद द्विवेदी, विनय विनम्र, अनूप पांडेय ने भी खूब तालियां बटोरी।

सलमान की सनक, अरिजीत सिंह की कसक

NEERAJ CHOUDHARY 
अक़बर के बारे में कहा जाता है कि, वो जमुना किनारे सूर्य को अर्घ्य भी
देता था और नमाज़ भी पढ़ता था। नाटे क़द का अक़बर राजनीति, कुशल रणनीति और
विरोधियों को गिराने-उठाने में पारंगत था। कुछ इतिहासकार उसे पक्का
नौटंकीबाज भी बताते हैं, बिल्कुल आजकल के नेताओं की तरह। मौज़ूदा दौर के
नेता भी उसी तर्ज़ पर रहते हैं कि, ‛गंगा गए तो गंगादास, जमुना गए तो
जमुनादास।’

जब बंदा सिंह बहादुर ने इतिहास रच डाला...

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अठारहवीं शताब्दी के शुरु में ही हुई दो लड़ाइयाँ अपना ऐतिहासिक महत्व रखती हैं । इन दोनों लड़ाईयों ने पश्चिमोत्तर भारत में विदेशी मुग़ल वंश के कफ़न में कील का काम किया । ये लडाईयां थीं  पंजाब में सरहिन्द और गुरदास नंगल की लडाई । इन दोनों लड़ाईयों का नेतृत्व बंदा सिंह बहादुर ने किया । बंदा सिंह बहादुर को इस संग्राम के लिए गुरु गोविन्द सिंह ने तैयार किया था । मध्य एशिया से आए मुग़ल वंश ने भारत पर क़ब्ज़ा करने की शुरुआत 1526 में की थी । जिन दिनों इस वंश के बाबर ने हिन्दोस्तान पर हमला किया था , उन्हीं दिनों भारत में एक ऐतिहासिक गुरु परम्परा प्रारम्भ हुई थी , जिसके वानी गुरु नानक देव थे । उसी गुरु परम्परा के दशम गुरु श्री गोविन्द सिंह हुए ।

9.6.16

वाह पसिन्जर जिंदाबाद (कविता)

पसिंजरनामा
.......................
काठ की सीट पर बैठ के जाना
वाह पसिन्जर जिंदाबाद
बिना टिकस के रायबरेली
बिना टिकस के फ़ैज़ाबाद
हम लोगों की चढ़ी ग़रीबी को सहलाना
वाह पसिन्जर जिंदाबाद.

Cover page of Journalist Manish Sharma’s another Fiction Novel released



The Journalist Manish Sharma with experience of 13 year, as an author, added another feather cap in his writing as his second fiction-real novel: I want to be Tendulkar’s cover page has been released today on Social Media and is being hailed by peoples in large number and discussed among the readers.The novel would be available in market almost with in one & half month and also on leading websites,like; Amazon &flipkart. Apart from that the novel would be available for the international audiencein various countries, and could be purchased through Amazon International website.

पत्रकार अभिषेक पांडेय सम्मानित किए गए


इंडिया टीवी और इंडिया न्यूज़ जैसे चैनल्स में रिपोर्टिंग कर चुके पत्रकार अभिषेक पान्डेय को गणेश शंकर विद्यार्थी समर्पित (हिन्द स्वाभिमान अवार्ड 2016) से नवाज़ा गया।

ज्यादातर विवाद फ़िल्म की पब्लिसिटी के लिए होते हैं

फ़िल्म सेंसर बोर्ड फ़िल्म उड़ता पंजाब को लेकर एक बार फिर विवाद में है। सेंसर बोर्ड में बतौर सलाहकार पैनल सदस्य 3 साल के अपने अनुभव के आधार पर कह सकता हु कि फिल्मो के सेंसर से जुड़े ज्यादातर विवाद फ़िल्म की पब्लिसिटी के लिए होते हैं।