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17.6.16

बिहार टॉपर घोटाला का पर्दाफाश करने वाले पत्रकारों ‎चंद्रमणि‬ और ‪‎मधुप‬ को उनका वाज़िब हक़ मिलना चाहिए


बिहार टॉपर घोटाला का पर्दाफाश करने वाले ‎चंद्रमणि‬ और ‪‎मधुप‬ को भी उनका वाज़िब हक़ मिलना चाहिए। इनके चैनल वाले बस इतना 'रहम' कर दें कि स्ट्रिंगर का 'ओहदा' हटाकर इन्हें अपना एम्प्लॉय बना लें। Chandra Mani मेरे बैचमेट रहे हैं और एक मेजर एक्सीडेंट के बाद ज़िन्दगी की 'दूसरी पारी' जी रहे हैं। टॉपर को इंसाफ दिए जाने के बाद इन दोनों को भी 'इंसाफ' मिलना चाहिए, इस सफलता पर मुआवजा दिया जाना चाहिए। मुआवजा इसलिए क्योंकि स्ट्रिंगर को हमेशा से 'मुआवजा' ही दिया जाता रहा है।


बिहार के वैशाली जिले के दो पत्रकारों की है जिन्होंने मेहनत कर एक ऐसी कहानी सबके सामने लाई जिस खबर ने पूरे देश को हिला कर रख दिया पर वो असल हीरो अब भी दुनिया के सामने नहीं आ पाए। हम आपको मिलवाते हैं ऐसे दो स्ट्रिंगर से जिनकी खबर को उनके ही चैनल ने दरकिनार कर दिया। थके और अपमानित महसूस कर रहे इन पत्रकारों ने दूसरे चैनल में काम करने वाले अपने साथी को वह खबर बताई। हद तो तब हो गई जब उस चैनल ने भी खबर को ठंडे बस्ते में डाल दिया। पर अंतत: मुफ़्त के इस माल पर ‘सबसे तेज चैनल’ ने चील की तरह झपट्टा मारा और अपने चैनल का मुहर लगाकर जनता के सामने परोस दिया।

वो दोनों पत्रकार अपने चैनल की बेवफाई से जितने निराश थे वहीं दूसरे चैनल पर खबर देख अपने आप को कोस रहे थे। जहां उनका नाम और चेहरा होना चाहिए था, वहां कोई और अपना नाम चमका रहा था। दिलासा सिर्फ इस बात का था कि उन दोनों पत्रकारों की आवाज टीवी पर सब कोई सुन रहा था। पर पहचान कहीं नहीं थी। सारा देश उनकी आवाज सुन रहा था पर उस आवाज के पीछे के चेहरे को कोई जानता नहीं था। अब हम आपको बताते हैं उन दो बेहतरीन पत्रकारों के बारे में जिनका नाम, पैसा सब लुट गया।

गुलाबी शर्ट में दिख रहे पत्रकार चन्द्रमणि और उनके बगल में सहारा समय के पत्रकार प्रकाश मधुप तस्वीर में देखे जा सकते हैं। बात उस वक्त की है जब  2016 के इंटर साइंस और आर्ट्स का रिजल्ट आया। तो चन्द्रमणि और प्रकाश मधुप दोनों मिलकर टॉपर्स का इंटरव्यू करने निकले। इंटर आर्ट्स की टॉपर रूबी से प्रकाश मधुप ने सवाल पूछा कि उसका कौन-कौन सा सब्जेक्ट था, साथ में कैमरा खुद कर रहे थे। आम तौर पर स्ट्रिंगर खुद कैमरा भी करते हैं। जब रूबी का जवाब आया तब वह हंसने लगे जिसकी वजह से कैमरा भी हिलने लगा। ये सच वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है।

चन्द्रमणि बताते हैं कि जब बिहार इंटरमीडियट साइंस का रिजल्ट आया तो उन्होंने सोचा कुछ नया कर लेते हैं। कौन टॉप हुआ और कितने पास हुए, यह खबर तो हर कोई दिखाता है। रिजल्ट के दो दिन बाद साइंस के टॉपर सौरभ से इन्होंने अपने मित्र प्रकाश के साथ इंटरव्यू किया। जब सौरभ से पूछा गया कि किस तरह से उसने परीक्षा की तैयारी की तो उसने बताया कि स्कूल की पढ़ाई को दोहराता था, साथ में सेल्फ स्टडी भी करता था।

चन्द्रमणि को विज्ञान की जानकारी थी सो उन्होंने पूछ दिया कि पीरियॉडिक टेबल में मोस्ट रिएक्टिव एलिमेंट क्या होता है। इस पर सौरभ ने जवाब दिया ‘एल्युमिनियम’। दोनों पत्रकारों को लगा कि कहीं ना कहीं कुछ फर्जीवाड़ा जरुर हुआ है कि बिहार के साइंस टॉपर को इतना भी नहीं मालूम है। फिर पूछा कि सोडियम के इलेक्ट्रॉनिक स्ट्रक्चर के बाहरी कक्षा में कितने इलेक्ट्रॉन होते हैं। वह नहीं बता पाया। इस सवाल के बाद सौरभ के माता –पिता अपने बेटे के बचाव में आ गए और कहने लगे कि अभी यह बच्चा है।

जब इंटर आर्टस का रिजल्ट आया तो दोनों पत्रकारों ने आर्टस के टॉपर की टोह लेने की सोची क्यूंकि जिस कॉलेज से रुबी राय ने टॉप किया था वह कॉलेज कई बार विवादों के घेरे में रहा है और उसी कॉलेज से साइंस टॉपर सौरभ श्रेष्ठ भी थे। वहां से एक वर्ष पूर्व आठ-आठ छात्र टॉप कर गए थे। इसलिए शक गहरा रहा था। जब रुबी राय से पूछा गया कि किस–किस विषय का उसने एग्जाम दिया है तो वह बताने लगी, इंग्लिश, ज्योग्राफी, म्यूजिक, प्रोडिकल साइंस।

रुबी राय ज्योग्राफी भी ठीक से नहीं बोल पा रही थी। उससे पूछा गया कि यह ‘प्रोडिकल साइंस’ क्या होता है? यह नया विषय कौन सा है और इसमें किस चीज की पढ़ाई होती है। रुबी राय बोली—खाना बनाने के बारे में पढ़ाया जाता है। जब उनसे यह पूछा गया कि होम साइंस में क्या पढ़ाया जाता है तो उसका भी जवाब नहीं दे सकी। रुबी राय के जवाब से उनके मां–बाप भी हंस पड़े। चन्द्रमणि ने कहा कि हमें पहले शक नहीं था पर जब साइंस के टॉपर से बात हुई तो थोड़ा मन में कॉलेज को लेकर शंका उत्पन्न हुआ था। चूंकि इस कॉलेज में पहले से ही फर्जीवाड़ा होते रहा है।

इंडिया न्यूज के पत्रकार चन्द्रमणि और सहारा समय न्यूज़ चैनल के प्रकाश मधुप ने बिहार इंटर साइंस और आर्टस घोटाले को सामने लाकर खलबली मचा दी है। पूरे देश में इस बात की चर्चा है। शिक्षा माफिया की पोल खोल कर रख दी है इन दोनों ने। सरकार में बैठे सभी को सोचने के लिए मजबूर कर दिया कि रिजल्ट में भी ऐसा घोटाला हो सकता है। हालांकि ऐसा नहीं है कि यह बात कोई जानता नहीं था। मुख्यमंत्री से लेकर बोर्ड अध्यक्ष की नींद उड़ा दी इन दो पत्रकारो ने। इतना ही नहीं आज बिहार की शिक्षा व्यवस्था की पूरे देश में खिल्ली उड़ाई जा रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पूरे खबर को सामने लाने के लिए मीडिया को धन्यवाद दिया पर उन्हें भी नहीं मालूम कि धन्यवाद के असली हकदार तो ये दो पत्रकार हैं। अगर ये इंटरव्यू नहीं आया होता तो इतने बड़े घोटाले का पर्दाफाश नहीं हो पाता।

चन्द्रमणि और उनके मित्र प्रकाश मधुप को इस बात का दुख जरुर है कि उनके खबर को उनके चैनल ने प्रमुखता नहीं दी। जबकि दूसरे चैनल ने इस खबर को बड़ी प्रमुखता से दिखाया, खासकर आजतक ने, और पूरा क्रेडिट खुद ले लिया जबकि आज तक के प्रतिनिधी वहां मौजूद भी नहीं थे। हालांकि दोनों किसी को दोष नहीं देना चाहते और कहते हैं कि हर चैनल का अपना-अपना स्टैंड होता है। हो सकता है उनके चैनल वालों को लग रहा होगा कि इस खबर के चलाने से बिहार की बदनामी हो सकती है।

चन्द्रमणि को विश्वास है कि इस ऑपरेशन के बाद बिहार में बदलाव आएगा। जब उनसे यह पूछा गया कि इस घटना के बाद किसी तरह से उन्हें कोई धमकी मिली है तो उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं। सौरभ श्रेष्ठ के पिता ने फोन कर उन्हें ‘देख लेने’ की बात की है। वहीं सहारा के लिए काम कर रहे प्रकाश मधुप का कहना है कि इस घटना के बाद हर रोज नए-नए खुलासे सामने आ रहे हैं और सरकार भी कार्रवाई कर रही है। नीतीश-लालू भी इस मुद्दे पर एक साथ हैं तो हमें कहीं न कहीं लगता है कि शिक्षा के क्षेत्र में तब्दीली आएगी।

सौजन्य से : Sanjeet Mishra और magnificentbihar.com

1 comment:

Anonymous said...

एक वर्ष पहले उस कॉलेज से 8-8 छात्र टॉप किए, तो उनका जांच काहें नहीं हो रहा? और मोदी की डिग्री पर सवाल उठाने वाले पत्रकार, खासकर बिहार वाले, क्या अपना डिग्री का जांच कराएंगे?