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11.7.16

इन्सान बनना मुश्किल है पर पत्रकार बनना आसान

"जागरण / भास्कर जैसे अखबारो में रहा हूँ मैं''

''वहाँ किसके साथ काम किया?''

''जिसके-जिसके साथ काम किया, सब मर चुके हैं "

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इन्सान बनना मुश्किल है पर पत्रकार बनना आसान
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वो खुद को पत्रकार कहें..झूठ बोले..सच बोले..हमसे क्या मतलब। जब चाय वाला प्रधानमंत्री बन सकता है तो एक ड्राइवर, ठेकेदार , बरफ वाला, पंचर वाला..टैम्पो वाला, बिल्डर.. कलाकार..चित्रकार अगर पत्रकार बन जाता है या अपने पेशे की व्यस्तता से समय निकाल कर पत्रकारिता करता है तो किसी को क्या ऐतराज?


हर किसी का अपना अपना नजरिया होता है, सोच होती है..जानकारी होती है। ज्यादा पढ़ा-लिखा हो या न हो। ज्यादा भाषाई ज्ञान हो या न हो, पर अपनी बात/अपनी जानकारी व्यक्त करके वो पत्रकार कहला सकता है। जहाँ तक बैनर/अखबार का सवाल है तो गाँव शहर की हर गली-मोहल्ले से दो चार अखबार निकल ही रहे हैं। ( मै भी ऐसे ही साधनहीन और छोटे अखबार से हूँ )

वो भी न हो तो भी कोई हर्ज नही। कलेक्ट्रेट जाइये और वहाँ अखबार के शीर्षक के लिये  कमरा नंबर- 35 मे  प्रार्थना पत्र दे दीजिए। बस दो-ढाई महीने मे आप पत्रकार  और प्रकाशक बन जायेगे। बल्कि इस शीर्षक और फिर आर एन आई के बूते पर 4-6 और लोगो को पत्रकार बना सकते है आप। ये सब मुम्किन है...ये सब जायज है..ये सब स्वीकार है । इसे हम पत्रकारिता भी मानेगे और विचारधारा की आजादी का सौन्दर्य भी।

संवैधानिक और कानूनी नजरिए से आप किसी को फर्जी पत्रकार तो  कह ही नही सकते है ,क्योकि भले ही आपके लिये इन्सान बनना मुश्किल हो पर तकनीकी तौर से पत्रकार बनना बेहद आसान है। यही कारण है कि ऐसे पत्रकार जो जिन्दगी भर कलम घिसते रहे। दशको से उन्हें रोज लाखो पाठक पढ़ते है..  जिनकी खबरो की कुल रीडरशिप अरबो-खरबो मे रही है। उनको राज्य मुख्यालय की मान्यता नही मिल पाती।

लेकिन कागजी मानको की खानापूर्ति करने वाले ऐसे लोगो की राज्य मुख्यालय की मान्यता हो जाती है जिन्होने अखबार के आफिस का कभी गेट तक नही देखा..खबर लिखना तो दूर कभी ख ब र "खबर" भी नही लिखा। पत्रकारिता का इनका कोई भी ग्राउंड नही..कोई भी वरिष्ठ पत्रकार ऐसा नही जो कह दे कि इसने फलाँ अखबार मे फलाँ बीट पर मेरे साथ काम किया था। यही वजह है कि अब माहौल कुछ इतना ज्यादा बिगड़ता दिख रहा है कि लगता है कि- अब पानी सिर से  ऊपर आने लगा है।  इसलिये थोड़ा सख्त होना पड़ेगा।

इस तरह के पत्रकारों को इतनी ढील दे दी गयी है ...  इतना सिर पर चढ़ा दिया गया है कि  ये लोग सीनियर पत्रकारों से बद्तमीजी करने तक की नौबत पर उतर आते है ।  अभी जल्द ही पता चला कि दो  लोग जो खुद अपने को सीनियर/बड़े अखबारो के अनुभवी पत्रकारों के रूप मे पेश करते है..  धर्म-आध्यात्म और राजनीति की बातो मे कुतर्क पेश करते रहते है। राजनीतिक दलो की पैरोकारी मे  धार्मिक उन्माद फैलाने की जुर्रत करने लगते है। ये वो लोग है जो पार्टी  वर्कर होने के साथ शादी-ब्याह और मेलो वगैरह मे नाचने वाली डान्सर्स के कार्डीनेटर है।

कोई कार्डीनेटर हो या राजनीतिक दल का वर्कर। इस पर मुझे या किसी को एतराज नही। लेकिन इस तरह के लोग पत्रकारों के ग्रप मे शामिल होकर सीनियर पत्रकार द्वारा किसी राजनीतिक दल की आलोचना करने पर अपशब्द इस्तेमाल करेगे। धमकियाँ देगे, धर्म और जाति पर उतर कर अपने छोटेपन का सुबूत देगे, तो क्या हम इनका ये कृत्य भी बर्दाश्त कर सकेगे ?

ये लोग अपने को पत्रकार कहें चित्रकार कहे हमे आपको इससे क्या लेना देना। पर यदि ये कहें कि मैं दैनिक जागरण, भास्कर, अमर उजाला, राष्ट्रीय सहारा या हिन्दुस्तान अखबार का प्रोडक्ट हूँ।  तो 25-30 सालो से इन अखबारो से जुड़े पत्रकारों का ये फर्ज नही बनता कि वे इनके झूठ पर से पर्दा उठाये। छोटे और बड़े पत्रकार भाईयो आपसे ये इल्तिजा है कि सोशल मीडिया या फील्ड मे प्रकट होने वाले ऐसे पत्रकारों से उनके मौजूदा बैनर के साथ ये जरूर पूछे कि उनका मीडिया ग्राउन्ड क्या है।

यदि कोई किसी लीडिग पेपर के नाम का अनुभव बताकर धौस दिखा रहा हो या राजनीति कर रहा हो तो विनम्रता पूर्वक ये जरूर पूछे कि वो किस सन मे फँला लीडिग अखबार मे थे। किस बीट पर और किस-किस वरिष्ठ के साथ काम किया था। क्योंकि अभी ऐसे  सवालो का कल्चर नही पैदा हुआ है इसलिये मैने जब एक संदिग्ध से पूछा कि आप किस दौर मे और किस-किस वरिष्ठ के साथ दैनिक जागरण मे रिपोर्टिग कर चुके है ? सही जवाब नही दे पाया और हड़बड़ा गया। और फिर बे सिर पैर की बातो से मेरे ऊपर हावी होने की कोशिश करने लगा।

इसी तरह दूसरे से पूछा तो उसने न जाने किन- किन राजनीतिज्ञो के साथ अपनी आड़ी तिरछी तस्वीरें भेज दी  और बोला- देखो कई अखबारो के लिये कई लोगो का इन्टरव्यू कर रहा हूँ न? वो ये नही बता या दिखा पाया कि  ये तस्वीरे  और इन्टरव्यू कब-कब और किन किन लीडिग पेपर भे छपे थे।

नवेद शिकोह
लखनऊ
Navedshikoh84@gmail.com
08090180256  
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