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11.7.16

‘कुपोषण से जंग’ सरकार का नारा धोखा

आंगनवाड़ियों के श्रम का हो सम्मान, राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस के तहत पूरे प्रदेश में किया आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन ने प्रदर्शन, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को भेजा पत्रक

लखनऊ, 11 जुलाई 2016, आंगनबाड़ियों का मानदेय 18000 रूपए करने, राज्य कर्मचारी का दर्जा देने, बढ़े हुए मकान किराए को लागू करने, कुपोषण दूर करने के मूलभूत काम के अतिरिक्त कामों में न लगाने, बीमा प्रमाणपत्र उपलब्ध कराने, निशुल्क चिकित्सा सुविधा देने, केंद्र तक पोषाहार पहुंचाने, शिकायत निवारण कमेटी के गठन समेत बारह सूत्रीय मांगों पर आज अखिल भारतीय आंगनबाड़ी व सहायिका संघ द्वारा आयोजित राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस के तहत सीआईटीयू से सम्बद्ध आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन, उ0 प्र0 की तरफ से पूरे प्रदेश में धरना, प्रदर्शन किया गया। सहारनपुर, मुरादाबाद, मेरठ, गाजीपुर, सोनभद्र, गोंडा, बस्ती, लखनऊ समेत तमाम जिलों में आयोजित इन विरोध कार्यक्रमों द्वारा प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को संबोधित पत्रक भेजा गया। लखनऊ में जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन कर पत्रक सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा गया।    


इस अवसर पर आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन, उ0 प्र0 की प्रदेश महासचिव डा. वीना गुप्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार का ‘कुपोषण से जंग’ का नारा धोखा है। उत्तर प्रदेश में, जहां हर दसवां बच्चा कुपोषित और हर बीसवां बच्चा अति-कुपोषित है, अखबारों में बड़े-बड़े विज्ञापन द्वारा सरकार यह दिखा रही है जैसे वह कुपोषणमुक्त प्रदेश के लिए दिलोजान से लगी है। पर सच्चाई यह है कि प्रदेश के तीन करोड़ बच्चों व महिलाओं को कुपोषण से मुक्त कराने के लिए हाड़तोड़ मेहनत करने वाली और पोषाहार, प्राथमिक शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधा देने वाली साढ़े तीन लाख से ज्यादा आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं को इस भीषण महंगाई में मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी से भी बेहद कम मात्र 3200 व 1600 रूपया मासिक मानदेय दिया जा रहा है। उसका भी पूरे प्रदेश में पांच माह से भुगतान नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री ने 1 मई 2012 को अपने शपथग्रहण के तुरंत बाद लखनऊ में आंगनबाड़ियों की रैली में घोषणा की थी कि वह केन्द्र के बराबर मानदेय आंगनबाड़ियों को देगें पर चार साल बीत जाने के बाद भी वायदा पूरा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के आगंनबाडियों से अतिरिक्त काम न लेने के स्पष्ट आदेश के बाबजूद कुपोषण के खिलाफ कार्यरत आगंनबाडियों से निर्वाचन, जनगणना, साक्षरता मिशन, समाजवादी पेंशन जैसे तमाम कार्य कराए जा रहे है। जिससे कुपोषण दूर करने का उनका मूलभूत काम बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं के श्रम को मानवीय सम्मान दिए बिना कुपोषण के विरूद्ध जंग का कोई भी अभियान सार्थक और सफल नहीं हो सकता। अतः प्रदेश को कुपोषण मुक्त करने में प्रमुख भूमिका निभाने वाली आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं की जिदंगी की रक्षा के सरकार को पहल कर उनके विधिक अधिकार देने चाहिए।

उन्होंने कहा कि बाल विकास व महिला कल्याण मंत्री मेनका गांधी खुलेआम झूठ बोल रही है कि हमने आगंनबाडियों को कर्मचारी बना दिया जबकि वास्तविकता यह है कि सरकार ने आगंनबाडियों से वायदा करके भी उनका मानदेय नहीं बढ़ाया। आगंनबाड़ियों के मानदेय मोदी सरकार का कालाधन वापस लाने के उनके वायदें की तरह ही जुमला साबित हुआ। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार लगातार कुपोषण दूर करने वाली इस परियोजना का बजट घटाती जा रही है और उसकी दिशा इसे बंद करने व इसका कारपोरेटीकरण करने की है। देश के गरीब परिवारों की जिदंगी की रक्षा के लिए इसका चौतरफा विरोध यूनियन करेगी।  लखनऊ में आयोजित विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व जिला संयोजक गीता सैनी, जिला सहसंयोजक बबिता, अनीता श्रीवास्तव, कल्पना तिवारी, शांति देवी, मीना आदि ने किया।                  

(बबिता)
कार्यालय सचिव
आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन
उ0प्र0।                


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