Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

17.11.16

जनमोर्चा, लखनऊ में शोषण की कहानी, एक भुक्तभोगी कर्मचारी की जुबानी


सेवा में,
भड़ास मीडिया
लखनऊ

विषय : जनमोर्चा के भुक्तभोगी कर्मचारियों के शोषण के संबंध में

मैं रजा हुसैन निवासी लखनऊ का हूं। जब जनमोर्चा लखनऊ से लांच हुआ था तब उसी महीने मैंने अखबार में सब-एडीटर की पोस्ट पर कार्य करना शुरू किया था। मुझे जनमोर्चा लाने वाले फैजान मुसन्ना जी थे जो मेरे पुराने परिचित थे। उन्होंने मेरी मुलाकात वहां की सम्पादक सुमन गुप्ता से करायी थी और उनकी बहुत तारीफ की थी। खैर मेरे लिए वहां पर कई नये लोग मिले, जिसमें मोहम्मद उमैर, नन्दन, प्रशांत, आशु, पाठक जी, अस्थाना, दिनेश, फरहान सिद्दीकी और अरुण सिंह थे। इसके अलावा फैजान मुसन्ना, मोहम्मद जाहिद, तुराबी जिनको मैं पहले से जानता था। जनमोर्चा को बहुत बेहतरीन स्टाफ मिला था। पर 20 मार्च 2016 से जुलाई 2016 तक लगभग सभी पुराने स्टाफ जनमोर्चा छोड़कर जा चुका है। और मैंने भी 16 जुलाई 2016 को जनमोर्चा छोड़ दिया था। पुराने में सिर्फ नंदन, मो. जाहिद और अस्थाना ही बचे हैं। शायद जल्द ही जाहिद भाई भी वहां से जा सकते हैं। आखिर चंद महीनों में इतने सारे लोग क्यों छोड़कर चले गये। जनमोर्चा इतना बड़ा बैनर है, बड़ा अखबार सोचकर लोग ज्वाइंट किये थे।


इसकी प्रमुख वजह जनमोर्चा की सम्पादक सुमन गुप्ता हैं जो निहायत ही घमंडी और अख्खड़ मिजाज हैं। हर समय स्टाफ पर चीख- चिल्लाना, बात-बात पर बेइज्जत करना उनका रोज का कार्य रहा है। उनकी नजर में कोई कुछ काम नहीं करता है किसी को कुछ नहीं आता। सब बेवकूफ हैं। वह सिर्फ अस्थाना को ही कुछ सम्मान देती हैं वजह मात्र इतनी है कि अस्थाना सिर्फ उनकी चापलूसी करते हैं। आजकल चापलूस टाइप के लोग हर जगह मिल जायेंगे। स्टाफ में मैं जिस व्यक्ति से ज्यादा प्रभावित हुआ हूं वह हैं अरुण सिंह जी जिनके विचारों का मैं सम्मान करता हूं। उन्हीं से कम्युनिस्ट पार्टी के बारे में काफी नालेज प्राप्त हुई।

एक बात और, मैंने वहां देखा कि काबिल लोगों की कोई वैल्यू नहीं है। नये-नये चापलूस लोगों की भर्ती शुरू होने लगी और उनको हमसे अधिक सैलरी पर रखा जाने लगा उनसे काम भी काम और मुझसे अिधक कार्य लेना। इसी बात को लेकर मैंने उनसे कई बार कहा मैं एक तो पुराना हूं कार्य अधिक करता हूं मेरी सैलरी अधिक होनी चाहिए। पर मेरी बात को अनदेखी किया गया। एक तो मैं ऐसे सम्पादक के साथ कार्य और नहीं करना चाहता था जिसको बात करने की तमीज न हो सिर्फ चीखना चिल्लाना, उल्टी सीधी बातें करना, अपमान करना, मैंने तय लिया था िक मैं अब और नहीं सह सकता हूं मेरे पुराने साथी नहीं रहे और जो नये चापलूस टाइप के लोगाें की टीम के साथ और आगे कार्य नहीं करूंगा। मुझे जून की सैलरी 15 जुलाई को मिली जो कि काफी लेट की गई थी। मैंने सैलरी प्राप्त की। मुझे इधर काफी अरसे से आंखों में दिक्कतें भी शुरू हो गई थी। मैंने डाक्टर को दिखाया उन्होंने मेरी आंखों में इन्फेक्शन बताया मैं घबरा गया ताे उन्होंने कहा कि घबरायें नहीं मैं 15 दिन की दवा दे रहा हूं इसको आंखों में 6 टाइम लगायें उसके बाद नया नंबर दे दूंगा। उन्होंने कहा कि आप कम्प्यूटर पर कार्य करना कम कर दें। आंखों का मामला था। घबराहट और टेंशन लाजमी थी।

मैंने 16 जुलाई से जनमोर्चा छोड़ दिया। मेरा 1 जुलाई से 15 जुलाई 2016 यानी 15 दिनों का पैसा बकाया रह गया था। खैर मैं 11 अगस्त को अपना बकाया पैसा लेने जनमोर्चा कार्यालय पहुंचा और मैडम से मिला तो और अपना पैसा मांगा तो उन्होंने कहा कि कैसा पैसा, आपको मैं पैसा नहीं दूंगी। आपका कोई पैसा नहीं बनता है। काफी तेज आवाज में उन्होंने मुझसे बात की। मैंने कहा कि अभी आप गुस्से में हैं और मेरा मेहनत का पैसा आपको मारने नहीं दूंगा जब आपका दिमाग ठंगा हो जायेगा तब मैं आपको फोन करूंगा। मैंने 22 अगस्त को मैडम को फोन किया और अपना परिचय दिया तो फोन यह कहकर काट दिया कि मैं बिजी हूं।

मेरा इधर आंखों के इलाज में काफी पैसा लगा है, एक तो यूं ही मेरा पैसा दवा में लगा उस पर मैडम मेरे पांच हजार रुपये मारे दे रही हैं। यह इंसाफ नहीं सरासर बेइमानी है। शीतली सिंह जी का मैंने बड़ा नाम सुना है पर उन्होंने एक गलती की है इनको सुमन गुप्ता को सम्पादक बनाकर। क्योंकि सुमन गुप्ता अखबार की इमेज और अखबार को बर्बाद कर रही हैं और बेइमानी, घोटाला करके खूब पैसा बना रही। वह अखबार के मािलक शीतला सिंह को कोई हिसाब नहीं देती हैं। विज्ञापन का पैसा और कर्मचािरयों का पैसा मारकर अपनी तिजोरी भर रही हैं।­

अत: सचिव महोदय जी आपसे  निवेदन है कि हमारा 15 दिन का पैसा यानी 5000 रुपये बनता है अपने स्तर पर कोशिश करके दिलवाने का कष्ट करें। मेरे अलावा दिनेश के 15000 रुपये भी सुमन गुप्ता ने मार दिये हैं। और भी कई लोगों के पैसा सुमन गुप्ता नहीं दे रही है। जनमोर्चा में स्टाफ से साइन नहीं करवायी जाती है और न ही स्टाफ के लिए कोई रजिस्टर पर भी नहीं एक आदमी सूचना विभाग एड के लिए जाता है वहीं सबकी एटेंडेंस लगाता है। पता नहीं मैंने अपनी समस्या आपको क्यों शेयर की, क्योंकि मुझे नहीं मालूम।

आशा है आप मेरी बातों को सीरियस लेंगे और अपने स्तर पर जांच भी कर सकते हैं। सच्चाई आपके सामने आ जायेगी। भुक्तभोगी कर्मचार दिनेश का 15000 हजार सुमन गुप्ता ने मारा है। उनको नंबर 9453142611 से बात कर हमारी बात की सच्चाई सामने आ जायेगी।

धन्यवाद
रज़ा हुसैन
Raza Husain
मो. 958098779
सब एडीटर
जनमोर्चा
लखनऊ
razahusain0786@gmail.com

No comments: