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18.9.17

गांधी ने विचारों का राजनीतिकरण किया: प्रो बी बी कुमार

फिरंगियों की इतिहास दृष्टि हतोत्साहकारी: एन के सिंह
इतिहास है दुधारी तलवार, विकसित करें अंतर्दृष्टि: विभूति
इतिहासकारों ने अष्टशहीदों के साथ न्याय नहीं किया: राय
त्याग और सेवा ही भारत के दो आइडियल्स: आरिफ
मौखिक इतिहास (1942) को लिपिबद्ध करने की जरूरत: महाजन
नई दिल्ली। प्रो बी बी कुमार ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने विचारों का राजनीतिकरण किया, जिससे अंग्रेजों को देश का विभाजन करने में काफी सहूलियत हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पर वर्चस्व स्थापित करने की उनकी रीति-नीति से राष्ट्र में ज्ञान और चिंतन की पूरी दिशा ही भटक गई, जिससे देशवासियों को भारी क्षति हुई है। इसलिये इस स्थिति को नए सिरे से बदलने की जरूरत है। प्रो कुमार स्थानीय गांधी शांति प्रतिष्ठान में अमर शहीद डॉ शिवपूजन राय प्रतिष्ठान के तत्वावधान में अगस्त क्रांति के 75वें वर्ष के मौके पर आयोजित अमर शहीद स्मृति समारोह 2017 में अपना अध्यक्षीय उद्गार व्यक्त कर रहे थे।


उल्लेखनीय है कि 18 अगस्त 1942 को पूर्वी उत्तरप्रदेश के गाजीपुर जिले के अंतर्गत मोहम्मदाबाद तहसील पर शहीद हुए शेरपुर गांव के आठ अमर शहीदों की स्मृति में आयोजित इस समारोह में पुष्पांजलि के बाद विषय प्रवेश डीएवीपी के अधिकारी गोपाल जी राय ने कराया। अपना दो टूक विचार रखते हुए श्री राय ने इतिहासकारों पर आरोप मढ़ा कि उनलोगों ने शेरपुर के अष्टशहीदों (गाजीपुर) के साथ न्याय नहीं किया और बलिया की एक घटना का उदाहरण देते हुए इशारा कि मोहम्मदाबाद की शहादत से कमतर आंकी गई घटनाओं को ज्यादा महिमामण्डित किया।

इस मौके पर अपना विचार व्यक्त करते हुए वरिष्ठ पत्रकार एन के सिंह ने निष्पक्ष इतिहास के नजरिये से फिरंगियों की मानसिकता पर विभिन्न उद्धरण देते हुए करारा प्रहार किया और उसे दुरुस्त किये जाने की जरूरत बताई। विषय को आगे बढ़ाते हुए महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के पूर्व कुलपति विभूति नारायण राय ने कहा कि इतिहास एक दुधारी तलवार है। इसको बार बार रिपीट करने की जरूरत है। लिहाजा इसके लिये एक खास तरह की अंतर्दृष्टि रखने/विकसित करने की जरूरत है। चर्चा को आगे बढ़ाते हुए जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रो ओमप्रकाश सिंह ने सन 1942 से साथ साथ भूमिगत आंदोलन के काल 1943 को भी याद करते हुए कहा कि इतिहास और साहित्य में आवाजाही लगी रहती है। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।

अमर शहीद डॉ शिवपूजन राय के पुत्र वरिष्ठ पत्रकार और कवि दीनानाथ शास्त्री ने भी निष्पक्ष इतिहास दृष्टि विकसित करने और उसके पुनर्लेखन की जरूरत बताई। जेएनयू की प्रो सुचेता महाजन ने अपनी इतिहास दृष्टि स्पष्ट करते हुए पूर्वी उत्तरप्रदेश के मौखिक इतिहास को संकलित और लिपिबद्ध करने के लिये एक प्रोजेक्ट स्वीकृत करने हेतु आईसीएसएसआर के अध्यक्ष प्रो बी बी कुमार से निवेदन किया। इस मौके पर अपना विचार व्यक्त करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि त्याग और सेवा ही भारत के दो आइडियल्स हैं।

समारोह की अध्यक्षता प्रो बी बी कुमार, अध्यक्ष, आईसीएसएसआर ने की। प्रो उमेश राय, प्रो एम एम चतुर्वेदी (दिल्ली विश्वविद्यालय) ने भी समारोह में शिरकत किया। दीनानाथ शास्त्री, गोपाल जी राय, राजीव रंजन राय, विपुल कुमार, सूर्यभान राय, शोधार्थी, जेएनयू, आशुतोष कुमार, गुंजन कुमार, विवेक मिश्रा, वेद प्रकाश ने समारोह में शिरकत किया। धन्यवाद ज्ञापन बीजेपी के युवा नेता राजीव रंजन राय ने किया। मंच संचालन सूर्यभान राय ने किया। इस आशय की जानकारी कार्यक्रम के मीडिया प्रभारी कमलेश पांडे ने दी।

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