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21.12.17

अमेठी से ‘पलायन’ राहुल के लिये ‘गले की फांस’!

अजय कुमार,लखनऊ
कांग्रेस में एक नये युग की शुरूआत हो गई है। राहुल गांधी कांग्रेस के 62 वें अध्यक्ष बन गये हैं। कांग्रेस में जश्न का माहौल है तो कई सवाल भी हैं कि नये अध्यक्ष के साथ कांग्रेस कितना बदलेगी ? राहुल ने अपने पहले सम्बोधन में कांग्रेस को ‘ग्रैंड ओल्ड और यंग पार्टी’ बनाने की बात कही तो बीजेपी और पीएम मोदी के प्रति उनकी तल्खी साफ नजर आई। राहुल की ताजपोशी की औपचारिकता पूरी होने के साथ ही यहां यह बात ध्यान करना भी काफी जरूरी है कि कई कांग्रेसी नेता सालों से राहुल गांधी की ताजपोशी के इंतजार में थे। पिछले दिनों जब राहुल गांधी को कांग्रेस अध्‍यक्ष चुना गया, तभी यह तय हो गया था कि अब कांग्रेस में ‘राहुल युग’ की शुरुआत होने जा रही है।

राहुल की ताजपोशी के अलावा जो सबसे चौकाने वाली बात सामने आई वह थी, सोनिया गांधी का बयान,‘ अब रिटायर हो रही हॅू मैं....’ हालांकि सोनिया के बयान पर कांग्रेस ने सफाई देने में देरी नहीं की कि सोनिया गांधी का यह मतलब नहीं था कि वह राजनीति से रिटायर्ड हो रही हैं,लेकिन राजनीति की जिसे थोड़ी भी समझ है वह जानता है कि सोनिया गांधी अब शायद सक्रिय राजनीति में नहीं दिखाई देंगी। उनकी 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावनाएं भी न के बराबर हैं। इसके पीछे की वजह बढ़ती उम्र के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य कारण भी हैं।
सोनिया गांधी के संन्यास की खबरों के बीच अहम सवाल यह है कि रायबरेली में नेहरू-गांधी परिवार के साथ-साथ उनकी सियासी विरासत कौन संभालेगा। रायबरेली से सोनिया गांधी 2004 से लगातार सांसद हैं। 2004 में सोनिया के अमेठी से रायबरेली जाने के बाद राहुल गांधी ने ही उनकी विरासत संभाली थी। रायबरेली कांग्रेस इकाई तो यही चाहती है कि जैसे दिल्ली में राहुल ने सोनिया गांधी की जगह ली है,वैसे ही रायबरेली में भी राहुल गांधी उनकी जगह संभालें। अगर ऐसा न हो पाये तो गांधी परिवार का ही कोई शख्स उनकी जगह ले। इस हिसाब से राहुल या प्रियंका की ही दावेदारी सबसे मजबूत लगती है। प्रियंका गांधी अभी तक सक्रिय राजनीति से दूर हैं ऐसे में राहुल गांधी अगर मॉ सोनिया की सियासी विरासत के स्वाभाविक दावेदार बन जाये तो किसी को आश्चर्य नहीं होन चाहिएं। इसकी वजह भी है। अमेठी की लोकसभा सीट कांग्रेस के लिए बदले हालातों में आसान नहीं रह गई है। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी नेत्री स्मृति इरानी ने यहां राहुल को कड़ी टक्कर दी थी और राहुल को जीत के लिये गली-गली घूमना पड़ा था। चुनाव हारने के बाद अमेठी में स्मृति की सक्रियता लगातार बनी हुई है। उन्हें वहां व्यापक समर्थन भी मिल रहा है। स्मृति इरानी की कोशिशों से यहां कई विकास योजनाओं पर कार्य भी चल रहा है। 
ऐसे में एक चर्चा यह भी चल रही है कि 2019 में राहुल गांधी अमेठी के बजाय अपेक्षाकृत आसान रायबरेली की सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। परंतु यह फैसला लेना राहुल के लिये आसान नहीं होगा। इससे उनकी छवि पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा । बीजेपी राहुल गांधी को अमेठी में कोई विकास नहीं कराने के लिये हमेशा कटघरे में खड़ा करती रहती है,ऐसे में राहुल लोकसभा चुनाव जीतने के लिये अमेठी से ‘पलायन’ करके रायबरेली पहुंच जाते हैं तो बीजेपी इसे बड़ा मुद्दा बनाने से नहीं चूकेगी, जो आम चुनाव में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन के लिये राहुल के गले की फांस बन सकता है। बीजेपी ने जिस तरह से गुजरात चुनाव में राहुल के संसदीय क्षेत्र अमेठी की दुर्दशा के बहानें कांग्रेस और राहुल पर काउंटर अटैक किया था,उससे पूरी कांग्रेस सहित राहुल भी बैकफुट पर आ गये थे। संभावना इस बात की भी है कि राहुल गांधी अमेठी के साथ-साथ रायबरेली से भी उम्मीदवार बन जायें। इससे उनके संसद में पहुंचने की राह आसान हो जायेगी,क्योंकि 2019 में अमेठी से राहुल की जीत को लेकर कांग्रेसी भी आश्वस्त नहीं हैं। यूपी में योगी की सरकार आने के बाद अमेठी पर बीजेपी की कृपा कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रही है,इस बात का अहसास स्मृति के अमेठी दौरे के दौरान जुटने वाली भीड़ और राहुल से जनता की नाराजगी को लेकर भी जोड़ा जा सकता है। अभी हाल ही में  केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अमेठी में एक नई पहल की है। इसके तहत जिले में नीम के पेड़ों की अच्छी खासी संख्या को देखते हुए अब लोगों से सीधे नीम की निंबोली खरीदने की योजना बनाई गई है। इसके तहत कंपनी जिले में लोगों से सीधे नीम की निंबोली खरीदेगी और उसकी कीमत भी तत्काल ही दे दी जाएगी। लोग अब बेकार मानी जाने वाली नीम की निंबोली को इकट्ठा करके रोजगार पायेंगे।
    जनता की राहुल की नाराजगी का नजारा पिछले दिनों अमेठी की सड़क पर में देखने को मिला,जब अमेठी के किसानों ने राहुल गांधी से अपनी जमीन वापस करने की मांग शुरू कर दी। अमेठी के गौरीगंज के कौहार स्थित बंद पड़ी सम्राट फैक्ट्री के सामने किसानों ने धरना-प्रदर्शन किया और राहुल गांधी से नया उद्योग लगवाने या फिर जमीन वापस करवाने की मांग की। किसानों ने कांग्रेस व राहुल गांधी के विरोध में नारेबाजी करते हुए कहा कि उद्योग स्थापित करने के नाम पर पहले तो हम से औने-पौने दामों पर जमीन ली गई और कुछ समय बाद फैक्ट्री बंद कर इस जमीन को राजीव गांधी चौरिटेबल ट्रस्ट को सौंप दी गई,जिसे नियमानुसार किसानों को लौटा देना चाहिए था। प्रर्दशन करने वाले किसानों का कहना था कि उद्योग भी बंद हो गया और हमारे परिवार को रोजगार भी नहीं मिला, जमीन अलग से चली गई। विरोध प्रदर्शन के बाद किसानों ने राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन में मांग की कि किसानों से औने-पौने दाम पर ली गई जमीन हमें ट्रस्ट के कब्जे से वापस दिलाई जाए।
    इतना हो हल्ला हुआ,लेकिन न तो प्रदर्शन करने वाले किसानों को समझाने के लिये कांग्रेस नेतृत्व ने किसी को यहां भेजा और न ही इस पर कोई प्रतिक्रिया दी। इधर जिस तरह से राहुल गांधी ने अमेठी से दूरी बना रखी है,उससे भी अमेठी के लोग आशंकित हैं,उन्हें लगता है कि अब शायद ही अमेठी का ‘वीआईपी’ संसदीय क्षेत्र होने का रूतबा बचा रह पायेगा। लोकप्रियता का आलम यह है कि तमाम अमेठीवासी तो अब खुले आम कह रहे हैं कि अगर राहुल की जगह प्रियंका गांधी उनकी सांसद हों तो उन्हें ज्यादा खुशी होगी। शायद अमेठी के भी ‘अच्छे दिन’ आ जायें।
लेखक अजय कुमार लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार हैं. 

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